पटना. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले दिनों विधानसभा में दलित समुदाय से आने वाले पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पर सदन में आपा खो दिया. मांझी को सीएम नीतीश ने सदन में तू-तड़ाक करके जमकर खीज निकाली. अब सीएम नीतीश और मांझी के बीच का प्रकरण भाजपा के लिए चुनावी मुद्दा बन गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे लेकर नीतीश कुमार को सबसे बड़ा दलित विरोधी करार दिया है. उन्होंने कह, बिहार विधानसभा में निर्लज्जता के साथ दलित नेता और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी को अपमानित किया गया. पीएम मोदी ने दावा किया कि इससे इससे पहले मेरे मित्र स्व. रामविलास पासवान को भी नीतीश कुमार अपमानित किया गया था. दलितों को इसी तरीके से अपमानित करना नीतीश और कांग्रेस के साथी दलों की आदत है.
रामविलास पासवान को लेकर पीएम मोदी की आए इस बयान पर अब रामविलास के बेटे चिराग पासवान भी सीएम नीतीश पर भड़क गए हैं. उन्होंने पीएम मोदी के बयान का समर्थन करते हुए रविवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाला. उन्होंने कहा, 'कुछ लोग कई बार मुझसे सवाल करते हैं कि 2020 में आपने एनडीए से अलग चुनाव लड़ने का निर्णय क्यों लिया। इसके दो कारण थे - पहला मुझे तब भी यकीन था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में बिहार का विकास संभव नहीं था और दूसरा ये कि जिस तरह नीतीश कुमार जी ने मेरे पिता का अपमान किया था उसे कोई पुत्र सह नहीं सकता था। मैं उस व्यक्तिगत पीड़ा को अपने अंदर ही समेटे रखना चाहता था लेकिन तेलांगना में आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने इस बात का ज़िक्र मंच से किया तो मुझे लगता है कि मैं साथियों के उस प्रश्न का जवाब अब देने की स्थिति में हूँ।
चिराग लिखते हैं, मैं आभारी हूँ कि आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने बात को सार्वजनिक करते हुए याद किया कि कैसे राज्यसभा चुनाव के वक्त मुख्यमंत्री जी ने हमलोगों के साथ सामंती व्यवहार किया था। एक पुत्र के लिए पिता के आदर-सम्मान से बढ़ कर और क्या हो सकता है। मैंने एनडीए से अलग अकेले चुनाव लड़ने का संकल्प लिया क्योंकि मुझे नीतीश कुमार जी का नेतृत्व अस्वीकार था। मेरी पार्टी तोड़ने वालों ने सबकुछ जानते हुए स्वार्थवश मुझ पर आरोप लगाए कि उन्होंने पार्टी इसलिए तोड़ी क्योंकि वे नीतीश जी के साथ चुनाव लड़ना चाहते थे और मैंने ऐसा होने नहीं दिया।
उन्होंने नीतीश कुमार पर कहा, उस वक़्त उनके आचरण से मुझे बहुत ठेस पहुंचा। मैं दुखी हुआ था क्योंकि वे भलीभांति जानते थे कि राज्यसभा चुनाव के वक्त नीतीश कुमार ने पिता जी के साथ कैसा बर्ताव किया था। मैं समझ नहीं पा रहा था कि जिन्हें वे अपना भगवान बताते नहीं थकते थे उनके अपमान के बावजूद अपमान करने वाले के साथ रहकर चुनाव लड़ना उन्हें कैसे मंजूर था ? उस वक़्त मेरे पास इस हक़ीक़त को ज़ाहिर करने और अपनी बात को लोगों तक पहुँचाने के लिए कोई साक्ष्य नहीं था,लेकिन समय बलवान होता है शायद उन्हें आज प्रधानमंत्री जी के इस बयान के बाद जवाब मिल गया होगा। मुझे गर्व है कि मैंने किसी मंत्री पद की लालच में अपने पिता के सम्मान से कोई समझौता नहीं किया।'