चंद्रयान 3 ने भेजी चंद्रमा की जानकारी, 14 दिनों तक करेगा प्रयोग

चंद्रयान 3 ने भेजी चंद्रमा की जानकारी, 14 दिनों तक करेगा प्रयोग

दिल्ली- चंद्रयान-तीन के विक्रम लैंडर ने चंद्रमा से जानकारी इकट्ठा कर उसे भेजना शुरू कर दिया है. लैंडर विक्रम ने जो पहला वैज्ञानिक डाटा वहां से भेजा है उसमें चंद्रमा की सतह और सतह के नीचे के तापमान के बारे में बताया है. इसमें बताया गया है कि इसका तापमान तेजी से बदलता है. मिसाल के तौर पर चंद्रमा की सतह पर 50 डिग्री तापमान है लेकिन महज 80 मिलीमीटर नीचे तापमान माइनस 10 डिग्री है. बहरहाल, इस तरह का वैज्ञानिक डाटा हासिल करना चंद्रयान-तीन मिशन की बड़ी सफलता है. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरे चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम ने अपने निर्धारित प्रयोग करने शुरू कर दिये हैं. लैंडर विक्रम के साथ लगे चंद्र सर्फेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट  उपकरण ने चांद की सतह की तापमान भिन्नता का अहम डेटा दर्ज कर भेजा है. 

इसरो ने इस बाबत सोशल मीडिया पर जानकारी साझा किया .जानकारी के अनुसार लैंडर विक्रम के एक ग्राफ के अनुसार, 8 सेंटीमीटर की गहराई पर, चेस्ट पेलोड ने तापमान -10 डिग्री सेंटीग्रेड तक पाया. धीरे-धीरे सतह की ओर बढ़ने के साथ तापमान बढ़ा और सतह के ऊपर, ग्राफ ने 50-60 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच तापमान दिखाया. इसरो ने कहा कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के लिए यह पहली ऐसी प्रोफाइल है. अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, चेस्ट पेलोड में तापमान को मापने का एक यंत्र लगा है जो सतह के नीचे 10 सेंटीमीटर की गहराई तक पहुंचने में सक्षम है.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो ने बताया है कि विक्रम लैंडर की थर्मल जांच में रिकॉर्ड किया गया कि सतह पर, सतह के पास और चंद्रमा की सतह पर गहराई में तापमान कैसे बदलता है. इसरो ने चंद्रमा की सतह और उसके नीचे के तापमान को मापने की वैज्ञानिक विधि के बारे में भी जानकारी दी. चंद्रमा पर कोई वायुमंडल नहीं है और चंद्रमा की सतह पर तापमान काफी अलग होता है. इसरो ने इसकी विविधताओं को एक ग्राफ के रूप में पेश किया.

बता दें विक्रम लैंडर 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरा था. इसके साथ भारत चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में उतरने वाला एकमात्र देश बन गया. जिस तरह पर विक्रम लैंडर उतरा था उसको बाद में शिव शक्ति प्वाइंट नाम दिया गया. 


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