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मुसलमानों से जुड़े ओबीसी आरक्षण पर चला कोर्ट का हथौड़ा, 5 लाख OBC प्रमाण पत्र रद्द, भाजपा ने कहा- विपक्ष के मुस्लिम तुष्टिकरण की खुली पोल

मुसलमानों से जुड़े ओबीसी आरक्षण पर चला कोर्ट का हथौड़ा, 5 लाख OBC प्रमाण पत्र रद्द, भाजपा ने कहा- विपक्ष के मुस्लिम तुष्टिकरण की खुली पोल

DESK. अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल नई जातियों जिसमें ज्यादातर मुस्लिम रहे उनके 5 लाख से ज्यादा प्रमाण पत्र रद्द करने से जुड़े कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले पर भाजपा और ममता बनर्जी की पार्टी के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को 2010 के बाद से पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जारी किए गए सभी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाण पत्र रद्द कर दिए। कोर्ट के आदेश के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह आदेश को स्वीकार नहीं करेंगी, और राज्य में ओबीसी आरक्षण जारी रहेगा। उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को उपरी अदालत में चुनौती देने की घोषणा की. वहीं अब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. ओबीसी के आरक्षण में मुस्लिमों को लिए सेंधमारी कराने का आरोप पहले से भाजपा विपक्षी दलों पर लगा रही है. 

दरअसल, अदालत ने पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा) (सेवाओं और पदों में रिक्तियों का आरक्षण) अधिनियम, 2012 के प्रावधानों को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया है. इसमें 37 समुदायों को ओबीसी के रूप में वर्गीकृत करते हुए, बेंच ने कहा, "हम 2012 के अधिनियम की धारा 16 को रद्द करते हैं क्योंकि यह राज्य कार्यकारिणी को 2012 के अधिनियम की किसी भी अनुसूची में संशोधन करने का अधिकार देता है। नतीजतन, 37 वर्गों को 2012 के अधिनियम के तहत शामिल किया गया है।" धारा 16 को 2012 के अधिनियम की अनुसूची 1 से बाहर कर दिया गया है।" इससे 2010 के बाद राज्य में जारी करीब 5 लाख ओबीसी प्रमाण पत्र रद्द हो जायेंगे. हालाँकि उसके पहले जारी प्रमाण पत्रों और उससे नौकरी कर रहे लोगों पर इस फैसले का कोई असर नहीं होगा.

2010 में हुआ था बदलाव : याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील ने कहा, 2010 के बाद राज्य में ओबीसी के तहत सूचीबद्ध व्यक्तियों की संख्या पांच लाख से ऊपर होने की संभावना है। न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की खंडपीठ ने हालांकि स्पष्ट किया कि ओबीसी प्रमाण पत्र वाले नागरिक जो पहले से ही सेवा में हैं, या आरक्षण का लाभ ले चुके हैं या राज्य की किसी भी चयन प्रक्रिया में सफल हुए हैं, वे इससे प्रभावित नहीं होंगे।  खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि 2010 से पहले ओबीसी की 66 श्रेणियों को वर्गीकृत करने वाले राज्य सरकार के कार्यकारी आदेशों में हस्तक्षेप नहीं किया गया था, क्योंकि इन्हें याचिकाओं में चुनौती नहीं दी गई थी। 

92 फीसदी मुस्लिम ओबीसी : दरअसल, वर्ष 2010 में तत्कालीन सरकार ने ओबीसी श्रेणी में कुछ नई जातियों को शामिल किया जिसमें कई मुस्लिम जातियां रही. वहीं 2012 में एक बार फिर से नई जातियों को इसमें शामिल किया गया. तत्कालीन तृणमूल सरकार ने उस समय 35 और उपजातियों को ओबीसी श्रेणी में शामिल किया, जिनमें से 33 मुस्लिम हैं. इससे 2012 के अंत में राज्य सरकार द्वारा नई उपजातियों को शामिल करने के साथ, राज्य की 92 प्रतिशत मुस्लिम आबादी ओबीसी श्रेणी में आ गई थी. इसका ही याचिका में विरोध किया गया. इसे मंडल कमिशन की रिपोर्टों के खिलाफ बताया गया था. 

भाजपा ने जताई ख़ुशी : भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने गुरुवार को कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने ओबीसी कोटा उपश्रेणी के तहत मुसलमानों को दिए गए ओबीसी आरक्षण को रद्द कर दिया है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने 2010 से 2024 तक पश्चिम बंगाल में मुसलमानों को जारी किए गए ओबीसी प्रमाणपत्र भी रद्द कर दिए हैं। ये दोनों फैसले बताते हैं कि कैसे ममता बनर्जी की सरकार असंवैधानिक रूप से तुष्टिकरण को आगे बढ़ा रही थी या कह सकते हैं कि मुस्लिम एजेंडे को आगे बढ़ाया जा रहा था। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान यह मुद्दा उठाया था कि कैसे ममता बनर्जी, राहुल गांधी और आईएनडीआई गठबंधन के अन्य नेता संविधान की धज्जियां उड़ा रहे हैं। संविधान में साफ लिखा है कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जाएगा.  

अब क्या कहेंगे राहुल : उन्होंने राहुल गाँधी को निशाने पर लेते हुए कहा कि राहुल गांधी संविधान की प्रति लेकर घूमते हैं लेकिन जब (कलकत्ता) उच्च न्यायालय ऐसे मुद्दे पर फैसला देता है और मुस्लिम तुष्टिकरण उजागर होता है तो वे चुप रहते हैं। देश की जनता इस चुनाव में ऐसे लोगों को सबक सिखाएगी. पश्चिम बंगाल की जनता भी ममता बनर्जी को सबक सिखाएगी।”


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