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मंत्रिमंडल बर्खास्त करेंगे CM नीतीश ! पूर्व मुख्यमंत्री का सुझाव- ‘जिस जाति की जितनी संख्या भारी, मिले उसको उतनी हिस्सेदारी’

मंत्रिमंडल बर्खास्त करेंगे CM नीतीश ! पूर्व मुख्यमंत्री का सुझाव- ‘जिस जाति की जितनी संख्या भारी, मिले उसको उतनी हिस्सेदारी’

पटना. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने बुधवार को सीएम नीतीश से मांग की कि वे राज्य मंत्रिमंडल बर्खास्त कर दें. मांझी की यह मांग बिहार के जारी हुई जातीय गणना की रिपोर्ट आने के बाद की गई है और उन्होंने जातीय गणना को आधार बनाकर ही मंत्रिमंडल बर्खास्त करने की मांग की है. दरअसल, जाति गणना रिपोर्ट आने के बाद सत्तारूढ़ महागठबंधन के कई नेताओं ने जिसकी जितनी संख्या ज्यादा उसकी उतनी हिस्सेदारी का नारा दिया है. अब इसी को आधार बनाकर जीतनराम माझी ने नीतीश कुमार को निशाने पर लिया है. 

उन्होंने सोशल मीडिया पर किए एक पोस्ट में कहा, ‘जिसकी जितनी संख्या भारी,मिले उसको उतनी हिस्सेदारी के तर्ज पर मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी से आग्रह करता हुं कि राज्य मंत्रिमंडल को बर्खास्त कर संख्या आधारित मंत्री परिषद का गठन करें जिससे समाज के हर तबके को प्रतिनिधित्व का मौका मिल पाए। दरी बिछाने वाला ज़माना गया, जो बिछाएगा वही बैठेगा।‘

मांझी ने नीतीश को साफ संदेश दिया है कि अगर आप ‘जिसकी जितनी संख्या भारी, मिले उसको उतनी हिस्सेदारी’ की बात करते हैं तो सर्वाधिक संख्या वाली जातियों को अपने मंत्रिमंडल में जगह दें. दरअसल, बिहार में सबसे ज्यादा अत्यंत पिछड़ा वर्ग की आबादी 36.01 फीसदी है. वहीं पिछड़ा वर्ग की आबादी 27.12 फीसदी, अनुसूचित जाति यानी दलित की आबादी 19.65 फीसदी, अनुसूचित जनजाति की आबादी 1.68 फीसदी है. वहीं अनारक्षित यानी सवर्ण वर्ग की आबादी 15.52 फीसदी है. ऐसे में मांझी ने नीतीश कुमार को याद दिलाया है कि वे अपने मंत्रिमंडल में भी उन जातियों को जगह दें जिनकी संख्या ज्यादा है. मांझी मुसहर समुदाय से आते हैं जो दलित वर्ग है और बिहार में इसकी आबादी मुसहर- 3.09% है. 

जातिवार देखें तो बिहार में कुल 215 जातियों की गिनती हुई है। इसमें 1 परसेंट से ज्यादा आबादी वाली जातियों की 13.07 करोड़ की आबादी में हिस्सेदारी देखें तो यादव सबसे आगे हैं। बिहार की आबादी में शेयर के हिसाब से यादव- 14.27%, दुसाध, धारी, धरही- 5.31%, मोची, चमार, रविदास- 5.26 %, कुशवाहा (कोइरी)- 4.21%, ब्राह्मण- 3.66%, मोमिन- 3.55%, राजपूत- 3.45%, शेख- 3.82%, मुसहर- 3.09%, कुर्मी- 2.88%, भूमिहार- 2.87%, तेली- 2.81%, मल्लाह- 2.61%, बनिया- 2.32%, कानू- 2.21%, धानुक- 2.14%, नोनिया- 1.91%, सुरजापुरी मुस्लिम- 1.87%, पान, सवासी, पानर- 1.70%, चन्द्रवंशी- 1.65%, नाई- 1.59%, बढ़ई- 1.45%, धुनिया- 1.43%, प्रजापति- 1.40% और कुंजरा- 1.40% हैं। सवर्ण जातियों में कायस्थ की आबादी एक परसेंट से कम 0.60 परसेंट के आसपास आई है। 

पिछले वर्ष अगस्त 2022 में जब सीएम नीतीश ने मंत्रिमंडल गठन किया था तब नीतीश कैबिनेट में 31 मंत्री बनाए गए हैं. इस तरह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के साथ कैबिनेट में कुल 33 सदस्य हो गए. इसमें पिछड़े और अतिपिछड़े समुदाय से सबसे ज्यादा 17 मंत्री बनाए गए हैं. इतना ही नहीं दलित-5 और 5 मुस्लिम नेताओं को कैबिनेट में शामिल किया गया तो सवर्ण जातियों से 6 मंत्री बनाए गए हैं. बाद में राजद कोटे से मंत्री बने सवर्ण जाति से आने वाले सुधाकर सिंह और कार्तिक सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. वहीं जीतन राम मांझी के महागठबंधन से अलग होने पर उनके बेटे संतोष सुमन भी मंत्रिमंडल से बाहर हो गए थे लेकिन उसके बाद सीएम नीतीश ने मुसहर जाति से आने वाले रत्नेश सदा को मंत्री बनवाकर उनकी रिक्ति को भर दिया. ऐसे में अब जीतनराम मांझी ने इन्हीं वजहों से नीतीश कुमार को कहा है कि वे मंत्रिमंडल बर्खास्त कर जातीय आधार पर मंत्रिमंडल का फिर से गठन करे. 

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