रांची. झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री के तौर पर शुक्रवार को चम्पई सोरेन ने शपथ ली. उन्हें राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. सरायकेला विधानसभा सीट से विधायक चम्पई सोरेन ने पहली बार वर्ष 1991 में बिहार विधानसभा के लिए चुनाव जीता था. उसके बाद झारखंड गठन को लेकर हुए आंदोलन में उनकी अहम भूमिका रही. झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक शिबू सोरेन के निकटस्थों में शामिल चम्पई सोरेन को झारखंड टाइगर के नाम से जाना जाता है. झारखंड में मचे राजनीतिक उठापटक के बीच झामुमो ने अब चम्पई सोरेन को बड़ी जिम्मेदारी है. हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद पार्टी ने चम्पई सोरेन पर विश्वास जताया और उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी गई.
इसके पहले झारखंड में मचे राजनीतिक उठापटक के बीच शुक्रवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता चंपई सोरेन दिशोम गुरु शिबू सोरेन से आशीर्वाद लेने पहुंचे. गुरुजी का आशीर्वाद लेने के बाद चंपई सोरेन ने कहा कि गुरुजी हमारे आदर्श हैं. शपथ लेने से पहले हमने गुरुजी और माताजी से आशीर्वाद लिया. चंपई सोरेन ने उसके बाद मुखयमंत्री के रूप में शपथ ली. उनके साथ कांग्रेस के आलमगीर आलम और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता सत्यानंद भोक्ता भी शपथ लिए हैं. आलम और भोक्ता दोनों कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ लिए. ये दोनों हेमंत सोरेन की कैबिनेट में भी मंत्री थे. माना जा रहा है कि दोनों को उप मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. वहीं झारखंड के सोरेन समर्थक विधायकों को तेलंगाना के हैदराबाद में शिफ्ट कर दिया है. वे सम्भवतः 5 फरवरी वापस रांची लौटें जिस दिन बहुमत साबित करने की बातें चल रही हैं.
हेमंत को झटका : इस बीच, कथित जमीन घोटाला मामले में गिरफ्तारी के खिलाफ झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इसमें सोरेन को बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने सोरेन से पूछा कि आप हाई कोर्ट क्यों नहीं जाते? सोरेन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यह मामला एक मुख्यमंत्री से संबंधित है जिसे गिरफ्तार किया गया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालतें सभी के लिए खुली हैं और उच्च न्यायालय संवैधानिक अदालतें हैं। इसलिए सोरेन पहले उच्च न्यायालय जाएं. यानी अब हेमंत सोरेन के मामले की सुनवाई रांची के उच्च न्यायालय में होगी.