PATNA: नीतीश सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने हथियार की धार को खुद ही कुंद करने पर तुली है. बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ सीएम नीतीश का जो अभियान था वो सुस्त पड़ते जा रहा है. आर्थिक अपराध इकाई इस लड़ाई में सरकार का बड़ा हथियार साबित हो रही थी. 2021-22 में इस जांच एजेंसी ने बड़े से बड़े भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की. लेकिन 2023 में जांच एजेंसी सुस्त दिख रही है. हद तो तब हो गई जब नीतीश सरकार आर्थिक अपराध इकाई की ताकत को ही लगातार कम करने पर तुली है. किसी भी जांच एजेंसी की ताकत उसके अधिकारी होते हैं. लेकिन यहां तो अधिकारियों की संख्या में ही कमी की जा रही है. ईओयू में पदस्थापित अधिकारियों को हटाया जा रहा है. मई से लेकर अब तक नीतीश सरकार ने आर्थिक अपराध इकाई से 6 डीएसपी हटाए हैं. 13 सितंबर को जारी पहली अधिसूचना में ईओयू से दो डीएसपी हटाये गए थे. न्यूज4नेशन ने इस पर खबर चलाई. बुधवार शाम में डीएसपी के ट्रांसफर की दूसरी लिस्ट जारी की गई. दूसरी लिस्ट में आर्थिक अपराध इकाई में दो डीएसपी भेजे गए।
खबर के बाद दो डीएसपी की पोस्टिंग
दूसरी लिस्ट में दो पुलिस अधिकारियों को आर्थिक अपराधिकारी में पदस्थापित किया गया है, इसमें बेगूसराय के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी कुमार वीर धीरेंद्र को पुलिस उपाधीक्षक बनाया गया है. वहीं कुमार इंद्र प्रकाश अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सुपौल को भी आर्थिक अपराध इकाई में डीएसपी के पद पर पदस्थापित किया गया
ईओयू की ताकत कम करने में जुटी सरकार !
गृह विभाग ने 13 सितंबर को एक बार फिर से डीएसपी-एसडीपीओ का ट्रांसफऱ-पोस्टिंग किया है. पहली लिस्ट में कुल तैंतीस डीएसपी को इधर से उधऱ किया गया . लेकिन सबसे खास बात यह कि एक बार फिर से आर्थिक अपराध इकाई में पदस्थापित दो डीएसपी का ट्रांसफर किया गया है. उन्हें एसडीपीओ बनाया गया है. नीतीश सरकार की नई अधिसूचना में आर्थिक अपराध इकाई में पदस्थापित दो डीएसपी का तबादला कर दिया गया है. ईओयू के पुलिस उपाधीक्षक दिलीप कुमार को अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सासाराम बनाया गया है. जबकि आर्थिक अपराध इकाई में ही पदस्थापित नवल किशोर को अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सोनपुर बनाया गया है. पिछले दो अधिसूचना में आर्थिक अपराध इकाई में पदस्थापित तीन डीएसपी को वहां से हटा दिया गया. लेकिन नए लोगों को वहां पर पदस्थापित नहीं किया गया है.
मई से लेकर अब तक ईओयू से छह डीएसपी हटाये गए मिले सिर्फ एक
बता दें, गृह विभाग ने 6 अगस्त को पांच डीएसपी का ट्रांसफर किया था. इसमें भी आर्थिक अपराध इकाई को छुआ गया था. तब नीतीश सरकार ने आर्थिक अपराध इकाई के पुलिस उपाधीक्षक प्रीतम कुमार को स्थानांतरित कर पालीगंज अनुमंडल का एसडीपीओ बनाया था. इसके पहले 24 मई को भी नीतीश सरकार ने आर्थिक अपराधिकारी से तीन डीएसपी को हटा दिया था. बदले में केवल एक नए डीएसपी की ईओयू में पोस्टिंग की थी. तब कौशल किशोर कमल को आर्थिक अपराध इकाई से स्थानांतरित कर पुलिस उपाधीक्षक यातायात पूर्णिया के पद पर पदस्थापित किया था. वहीं राज किशोर कुमार को पुलिस उपाधीक्षक यातायात दरभंगा भेजा था.आर्थिक विकास इकाई के ही डीएसपी मुकेश कुमार ठाकुर को स्थानांतरित कर उपमहानिरीक्षक कार्यालय बेगूसराय पद स्थापित किया गया था. तब तीन डीएसपी को हटाकर सरकार ने सिर्फ एक पुलिस उपाधीक्षक सर्वेश चंद्र को पदस्थापित किया था.
बता दें, आर्थिक अपराध इकाई या निगरानी ब्यूरो द्वारा दर्ज आय से अधिक संपत्ति केस में डीएसपी को ही जांच पदाधिकारी नियुक्त किया जाता है. डीएसपी रैंक से नीचे के अधिकारी डीए केस में आईओ नहीं बन सकते. जब इन जांच एजेंसियों के पास डीएसपी की संख्या में कमी होगी तो स्वाभाविक है कि सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर प्रहार में कमी दिखेगी.