KATIHAR : हाल में ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में जल जीवन हरियाली पर पटना में एक बड़ा कार्यक्रम किया था, जिसमें इस प्रोजेक्ट के अगले चरण का आरंभ किया गया। इस दौरान सीएम ने प्रोजेक्ट के पुराने कार्य को लेकर अधिकारियों को चेताया था कि सिर्फ मुझे दिखाने के लिए कार्य मत करिए, जनता को दिखना चाहिए। मुख्यमंत्री की यह बातें कितनी सही है, यह कटिहार के चमरू पोखर की स्थिति को देखकर समझा जा सकता है। जिसकी बदहाली जल जीवन हरियाली की असलियत को बयां करती है।
कटिहार में तीन साल पहले 7 जनवरी 2020 को सूबे के मुख्यमंत्री कटिहार रौतार में 14 पोखर से घिरे चामुरू पोखर को जल जीवन हरियाली के मॉडल के रूप में विकसित करने का वादा किया था मगर तीन साल पूरा होते होते स्थानीय मान्यताओं के कारण चामुरू ऋषि के पहचान से जुड़े 14 पोखर के इस सामूहिक स्थल के जल जीवन हरियाली मॉडल पूरी तरह धराशाई हो चुका है।
मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट जल जीवन हरियाली के तहत पोखर के केयरटेकर के रूप में काम करने वाले वृद्धि सोबराती कहते हैं वह इस स्थल पर 13 सौ से अधिक पेड़ लगाए हैं और इसका रखरखाव भी किये हैं। लेकिन फंड की कमी से अब मुश्किल हो रही है।
महज 15 सौ के मानदेय पर 24 घंटे ड्यूटी
चामुरू पोखर की देखरेख कर रहे वृद्धि सोबराती ने उनके मानदेय को बढ़ाने का भरोसा सीएम ने दिया था। लेकिन मुख्यमंत्री के वादे के बावजूद अब तक उन्हें महज 15 सौ रुपया का ही मानदेय पर 24 घंटा देखरेख का कार्य करना पड़ता है, स्थानीय लोग भी जल जीवन हरियाली के मॉडल की इस फ्लॉप शो पर अफसोस जताते हुए जल्द इसकी कायाकल्प होने की उम्मीद कर रहे हैं