आनंद मोहन की रिहाई के लिए कानून बदलना नीतीश सरकार के लिए बनी मुसीबत, विरोध में उतरा IAS एसोसिएशन

आनंद मोहन की रिहाई के लिए कानून बदलना नीतीश सरकार के लिए बनी मुसीबत, विरोध में उतरा IAS एसोसिएशन

PATNA : कानून बदलकर जिस तरह से बिहार सरकार ने आनंद मोहन की रिहाई का आदेश जारी किया है, उसे लेकर न सिर्फ राजनीतिक बिरादरी में विरोध हो रहा है। बल्कि अब सरकार के फैसले के खिलाफ देश भर के आईएस भी उतर आए हैं। इंडियन सिविल एंड एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (सेंट्रल) एसोसिएशन नई दिल्ली ने नीतीश सरकार के इस फैसले को लेकर निराशा जताई है। जिसको लेकर एसोसिएशन ने एक लेटर भी जारी किया है। साथ ही राज्य सरकार से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है।

इस लेटर में लिखा है कि सेंट्रल आईएएस एसोसिएशन गोपालगंज के पूर्व जिलाधिकारी स्वर्गीय श्री जी कृष्णैया की नृशंस हत्या के दोषियों को कैदियों के वर्गीकरण नियमों में बदलाव कर रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले पर गहरी निराशा व्यक्त करता है। कर्तव्यपरायण लोक सेवक की हत्या के आरोप में दोषी को कम जघन्य श्रेणी में पुनर्वर्गीकृत नहीं किया जा सकता। 

प्रशासन का मजाक उड़ाने का आरोप

एक मौजूदा वर्गीकरण में संशोधन, जो कर्तव्य पर एक लोक सेवक के सजायाफ्ता हत्यारे की रिहाई की ओर ले जाता है, न्याय से वंचित करने के समान है। इस तरह के कमजोर पड़ने से लोक सेवकों के मनोबल में गिरावट आती है, लोक व्यवस्था को कमजोर किया जाता है और न्याय के प्रशासन का मजाक उड़ाया जाता है। हम दृढ़ता से राज्य सरकार से अनुरोध करते हैं। बिहार सरकार जल्द से जल्द अपने फैसले पर पुनर्विचार करे।

बता दें गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की हत्या के आरोप में आनंद मोहन 14 साल की जेल की सजा पूरी कर चुके हैं। लेकिन कानूनन सरकारी अधिकारी के हत्या के कारण उनकी रिहाई संभव नहीं हो पा रही थी। ऐसे में पिछले दिनों राज्य सरकार ने अपने ही बनाए कानून में संशोधन करने का फैसला लिया और आनंद मोहन की रिहाई का आदेश जारी कर दिया। राज्य सरकार के इस फैसले के विरोध में मायावती सहित कई राजनेता विरोध में उतर आए हैं। 




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