कांग्रेस का सियासी दांव : प्रेमचंद ने चिराग को दी सलाह, कहा- लोजपा में टूट के लिए जदयू जिम्मेदार, उपचुनाव में सबक सीखाएं

पटना. बिहार विधानसभा उपचुनाव में महगठबंधन में दरार स्पष्ट देखाई दे रही है. दो विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव को लेकर एनडीए ने अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दी है, लेकिन अभी तक महागठबंधन सीट शेयरिंग का मालमा नहीं सुलझा पाया है. महागठबंधन में राजद ने दोनों सीट पर अपने प्रत्याशी उतार दिये हैं. वहीं कांग्रेस भी अपने प्रत्याशी उतारने में आमदा है. इस बीच कांग्रेस ने चिराग पासवान के कंधे पर बंदूक रखकर बड़ा दांव खेला है. उन्होंने कहा कि लोजपा में टूट के लिए जदयू जिम्मेदार है, ऐसे में चिराग पासवान को जदयू प्रत्याशी को हराने के लिए अपना योगदान देना चाहिए.
वहीं प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान जी है. ऐसे में लोजपा का चुनाव चिन्ह चिराग को मिलना चाहिए. इस दौरान उन्होंने चुनाव आयोग से भी अपील की कि लोजपा के चुनाव चिन्ह बंगला छाप चिराग को देना चाहिए. वहीं उन्होंने उपचुनाव को लेकर कहा कि राजद महागठबंधन के धर्म का पालन नहीं किया है. ऐसे में कांग्रेस अपने दम पर चुनाव लड़ेंगे. साथ ही प्रेमचंद ने राजदो को गठबंधन के धर्म का पाठ भी पढ़ा दिया. उन्होंने कहा किसी को मुगालते में नहीं रहना चाहिए कि कांग्रेस के बीन कोई भी पार्टी आगे बढ़ सकती है. वहीं बिहार कांग्रस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने भी कहा कि कुशेश्वरस्थान पर तो हम प्रत्याशी उतारेंगे ही, तारपुर सीट पर भी प्रत्याशी उतारने के लिए कांग्रेस हाईकमान से बात हुई है.
वहीं उन्होंने राजद से नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि राजद ने दोनों सीट पर अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दी है. महागठबंधन की पार्टियों से पूछा नहीं गया, यह महागठबंधन धर्म का पालन करना नहीं हुआ. वहीं उन्होंने राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को लेकर कहा कि उनसे हमारी बात हुई थी, लेकिन सीट शेयरिंग को लेकर नहीं हुई थी. उन्होंने कहा कि जगदा बाबू को कुशेश्वरस्थान सीट को लेकर बताया गया कि कांग्रेस प्रत्याशी से यदि ज्यादा मजबूत राजद के पास कोई प्रत्याशी है, तो उसा नाम बताना चाहिए, जिस पर कांग्रेस विचार विमर्श करती है. उन्होंने कहा कि चुनाव को लेकर महागठबंधन की पार्टी से बात करनी चाहिए, जो नहीं हुआ.
बता दें कि बिहार में दो सीटों पर 30 अक्टूब को उपचुनाव का मतदान होने वाला है. इसको राजनीतिक दल अपने वर्चस्व स्थापित करने के लिए तैयारियों में जुट गया है. उपचुनाव को लेकर एनडीएन तो शांतिपूर्वक अपनी समस्या हल कर लिया, लेकिन महगठबंधन में पार्टी अपना वर्चस्व दिखाने के लिए अभी तक मसला निदान करने के लिए रास्ता नहीं खोज पाया है.