पटना. बिहार की नीतीश सरकार का राज्य में जाति गणना कराने का निर्णय सही था या फिर इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक करने पर रोक लगेगी इसे लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होनी है. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच इस ममाले को सुन रही है. जाति गणना पर रोक को लेकर दायर याचिका पर पिछली सुनवाई 18 अगस्त को हुई थी. तब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एक हफ्ते का समय मांगा था. केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट में कहा था कि हम इस मुद्दे पर पक्ष या उस पक्ष की ओर से नहीं हैं, लेकिन इस प्रक्रिया के कुछ नतीजे हो सकते हैं और इसलिए हम अपना सबमिशन दाखिल करना चाहते हैं.
अब इस मुद्दे पर आज सॉलिसिटर जनरल अपना पक्ष रख सकते हैं. वहीं बिहार सरकार का पक्ष भी इस मामले में सुना जाएगा. वहीं जाति गणना के खिलाफ याचिका दायर करने वालों की आपत्ति पर गौर करने के बाद कोर्ट संभव है इस मामले में आज कोई अहम निर्णय ले. हालांकि बिहार सरकार ने पहले ही कहा है कि जाति गणना का काम पूरा हो चुका है. अब डॉक्यूमेंट का काम चल रहा है. जल्द ही इसकी विस्तृत रिपोर्ट सार्वजनिक की जा सकती है.
18 अगस्त को कोर्ट मे सुनवाई के दौरान बिहार सरकार की ओर से बताया गया था कि बिहार में सर्वे का काम पूरा हो चुका है. आंकड़े भी ऑनलाइन अपलोड किए जा रहे हैं. इसके पहले पटना हाई कोर्ट ने इस मामले में 1 अगस्त को अपने फैसले में कहा था कि वह जाति गणना पर रोक नहीं लगाएगी. साथ ही इसी से जुडी एक अन्य याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि बिहार सरकार का पक्ष सुने बिना कोई रोक नहीं लगाई जा सकती. इन सबके बीच बिहार सरकार ने राज्य में जाति गणना का काम भी पूरा कर लिया.
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में आज सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का पक्ष सुने जाने के बाद इस पर कोर्ट का अहम फैसला आ सकता है. अगर कोर्ट ने बिहार सरकार को अनुमति दे दी तो यह देश में पहली बार होगा जब कोई राज्य अपने यहां जाति गणना की रिपोर्ट को सार्वजनिक करेगा. इसके पहले कर्नाटक और राज्यस्थान में हुई इसी तरह की सर्वे को अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया.