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न राजनीति से संन्यास लेंगे, न बीजेपी में जाएंगे चंपाई सोरेन, पैतृक गांव पहुंचते ही पूर्व मुख्यमंत्री ने कर दिया साफ क्या होगा उनका कदम

न राजनीति से संन्यास लेंगे, न बीजेपी में जाएंगे चंपाई सोरेन, पैतृक गांव पहुंचते ही पूर्व मुख्यमंत्री ने कर दिया साफ क्या होगा उनका कदम

SARAIKELA : झारखंड की राजनीति में भूचाल लाने के बाद चंपाई सोरेन का अगल कदम क्या होगा, सभी को इस बात का इंतजार है। अब खुद चंपाई सोरेन ने इससे पर्दा हटा दिया है। झामुमो छोड़ने के बाद उन्होंने राजनीति से संन्यास की चर्चा की थी, लेकिन अब उन्होंने यह साफ कर दिया है कि फिलहाल राजनीति से दूर होने का इरादा नहीं रखते हैं। साथ ही उन्होंने भाजपा में शामिल होने की अटकलों पर भी विराम लगा दिया है। 

कोलकाता से लौटने के बाद बुधवार को उन्होंने सरायकेला-खरसावां जिले में स्थित अपने पैतृक गांव जिलिंगगोड़ा में एक सभा को संबोधित किया। जहां उन्होंने पांच हजार लोगों की सभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने साफ कर दिया कि वह अलग पार्टी बनाएंगे। 

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि  अगर आदिवासियों और दलितों के हित की बात करने वाला कोई साथी मिलेगा, तो उनके साथ आगे बढ़ेंगे. उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि जब मैं कुछ भी नहीं था, तब भी यहां के मजदूरों के हक में आवाज बुलंद करता था. उनकी लड़ाई लड़ता था

इस दौरान वहां मौजूद लोगों ने चंपाई सोरेन के समर्थन में जमकर नारेबाजी की. लोगों ने कहा- दादा आप आगे बढ़ें, हम आपके साथ हैं. चंपाई सोरेन आगे बढ़ें, हम आपके साथ हैं. झारखंड टाईगर जिंदाबाद के नारे भी लोगों ने लगाए

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने साफ कर दिया है कि वह राजनीति से संन्यास नहीं लेंगे. उन्होंने कहा कि वह अलग पार्टी बनाएंगे. अगर कोई साथी मिला, तो उसके साथ आगे बढ़ेंगे. इस दौरान वहां मौजूद लोगों ने चंपाई सोरेन के समर्थन में जमकर नारेबाजी की. लोगों ने कहा- दादा आप आगे बढ़ें, हम आपके साथ हैं. चंपाई सोरेन आगे बढ़ें, हम आपके साथ हैं. झारखंड टाईगर जिंदाबाद के नारे भी लोगों ने लगाए

संन्यास के बारे में सोच रहे थे चंपाई सोरेन

इससे पहले मंगलवार की रात को उन्होंने कहा था कि उन्होंने एक बार तय किया था कि वह राजनीति से संन्यास ले लेंगे. लेकिन, उनके समर्थकों के उत्साह को देखते हुए अब उन्होंने तय किया है कि संन्यास नहीं लेंगे. जनता की सेवा करेंगे. उन्होंने कोलकाता से लौटते समय जगह-जगह रुककर अपने समर्थकों के साथ बातचीत की और उसके बाद इस फैसले पर पहुंचे कि वह राजनीति में सक्रिय रहेंगे. समान विचारधारा वाले दल के साथ काम करेंगे.

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