दिल्ली- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नया इतिहास रचते हुए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ से लैस एलएम की सॉफ्ट लैंडिग कराने में सफलता हासिल की. शाम करीब छह बजकर चार मिनट पर इसने चांद की सतह को छुआ. इसके साथ ही भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर साफ्ट लैंडिंग कराने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है.
चंद्रमा पर भारत का उदय हो गया है. भारतीयों की आस्था और साहित्य के तमाम प्रतीक-प्रतिमानों में गहरे तक ऊंचा स्थान रखने वाले चंद्रमा पर भारतीय प्रतिभा की दस्तक विषमयकारी है. जिस भारत को पश्चिमी देश हेय दृष्टि से सांप-सपेरों का देश कहते थे, उसके वैज्ञानिकों ने वो करिश्मा कर दिखाया कि हैरत में दुनिया ने दांतों तले अंगुली दबा ली है. बेहद जटिल अभियान के लक्ष्य चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत पहला देश बना है.
विश्व की एक महाशक्ति रूस के लूना-25 मिशन के पिछले दिनों क्रैश होने ने बताया कि यह अभियान कितना जटिल था. चंद्रयान-2 की कड़वी यादों से सबक लेकर हमने कामयाबी की नई इबारत लिखी है. वह भी इतने कम लागत में कि जितने में हॉलीवुड की एक फिल्म बन पाती है. यही वजह है कि दुनिया में भारत की कामयाबी की चर्चा है.
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा तथा यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने चंद्रयान की सफलता पर इसरो को बधाई दी है. चांद के दक्षिण ध्रुव पर दस्तक देने की कोशिश में रूस, चीन और इस्राइल के मिशन विफल हो चुके हैं. चांद के इस हिस्से में भविष्य के लंबी दूरी के अंतरिक्ष अभियान के लिये पानी की अपार संभावनाएं मौजूद हैं.
भारत के 2008 में भेजे गये पहले चंद्रयान अभियान ने नये सिरे से चंद्रमा के अभियानों की होड़ दुनिया में पैदा की. चंद्रयान अभियान की कामयाबी ने राष्ट्रवाद का ज्वार देश में पैदा किया. ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने गये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दक्षिण अफ्रीका से वर्चुअली इसरो के वैज्ञानिकों और देशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि भारत ने बार-बार साबित किया है कि उड़ान की कोई सीमा नहीं है. उन्होंने भविष्य में अंजाम दिये जाने वाले ह्यूमन मिशन गगनयान का उल्लेख किया. साथ ही जल्दी सूर्य के विस्तृत अध्ययन के लिये भेजे जाने वाले इसरो के आदित्य एल-वन मिशन का भी जिक्र किया.
जमीन के अध्ययन से चंद्रमा में मौजूद रसायनों के बारे में भी जानकारी मिल सकेगी. चौदह जुलाई को श्रीहरिकोटा से उड़ान भरने वाले चंद्रयान ने यह कामयाबी चालीस दिनों की यात्रा में पूरी की. भारत ने नई तकनीक से इस अभियान को अंजाम दिया. जिसकी कामयाबी के बाद भारत दुनिया में अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक मजबूत अंतर्राष्ट्रीय साझेदार बन गया है. इस अभियान से चंद्रमा के बारे में ऐसी जानकारियां सामने आएंगी जिनसे अब तक दुनिया अनभिज्ञ थी. अब हम खुली आंख से चांद से आगे के सपने देखने का दावा कर सकते हैं.