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हाईकोर्ट का बड़ा फैसला,प्रेमिका के साथ रहने की इच्छा के खिलाफ सुनाया निर्णय, ''शादीशुदा मुस्लिम व्यक्ति ''लिव इन रिलेशन'' में रहने का दावा नहीं कर सकता''

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला,प्रेमिका के साथ रहने की इच्छा के खिलाफ सुनाया निर्णय, ''शादीशुदा मुस्लिम व्यक्ति ''लिव इन रिलेशन'' में रहने का दावा नहीं कर सकता''

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि कोई भी मुस्लिम व्यक्ति पत्नी के रहते ‘लिव-इन रिलेशन' में रहने के अधिकार का दावा नहीं कर सकता. हाई कोर्ट  ने यह भी कहा कि इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता है. न्यायमूर्ति ए.आर. मसूदी और न्यायमूर्ति ए के श्रीवास्तव प्रथम की बेंच ने स्नेहा देवी और मोहम्मद शादाब खान द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि  कोई भी विवाहित मुसलमान लिव-इन संबंध में रहने के अधिकार का दावा नहीं कर सकता क्योंकि इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता है. 

न्यायमूर्ति ए.आर. मसूदी और न्यायमूर्ति ए के श्रीवास्तव प्रथम की बेंच ने कहा, "इस्लामिक मत इस बात की इजाजत नहीं देता कि कोई मुस्लिम व्यक्ति अपने निकाह के बने रहते दूसरी महिला के साथ रहे. अगर दो व्यक्ति अविवाहित हैं और वयस्क हैं तो वह अपने तरीके से अपना जीवन जीना चुनते हैं." बेंच ने यह आदेश बहराइच जिले की निवासी याचिकाकर्ता स्नेहा देवी और शादीशुदा मुस्लिम व्यक्ति मुहम्मद शादाब खान की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया.

याचिकाकर्ताओं ने इस मामले में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने और लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के दौरान सुरक्षा की मांग की थी. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के दौरान स्नेहा देवी के माता-पिता ने खान के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी. उन्होंने खान पर स्नेहा देवी का अपहरण करने और उससे शादी करने की कोशिश करने का आरोप लगाया था.

बाद में आगे की जांच में पता चला कि खान की 2020 में ही शादी हो चुकी थी और वह एक बच्चे का पिता भी है. इस तथ्य पर विचार करते हुए अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर उन्हें पुलिस सुरक्षा देने से इनकार कर दिया. बेंच ने कहा कि इस्लाम ऐसे रिश्ते की इजाजत नहीं देता, खासकर मौजूदा मामले की परिस्थितियों में.अदालत ने अपने आदेश में कहा कि रूढ़ियां और प्रथाएं भी विधि के समान हैं.

कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता स्नेहा देवी को सुरक्षा में उसके माता-पिता के पास पहुंचा दिया जाए.

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