VAISHALI : अपराध, भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे वैशाली जिला को उबारना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है। कई ईमानदार व कर्तव्यनिष्ठ पुलिस व प्रशासनिक अफसरों तक के सर्विस रिकार्ड पर प्रश्नचिन्ह लगा चुका है। वैसे में ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अफसर यहां के सिस्टम से हारकर ट्रांसफर लेना ही बेहतर समझा। छह माह पूर्व सिविल सर्जन बनकर आए डॉ अखिलेश मोहन तीन साल सेवा शेष रहते वीआरएस ले लिया। हालांकि उन्होंने साफ दिया है कि यहां आने से पहले ही ऐच्छिक सेवानिवृति के लिए वे अप्लाई कर चुके थे। लेकिन यह जरूर कहा कि जिले में बदतर स्वास्थ्य सुविधाओं को सुधारना बड़ी मुश्किल है।
बताते चलें कि बीते जनवरी माह में डॉ अखिलेश मोहन वैशाली सीएस का चार्ज लिया था। यहां आने से पहले वे वीआरएस के लिए विभाग को लिख चुके थे। वीआरएस स्वीकृति की प्रक्रिया में छह माह लग गए। बताया जाता है कि नवादा में उनके खुद का अस्पताल बेहतर चल रहा है। खुद के हॉस्पिटल की देखरेख के लिए उन्होंने वीआरएस लेने का निर्णय लिया।
बताते चलें कि अखिलेश मोहन बिहार के पहले सीएस हैं, जिन्होंने वीआरएस लिया है। सीएस का चार्ज लेने के साथ ही जिलास्तरीय सदर अस्पताल से लेकर अनुमंडलीय, रेफरल, पीएचसी, एपीसीएच की स्वास्थ्य सेवा दुरुस्त करने के लिए लगातार दौरा, भ्रमण करते रहे। कैम्पस को दलालमुक्त करने के लिए लगातार कार्रवाई की जा रही थी। उनके प्रयास से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार दिखने लगा था। शनिवार को अचानक उनके वीआरएस ले लेने की सूचना पर सुधार से राहत महसूस कर रहे लोगों में बेचैनी बढ़ गई। फोन कर लोग पुष्टि कर रहे थे।
वैशाली से विकास महापात्रा की रिपोर्ट