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केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटा, अध्यादेश लाकर अरविंद केजरीवाल पर कसी नकेल तो आप ने बताया 'असंवैधानिक'

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटा, अध्यादेश लाकर अरविंद केजरीवाल पर कसी नकेल तो आप ने बताया 'असंवैधानिक'

DESK. राष्ट्रीय राजधानी में पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि को छोड़कर अन्य सभी सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंपने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश जारी किया है. इससे  दिल्ली के नौकरशाहों के स्थानांतरण और पोस्टिंग पर अंतिम अधिकार उपराज्यपाल के पास आ गया है. अब केंद्र सरकार के इस फैसले पर फिर से दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार और केंद्र की मोदी सरकार आमने सामने आ गई है. 

आम आदमी पार्टी (आप) ने शनिवार को आरोप लगाया कि दिल्ली में नौकरशाहों के तबादले से जुड़ा केंद्र का अध्यादेश ‘असंवैधानिक’ है. यह सेवा संबंधी मामलों में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिल्ली सरकार को दी गई शक्तियों को छीनने के लिए उठाया गया एक कदम है. दिल्ली की मंत्री आतिशी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि केंद्र सरकार ने यह अध्यादेश लाने के लिए जानबूझकर ऐसा समय चुना, जब उच्चतम न्यायालय अवकाश के कारण बंद हो गया है. केंद्र सरकार ने ‘दानिक्स’ काडर के ‘ग्रुप-ए’ अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए ‘राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण’ गठित करने के उद्देश्य से शुक्रवार को एक अध्यादेश जारी किया था.

दिल्ली में नौकरशाहों के स्थानांतरण और पोस्टिंग पर उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र ने इस अध्यादेश को लाने के लिए जानबूझकर कल (शुक्रवार) रात का समय चुना. उच्चतम न्यायालय छह सप्ताह के अवकाश के कारण बंद हो गया है और यह काम को बाधित करने के लिए जानबूझकर की गई कोशिश है. आतिशी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने आठ साल की लंबी लड़ाई के बाद दिल्ली सरकार को शक्तियां दी हैं. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘लेकिन केंद्र इसे बर्दाश्त नहीं कर सका. अध्यादेश तीन सदस्यों वाले राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण के गठन की बात करता है, जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे और मुख्य सचिव एवं प्रमुख गृह सचिव इसके सदस्यों के रूप में काम करेंगे, लेकिन इस बात पर गौर किया जाना चाहिए कि मुख्य सचिव एवं प्रमुख गृह सचिव की नियुक्ति केंद्र करेगा.

विधिक जानकारों का कहना है कि केंद्र सरकार के नए अध्यादेश को दिल्ली सरकार फिर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी. इसमें संभव है कि सुप्रीम कोर्ट फिर से केंद्र सरकार को बड़ा झटका दे दे. अगर दिल्ली सरकार अध्यादेश को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में वापस जाती है, तो केंद्र को यह साबित करना होगा कि "तत्काल कार्रवाई" की आवश्यकता थी और अध्यादेश सिर्फ विधायिका में बहस और चर्चा को दरकिनार करने के लिए जारी नहीं किया गया था. 


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