DESK: चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामला तुल पकड़े हुए है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। वहीं आज की सुनवाई में रिटर्निंग ऑफिसर ने अदालत में कबूल किया है कि उन्होंने मतपत्र पर निशान लगाए थे। अदालत में रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह पहुंच हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें वायरल वीडियो में देखे गए उनके आचरण के बारे में सफाई देने के लिए कहा था।
वहीं सुनवाई के दौरान सीजेआई में पूछा कि मेयर ने इस्तीफा दे दिया है या नहीं? वहीं सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि आरोप-प्रत्यारोप से बचने के लिए आप हाई कोर्ट से रिटर्निंग ऑफिसर के रूप में काम करने के लिए अधिकारी को नियुक्त करने का अनुरोध कर सकते हैं। वहीं इस मामले में याचिकाकर्ता ने कहा कि ऐसे दो उदाहरण हैं जब मतपत्र को अवैध मानकर खारिज किया जा सकता है।
पहला, कागज पर एक निशान होता है जिससे मतदाता पहचान करता है। दूसरा यह कि वोट क्रॉस से इस तरह से किया जाता है कि यह पहचानना मुश्किल हो जाता है कि वोट किसके पक्ष में है। आम आदमी पार्टी के मेयर प्रत्याशी (याचिकाकर्ता) ने कहा कि हमारा पॉइंट ये है कि क्या रिटर्निंग अधिकारी के निशान से मतपत्र अवैध हो जाएंगे। नए सिरे से चुनाव कराने के बजाय, वर्तमान मतपत्रों की गिनती की जा सकती है, निशानों की परवाह किए बिना।
वहीं इसके जबाव में सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि, आदलत में याचिका दोबारा चुनाव कराने के लिए दायर की गई थी। वहीं याचिकाकर्ताओं ने विधायकों की खरीद-फरोख्त को लेकर भी आशंका जताई है। वहीं सीजेआई ने याचिककर्ता से सवाल किया कि कितने बैलेट पेपर और पार्षद हैं। जिसके जबाव में 36 मतपत्र है, 35 पार्षद और एक सांसद है, जिनके पास निर्णायक वोट है।
जानकारी के अनुसार चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है। अदालत ने कहा है कि चुनाव अधिकारी ने माना है कि उन्होंने बैलेट पेपर्स से छेड़छाड़ की थी और उनके खिलाफ केस चलना चाहिए। यही नहीं शीर्ष अदालत ने कहा कि बैलेट पेपर्स की वह खुद जांच करेगा। बेंच ने कहा कि इस चुनाव में हॉर्सट्रेडिंग यानी पार्षदों का दलबदल चिंताजनक है। अदालत ने कहा कि चुनाव अधिकारी अनिल मसीह ने खुद माना है कि वह गड़बड़ी में शामिल थे और बैलेट पेपर्स से छेड़छाड़ की गई थी। यही नहीं शीर्ष अदालत ने कहा है कि इस मामले में वह मंगलवार को फिर से सुनवाई करेगा।