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आरजेडी एमएलसी सुनील सिंह के तेवर देख भौचक्क रह गए विप आचार समिति के अध्यक्ष और सदस्य, कहा-'कलक्टर की सुनवाई नहीं कर सकता एडीएम'...

आरजेडी एमएलसी सुनील सिंह के तेवर देख भौचक्क रह गए विप आचार समिति के अध्यक्ष और सदस्य, कहा-'कलक्टर की सुनवाई नहीं कर सकता एडीएम'...

PATNA : बिहार विधान परिषद् की आचार समिति ने सभापति को अपना रिपोर्ट सौंप दिया है। लेकिन रिपोर्ट के पहले समिति ने राजद एमएलसी सुनील कुमार सिंह को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया था। समिति के सामने सुनील सिंह पांच बार बुलाने के बाद हाजिर हुए थे। समिति और उनके बीच बातचीत के कुछ अंश हम आपको बताने जा रहे हैं। 

डॉ० सुनिल कुमार सिंह : पहले आप लोग आपस में तय कर लीजिये क्योंकि कोई भी मीटिंग, दुनिया के किसी कोने में हम जाते हैं तो पहला वहां का दायित्व यह होता है कि जो मीटिंग में जो चर्चाएं हों, उसका प्रोसीडिंग तैयार किया जाय और सारे जो सदस्य हैं उनको दे दिया जाय। हम नहीं जानते हैं कि ऐसा दिया कि नहीं दिया, उस बहस में हम नहीं जाना चाहते हैं। पहले तो हमको यहीं नहीं अभी तक समिति बतायी है कि भई हमारे ऊपर आरोप क्या है, उसका क्या दस्तावेज है, किस दिन का घटना है और कौन सा अंश, जब तक आप हमको बताइयेगा नहीं यह किस तिथि का घटना है. किस अंश का घटना है, उसके पहले सभापति का जो अधिकार विश् गये और उन्होंने इसका इस्तेमाल किया कि नहीं. एकबैग आ करके कहा कि आपको कामी पर लटका दिया जायेगा ये पहला। पहले तो हमको यह बता दीजिये कि भई हमारा किस दिन का घटना का जिक्र कर रहे है. हमको वो जानकारी चाहिए, हमको तो वो सब का भी पता नहीं है।

अध्यक्ष- इनका जो आरोप पत्र है, आरोप आप एक बार पड़ दीजिये और उसकी कॉपी उनको आप लोग (कार्यालय) दे दें।

बा0 सुनिल कुमार सिंह: वो कुछ नहीं भेजे हैं। एक ऑफिस का एक स्टाफ, डायरेक्टर, हमबो एक पत्र भेजा है।

अध्यक्ष: यह आप पड़ लीजिये, एक बार पड़ लीजिये।

डा0 सुनिल कुमार सिंह हम जो मीटिंग में आये हैं, सुन नीजिये, आप लोग भी कान खोल कर सुन लें, जो हम बात बोलेंगे और जो सभापति महोदय बोलेंगे या मेरे माननीय सदस्य बोलेंगे, एक-एक चीज रेकर्ड होना चाहिए और उस पर अभी आप तुरंत टाइप करके लाइयेगा, हम दस्तखत करेंगे, उसके बाद ही हम निकलेंगे, उसके पहले हम नहीं निकल सकते हैं. समन लीजिये, ये साधारण सी बात नहीं है। पहले महोदय, हमारी आपसे हाथ जोड़कर यह बिनती है जो कि अभी आपने हमको कहा कि साहब हम आपको नोटिस दे रहे हैं, ऐसा नहीं आया। आपने ये लिखा कि हम स्टार प्रचारक हैं, हम सारण के प्रभारी हैं। जो भी भारत का निर्वाचन आयोग है उसके यहां से सर्टिफिकेट निकलता है कि कौन-कौन किस दल के स्टार प्रचारक हैं तो उसकी पुष्टि कर ली जाय कि डॉ० सुनिल कुमार सिंह स्टार प्रचारक थे कि नहीं? भारत सरकार का भी नियम है कि जब लोकसभा का निर्वाचन चत्तता है तो उसके सामने में कोई भी निर्वाचन, कोई मी कार्यवाही, बिस्कोमान का भी चुनाव चल रहा था अभी बीच में, उसको भी आगे के लिए बड़ा दिया गया तो इस निर्वाचन के मद्दे नजर तो लोकसभा के निर्वाचन से महत्वपूर्ण कोई काम नहीं था। उसी में जो मेरी व्यस्तता थी और हम सारण के प्रभारी थे, तो हम महोदय से लगातार आग्रह करते रहे कि आप हमको समय दीजिये और आपने हमको समय दिया। भले ही कम समय दिया लेकिन दिया। उसके बाद हम क्या कहें कि भाई, दुनिया के किसी भी न्यायालय, कहीं भी नेचुरल जस्टिस का प्रथम नियम होता है कि आपके ऊपर कौन से चार्जेज फ्रेम किये जा रहे हैं. इसके पहले दस्तावेज उपलब्ध कराया जाय कि आपने क्राइम क्या किया ? आपने लगातार इस चीज का हवाला दिया कि भाई ये टोटल मीटिंग गोपनीय होती है। महोदय, बही विनम्रतापूर्वक आपसे कहना है कि जिस पूरे सदन की कार्यवाही का पूरा लाइव टेलीकास्ट होता है, उसका बोला हुआ एक-एक शब्द पक्षिनक डॉक्युमेंट होता है और उस बीज को भी आप हमको देने से आना-कानी करते रहे नियम का हवाला देते हुए और नियम क्या कहता है. इसका डेफीनिशन में स्पष्ट दिया हुआ है कि सदस्य मतलब बिहार विधान परिषद् का सदस्य। इसमें देख लीजिये पेज नम्बर 2 पर। सदस्य का तात्पर्य विधान परिषद् के सदस्य से है। आपने क्या हमको हवाला दिया कि कोई भी व्यक्ति या व्यक्तियों को हम कोई भी इस तरह का कागज उपलब्ध नहीं करा सकते हैं। व्यक्ति मतलब कौन जो सदस्य नहीं है वो हुआ व्यक्ति। आप कानूनविद से इसकी परिभाषा का आप इसका पूरा परिभाषित कर लें कि मैं सही हूं या समिति इसमें सही है। देखिये इसमें स्पष्ट लिखा हुआ है पेज नम्बर 144 में महोदय साध्य लेने या पच, अभिलेख अथवा दस्तावेज मांगने की शक्ति। समिति अपनी कार्रवाईयों का पानन किसी व्यक्ति और व्यक्तियों, नो सदस्य और सदस्य । सदस्य मतलब बिहार विधान परिषद्‌का सदस्य । व्यक्ति मतलब बाहरी पानी लाने वाला हो गया, ये ले करके अभी नारता दिया वो व्यक्ति, अगर वो व्यक्ति किसी आपसी जैसे हमारे और किसी मुद्दे पर अगर भीष्म सहनी जी के बीच में जो मुद्दा चल रहा है इस संदर्भित अगर कोई साक्ष्य और कागजात मांगता है तो उसके लिए लागू होगा कि आप दीजिये या नहीं दीजिये। आप मेरे ऊपर कार्रवाई कर रहे हैं. आप मेरे ऊपर चार्ज फ्रेम कर रहे हैं और हम आपको बोल रहे हैं कि आपको इसका साध्य देना होगा, दस्तावेज देना होगा, तब हम अपनी बात को रख सकते हैं और आप कह रहे हैं कि मैं नहीं दे सकता हूं।

अध्यक्ष: चार्जेज अभी फ्रेम नहीं कर रहे हैं। चार्जेज फ्रेम तब होता है जब सारा कुछ आ जाता है। आपका पक्ष आ जाता तब न कोई बात होती। अभी तो हम आपकी बात सुनना चाहते हैं। अभी माननीय सदस्य के कहने के बाद का जो आरोप है इसका छाया प्रति इनको उपलब्ध करायी गयी और पहले पत्र जो गया था उसके साथ करके ये दोनों आपको दिया गया। मेरा अनुरोध है आप को पत्र लें और उसके आधार पर एक बार देख लें जो आरोप है, इसके संबंध में क्या कहना है।

डा० सुनिन कुमार सिंह: इसके आरोप में महोदय हमको कहना है कि पहला तो इसको हम पड़ा नहीं है। अभी हम आपसे दो-तीन चीज की जानकारी चाहते हैं सदस्य के रुप में। पहला जानकारी महोदय महोदय हम ये चाहते हैं कि समिति का गठन संविधान के किस आर्टिकल के तहत की गयी जहां आपने हमको बुलाया है। लिखिये, पहला इसका जवाब हमको चाहिए कि जो आचार समिति है इसका गठन किस उद्देश्य से और किस संविधान के आर्टिकल के तहत कब और क्यों हुई, हमको इसका पह‌ले जवाब चाहिए तब हम आगे बढ़ेंगे। दूसरा कि क्या समिति किसी भी द्वारा दिये गये आरोपों के मामले की सुनवाई जो संवैधानिक रुप से संवैधानिक पोस्ट पर बैठे हैं.. मैं मुख्य सचेतक के रूप में सदन में अपनी कार्यवाही में भाग लेता हूं तो क्या समिति जो अभी मेरी सुनवाई कर रही है वो मेरी सुनवाई कर सकती है कि नहीं, दूसरा मेरा ये है। सभापति के अतिरिक्त खुद सभापति इस मामले की सुनवाई कर सकती है. आप शायद इसकी सुनवाई नहीं कर सकते हैं। इसलिए कि कोई भी कलक्टर को, उसका ए०डी०एम० सुनवाई नहीं कर सकता है, उससे ऊंचा आदमी कर सकता है। तो महोदय, इसकी सुनवाई आप नहीं कर सकते हैं. आप इसके लिए विधि राय ले लीजिये, मैं गलत बोल रहा हूं या मही बोल रहा हूं। हम पार्टी के मुख्य सचेतक है बिरोधी दल के, हमारा काम ही है सदन में अपने पार्टी का पक्ष रखना और संवैधानिक तरीके से जनता के बात को उठाना और अगर मेरे ऊपर कोई व्यक्ति या कोई सदस्य अगर कोई आरोप लगाते हैं तो क्या इसकी सुनवाई सभापति खुद के अतिरिक्त वो पावर डेलीगेट कर सकते हैं कि नहीं और ऐसा कोई अतिरिक्त है कि कर सकते हैं तो उसका हमको एक इग्जामपुल दिया जाय। फिर तीसरा हुआ समिति द्वारा जब गठन हुआ, जब भी गठन हुआ हो, उसमें अभी भी कितने सदस्यों पर कार्रवाई हुआ है। जब हमारी सुनवाई आप कर नहीं सकते हैं तो कैसे पक्ष रख सकते हैं

प्रो. (डॉ०) राजवर्धन आजाद (अध्यक्ष) -मेरा सिर्फ यही कहना है कि ये जो भी कहना चाहते हैं न, अभी तो कुछ कहे हैं। अगर इनको और कुछ कहना है तो कह दें, उसके बाद अगली बैठक में देंगे।

डॉ. सुनिल कुमार सिंह- हमारा यही तीन क्वेश्चत है।

अध्यक्ष : तो समिति सुनवाई कर सकती है कि नहीं कर सकती है।

डा० सुनिल कुमार सिंह- हमारे मामले में, सुनिये, फिर से ध्यान से लिखिये। हम बिहार विधान परिषद् में विरोधी दल के मुख्य सचेतक है, हमारा संबैधानिक पोस्ट है, जिसमें मुझे राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया तो क्या मेरे मामले की सुनवाई बिहार विधान परिषद् के सभापति के अतिरिक्त दूसरा कोई व्यक्ति कर सकता है कि नहीं, दूसरा मेरा ये हुआ। पहला मेरा ये हुआ कि समिति का गठन संविधान के किस आर्टिकल के तहत की गयी है और कब की गयी है और तीसरा मेरा ये हुआ कि समिति अपने गठनकाल के बाद इस तरह से किसी भी माननीय सदस्य पर, कितने लोगों पर कार्रवाई की गयी।

प्रो. (डॉ०) राजवर्धन आजाद- जो भी कहना चाहते हैं कहने दें, उसके बाद जाने दिया जाय।

डा0 सुनिल कुमार सिंह: जाने का आदेश राजवर्धन बाबू आप नहीं कर सकते हैं।

प्रो. (डॉ०) राजवर्धन आजाद- जी हां, हम नहीं कर सकते हैं।

डा० सुनिल कुमार सिंह: आप सदस्य हैं। हम ये सब देखना चाहेंगे कि समिति का गठन फलना तारीख को हुआ था और इसका किस संविधान के किस आर्टिकल के तहत हुआ था पहला ये हुआ । दूसरा मेरा था कि हमारे कम्पलेन का, कोई मेम्बर कम्पलेन किया तो उसकी सुनबाई, जिसको संवैधानिक पोस्ट है राज्यमंत्री का तो उसका समिति कर सकती है कि नहीं। अगर कर सकती है तो आप तिथि निर्धारित कीजिये, हम उसी समय आ जायेंगे।

मनोज कुमार, अवर सचिव- नियमावली के प्रथम पेज पर लिखा हुआ है कि भारत सरकार के द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग के चतुर्थ प्रतिवेदन में की गई अनुशंसाओं के आलोक में बिहार विधान परिषद् में दिनांक 20.08.2010 को आचार समिति का गठन किया गया। 

वंदना शर्मा की रिपोर्ट

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