CM नीतीश ने डबल 'C' से किया समझौता! क्राइम-करप्शन पर पर्दा डालने की होती है कोशिश, भ्रष्टाचारियों को बचाने का खुला खेल,पढ़ें...

PATNA: बिहार में अपराध और भष्टाचार से लोग त्राहिमाम कर रहे हैं. अपराधियों और भ्रष्टाचारियों का मनोबल सिर चढ़ कर बोल रहा है। बार-बार क्राइम-करप्शन और कम्यूलिज्म से समझौता नहीं करने के बड़े-बड़े दावे करने वाले नीतीश कुमार ने ट्रिपल सी में डबल सी पर समझौता कर लिया है। सुशासन राज में नाक के नीचे हाई प्रोफाईल मर्डर हो रहा लेकिन पुलिस सात दिनों बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। पुलिस जांच के नाम पर पूरे मामले को उलझा कर रखी हुई है। हालांकि जांच के नाम पर उलझाना सुशासन की सरकार की पुरानी नियति रही है।जानकार बताते हैं कि अपराध और भ्रष्टाचार मामले में जांच के नाम पर पूरे मामले को दबाने की कोशिश कोई नई बात नहीं है। अब तक अपराध और भ्रष्टाचार के कई ऐसे मामले हैं जिन्हें जांच के नाम पर गोलमाल करने की साजिश रची गई.
सुशासन का खत्म हुआ इकबाल
पटना में रूपेश मर्डर केस के बाद नीतीश सरकार के सुशासन की भारी किरकिरी हो रही है। सुशासन का इकबाल खत्म होने के सवाल पर मुख्यमंत्री भड़क चुके हैं. मुख्यमंत्री ने कहा है कि मर्डर किसी को कह करके तो होता नहीं। रूपेश हत्याकांड के खुलासे को लेकर पुलिस लगी हुई है,बहुत जल्द मामले का खुलासा होगा। लेकिन हफ्ते भर बीतने के बाद भी पुलिस को कहने के लिए कुछ भी नहीं है। वही हाल भ्रष्टाचार का भी है। राजधानी पटना में ही करोड़ों के भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ लेकिन जांच के नाम पर पूरे मामले को दबाने की कोशिश जारी है.
सीएम नीतीश के दूसरे C यानी करोड़ों के करप्शन को जानिए
पटना में क्राइम के बाद करप्शन की बात कर लेते हैं. सुशासन राज में कुछ बड़े लोगों के संरक्षण में पटना में भ्रष्टाचार का खुला खेल खेला जा रहा था। सब कुछ इतने तरीके से था कि किसी को कुछ दिनों तक पता ही नहीं चला। लेकिन सितंबर 2020 में यह खेल न्यूज4नेशन की टीम की नजर में जैसे ही आई तो करोडो़ं के भ्रष्टाटार का पर्दाफाश हो गया। अब लक्ष्य यह है कि इसे अंजाम तक पहुंचाया जाये। इसी सिलसिले में न्यूज4नेशन ने सरकार के नाक की नीचे पटना के DTO ऑफिस में सितंबर 2020 को बड़े स्तर पर गड़बड़ी का खुलासा किया था. बता दें पटना के तत्कालीन डीटीओ व अन्य की मिलीभगत से करोड़ों की सरकारी राशि का वारा-न्यारा किया गया था। साहब और बाबू ने मिलकर नीतीश सरकार के कथित सुशासन को तार-तार किया था। बताया जाता है कि इस बड़े गड़बड़झाले की कमाई ऊपर तक पहुंचती थी। लिहाजा पटना डीटीओ ऑफिस में दोनों हाथ से सरकारी राजस्व की भारी लूट हुई और सचिवालय तक बाबूओं और हाकिमों ने मिल-बांट कर खूब खाया। मामले का खुलासा भी हुआ,मीडिया में घोटाले की खबर भी आ गई,आई वॉश के लिए जांच भी बिठाई गई....।लेकिन 2020 से 2021 आ गया पर जांच की गाड़ी एक कदम भी नहीं बढ़ी। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि इस घोटाले में जिला से लेकर विभाग तक के अधिकारी मिले हुए हैं.सुशासन राज में इतनी बड़ी गड़बड़ी के बाद भी एक्शन नहीं होने से अब तो यह प्रमाणित होने लगा है. एक कहावत है कि 'हम्माम में सब नंगे हैं' यह चरितार्थ हो रहा है। अब तो यह ठोक कर कहा जा सकता है भ्रष्टाचार की हवेली में बैठे सुशासन राज के अधिकारी ही सीएम नीतीश की इमेज पर कालिख पोतने में जुटे हैं.
...जवाब दे सरकार- इतने दिन बाद भी जांच क्यों नहीं हुई पूरी
न्यूज4नेशन ने इस संबंध में जांच अधिकारी से लेकर जांच संबंधी आदेश देने वाले अधिकारी से जानकारी मांगी। लेकिन कोई अपडेट नहीं मिला।आखिर जानकारी देंगे भी तो क्या देंगे....जांच की गाड़ी बढ़ी ही नहीं होगी। यानि पूरे मामले पर पर्दा डालने की कोशिश अब सचिवालय स्तर से की जा रही है। राजद भी कह रहा कि कथित सुशासन राज में अफसरशाही से सुनियोजित भ्रष्टाचार के जनक सत्ताधारी JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. लिहाजा सुशासन राज में लूट आम बात है और भ्रष्टाचारियों का सीधा कनेक्शन ऊपर तक है .
18 नवंबर 2020 को परिवहन आयुक्त ने क्या कहा था?
बिहार के परिवहन आयुक्त ने 18 नवंबर को न्यूज4नेशन से बातचीत में कहा था कि पटना डीटीओ ऑफिस में फर्जीवाड़े को लेकर जो जांच टीम गठित की गई थी उसने अभी अपनी रिपोर्ट नहीं दी है। हमने भी उस संबंध में कोई जानकारी नहीं ली है। उन्होंने बताया कि चुनाव की वजह से जांच में देरी हुई है। अब नई सरकार बन गई है और जांच टीम जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई के संबंध में जानकारी देंगे।जानकार बताते हैं कि 22 दिन बाद भी अब तक जांच टीम ने जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी है।
तत्कालीन डीटीओ-कर्मी पर भारी गड़बड़ी का आरोप
तत्कालीन डीटीओ अजय कुमार ठाकुर और लिपिक अमित कुमार गौतम पर फर्जीवाड़े के गंभीर आरोप लगे थे। 17 सितंबर 2020 को ही मामले का खुलासा हुआ था। इसके बाद लाज बचाने के लिए परिवहन विभाग की तरफ से जांच टीम गठित की गई थी। लेकिन इतने दिन बीत गए अब तक कोई रिपोर्ट नहीं आई है। ऐसे में अब तो जांच टीम पर ही गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. बताया जाता है कि जांच टीम मामले को रफा-दफा करने में जुटी है। परिवहन आयुक्त का कहना था कि चुनाव की वजह से थोड़ी देरी हुई है यह कहे हुए भी महीनों बीत गए लेकिन सरकार के नाक के नीचे पटना डीटीओ में हुए घोटाले की जांच रिपोर्ट अब तक नहीं आई है। ऐसे में यही कहा जा सकता है कि जांच टीम ने ही बचाने की सुपारी ले ली है।ऐसे ही अधिकारी सीएम नीतीश के सुशासन को तार-तार कर रहे।
जानिए पूरा मामला
पटना के तत्कालीन डीटीओ-कर्मी की मिलीभगत से वाहन BS-4 वाहन का बिना सरकारी राजस्व के ही निबंधन और चोरी की गाड़ी का भी निबंधन किया गया था. इस कारनामें से सरकार को पचास करोड़ से अधिक के राजस्व की क्षति हुई थी। इसके साथ ही तत्कालीन डीटीओ अजय कुमार ठाकुर और कर्मी अमित कुमार गौतम पर कई अन्य आरोप लगे थे। वर्तमान डीटीओ ने 17 सितंबर को अपनी रिपोर्ट परिवहन कमिश्नर को भेज दिया था,जिसमें पूरे मामले की जांच कराने और जिम्मेदार अधिकारी और कर्मी पर कार्रवाई करने का आग्रह किया गया था। डीटीओ के घोटाले वाले पत्र के बाद परिवहन कमिश्नर ने जांच के लिए कमेटी बनाई थी। तत्कालीन डीटीओ और कर्मी ने हर गुनाह किये लेकिन परिवहन विभाग के आलाधिकारी मौन साधे रहे। करोड़ों के इस खेल का खुलासा होने के बाद परिवहन विभाग ने इज्जत बचाने के लिए जांच टीम तो बैठाई लेकिन अब तक टीम आगे नहीं बढ़ पाई इतने दिन भी अब तक जांच टीम ने क्या जांच किया,यह अब तक किसी को पता नहीं। ऐसे में बड़ा सवाल खड़े हो रहे कि क्या चहेते सरकारी कर्मियों को बचाने की साजिश तो नहीं ? अब तो जांच कमेटी ही सवालों के घेरे में आ गई है। बड़ा सवाल यही कि पटना डीटीओ में हुए घोटाले की जांच करने वाली टीम 80 दिनों से क्या कर रही है? कहीं रखूखदार अफसर और कर्मी को बचाने की चाल तो नहीं ?