पटना. बिहार में विधानसभा चुनाव होने में भले ही एक साल से ज्यादा का समय शेष हो लेकिन अभी से ही सियासी दलों द्वारा अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप दिया जाने लगा है. कांग्रेस ने इसी क्रम में पूर्व IAS अधिकारी गोरखनाथ को दल में शामिल कराकर कई दिग्गजों को चुनाव में मात देने की योजना बना ली है. बिहार प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पटना में गोरखनाथ को बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ अखिलेश सिंह ने पार्टी की सदस्यता दिलाई. गोरखनाथ के कांग्रेस में शामिल होते ही लखीसराय में सियासी चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है.
दरअसल, गोरखनाथ लखीसराय के बड़हिया के वार्ड नंबर 3 रामचरण टोला निवासी सह नगर पंचायत के पूर्व चेयरमैन सियाराम सिंह के पुत्र हैं. उनका प्रशासन का लंबा अनुभव रहा. वे पूर्णिया प्रमंडल के कमिश्नर रहे. ऐसे में अब उनके कांग्रेस का हाथ थामने से लखीसराय में अटकलों का दौर जारी है. कहा जा रहा है कि गोरखनाथ को अगले विधानसभा चुनाव में लखीसराय से कांग्रेस उम्मीदवार बनाया जा सकता है. कांग्रेस ने पिछले चुनाव में भी लखीसराय में उम्मीदवार उतारा था और भाजपा के विजय सिन्हा को कड़ी टक्कर दी थी. ऐसे में एक चर्चित चेहरे को चुनाव मैदान में उतारकर कांग्रेस फिर से लखीसराय में बड़ा खेला करना चाहेगी.
सूत्रों का कहना है कि पिछले विधानसभा चुनाव में लखीसराय में कांग्रेस को मनचाही सफलता नहीं मिलने के पीछे एक कारण उम्मीदवार का लोकप्रिय नहीं होना एक प्रमुख कारण माना गया था. अमरेश कुमार उर्फ़ अनीश की सियासी पकड़ ऐसी नहीं रही जो मतदाताओं को कांग्रेस के पक्ष में मोड़ने में सफलता दिलाती. यहां तक कि वे अपने गृह क्षेत्र बड़हिया में भी कोई खास करिश्मा नहीं कर पाए थे. इतना ही नहीं हालिया संपन्न लोकसभा चुनाव के दौरान भी महागठबंधन प्रत्याशी के लिए लखीसराय में कांग्रेस के अनीश कुछ खास नहीं कर पाए. पार्टी अब गोरखनाथ के नाम पर उस दरार को पाटना चाहती है.
दमदार चेहरा : कांग्रेस उम्मीदवार को पिछले चुनाव में लखीसराय में 63 हजार से ज्यादा वोट आए थे. तब माना गया था कि विजय सिन्हा के खिलाफ एंटी इनकमबेंसी का लाभ प्रतिद्वंद्वी को मिलेगा. लेकिन कांग्रेस सफलता तक नहीं पहुंची. अब जहां विजय सिन्हा का सियासी कद राज्य के उप मुख्यमंत्री तक पहुंच गया है वहीं उनके मुकाबले गोरखनाथ भी दमदार चेहरा हो सकते हैं. अब कांग्रेस का हाथ पकड़कर गोरखनाथ लखीसराय में स्थानीय होने का भावनात्मक लाभ भी ले सकते हैं. इतना ही नहीं आईएएस रहते हुए भी उनका अपने गृह क्षेत्र और जिले के प्रति विशेष जुड़ाव देखा गया. इन सबका फायदा वे चुनाव के दौरान ले सकते हैं. साथ ही विजय सिन्हा जहां पिछला चुनाव मात्र 10 हजार से कुछ ज्यादा वोटों के अंतर से जीते थे, वहीं इस बार गोरखनाथ अभी से तैयारी में जुटकर बड़ा खेला करने की कोशिश कर सकते हैं.
लखीसराय से कमलेश की रिपोर्ट