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कोरोना के डर से क्या आप भी बार -बार हाथ धो रहे है ,तो हो जाइये सतर्क !हो सकते हैं ओसीडी के शिकार

कोरोना  के डर से क्या आप भी बार -बार हाथ धो रहे  है ,तो हो जाइये सतर्क !हो सकते हैं ओसीडी के शिकार

DESK: कोरोना महामारी से आज पूरा विश्व जूझ रहा है और इस कोरोना संक्रमण से बचने के लिये जिस चीज के लिए डॉक्टरों या विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सलाह दी है, वो है मास्क लगाना, हाथ धोना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना है. लोग वायरस से बचाव के सभी रास्ते अपना रहे हैं. लेकिन अगर ये अच्छी आदतें आपके दिमाग में हावी हो रही हैं, किसी को बार बार हाथ धोने का विचार आता है, हर चीज में वायरस होता है तो ये कोराना से भी गंभीर समस्या हो सकती है. इसके लिए आपको मनोचिकित्सक से मिलना चाहिए. आइए जानते हैं क्या है वो मानसिक समस्या और इसे कैसे पहचानें.

IHBAS( Institute of Human Behaviour and Allied Sciences) के प्रोफेसर डॉ ओमप्रकाश कहते हैं कि कोरोना भी कुछ लोगों में एक प्रकार का फोबिया या डर बन गया है, लेकिन ये बहुत चिंताजनक नहीं होता है क्योंकि ये मालूम है कि लोगो को इस बात का डर जरुर होगा,जिसमें हमें पता होता है कि हाथ धोना जरूरी है, हमें हाथ धो लेना चाहिए वरना कोरोना का संक्रमण हो सकता है.डॉ ये भी कहते है कि अगर यही डर  व्यक्त‍ि के कंट्रोल में न हो.उसे पता हो कि वो अभी अभी हाथ धो चुका है, अब तुरंत हाथ धोना जरूरी नहीं है लेकिन फिर  भी  उसके मन में ये विचार तीव्र रूप से आए और वो एक नहीं दो तीन बार हाथ धोये तो ये ओसीडी यानी ऑब्सेसिव कंपल्‍स‍िव डिसऑर्डर का लक्षण है.

सर गंगाराम अस्पताल दिल्ली के मनोचिकित्सक डॉ राजीव मेहता का कहना है कि देश में जिन लोगों में ओसीडी की समस्या पहले से ही थी उनमें कोरोना महामारी के दौरान दिक्कत और बढ़ गई हैं. ठीक इसी तरह जर्म या वायरस को लेकर भी डर अगर बढ़ता है तो ये एक बड़ी मानसिक समस्या होती है.

बता दें कि इंसानी दिमाग के भीतर सिरोटोनिन नाम का एक केमिकल होता है. जब दिमाग में ये रसायन कम हो जाता है तो लोगों को कई तरह की व्यवहारगत कई तरह की मानसिक समस्याएं हो जाती है. इनमें फियर इस कदर बढ़ने लगता है कि ये ऑब्सेशन में बदलता जाता है. अक्सर ये काम दिमाग के कंट्रोल से भी बाहर हो जाता है. इसमें साफ सफाई के प्रति सनक और बार बार हाथ धोने जैसी समस्याएं भी होती हैं.डॉ राजीव मेहता कहते हैं कि इसी तरह किसी जर्म, बैक्टीरिया, वायरस से इंफेक्शन के प्रति फोबिया या फियर मेडिकल साइंस में जर्मोफोबिया की श्रेणी में आता है. इससे ग्रसित व्यक्त‍ि किसी जर्म या बैक्टीरिया से डर महसूस करते हैं. अक्सर इलाज या थेरेपी या न मिलने से ये डर कई बार ओसीडी में भी बदल सकता है.

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