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लखपति मांझी के सामने करोड़पति सर्वजीत... गया में किस करवट बैठेगा सियासी गणित, एनडीए बनाम राजद में इनकी भूमिका अहम

लखपति मांझी के सामने करोड़पति सर्वजीत... गया में किस करवट बैठेगा सियासी गणित, एनडीए बनाम राजद में इनकी भूमिका अहम

पटना. लोकसभा चुनाव में गया संसदीय सीट पर इस बार लड़ाई लखपति बनाम करोड़पति की है. एक ओर एनडीए को फिर से जीत दिलाने उतरे जीतन राम मांझी हैं जो हम उम्मीदवार के तौर पर उम्मीदवार हैं. वहीं दूसरी ओर राजद के कुमार सर्वजीत हैं. दोनों के बीच सियासी लड़ाई के पहले आम चर्चा दोनों की सम्पत्तियों को लेकर भी है. मांझी वर्ष 1980 से राजनीति में सक्रिय हैं. कई बार विधायक रहने के साथ ही मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. बावजूद इसके संपत्ति के मामले में वे कुमार सर्वजीत के सामने कहीं नहीं टिकते हैं. 

नामांकन को लेकर दिए हलफनामे में जीतन राम मांझी ने बताया है कि वे लखपति हैं. मांझी के पास 49 हजार नगदी और 13 लाख 50 हजार का पुश्तैनी घर समेत 25 लाख रुपए की संपत्ति है. उनकी पत्नी शांति देवी के पास साढ़े 5 लाख रुपए में से साढ़े 4 लाख रुपए की ज्वेलरी शामिल है. मांझी के पास पुश्तैनी घर पर दो गाय, एक डीडीबीएल गन भी उनके पास है. एनडीए के कैंडिडेट जीतन राम मांझी के पास पुराने मॉडल के एक एम्बेसडर कार और एक स्कॉर्पियो गाड़ी है.

वहीं उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी राजद प्रत्याशी कुमार सर्वजीत ने बताया कि उनके पास 30 हजार नगद, दो बैंक खातों में 10 लाख 70 हजार रुपए है. पत्नी के 3 बैंक खाते में लगभग 25 लाख 74 हजार है, जबकि 16 लाख बैंक लोन ली हैं. कुमार सर्वजीत के पास तीन वाहन हैं जिनमें एसयूबी, टाटा सफारी, मारुती सुजुकी वैगन आर व महिंद्रा थार है. कुमार सर्वजीत के पास 5 लाख 94 हजार मूल्य के 108 ग्राम सोना है. कुमार सर्वजीत की पत्नी सीमा के पास 27 लाख 83 हजार के मूल्य का सोना चांदी है. दो पुत्र के पास भी 2 लाख 75 हजार के 50 ग्राम के सोना है. सर्वजीत के पास 3 लाख मूल्य का पिस्टल व एक राइफल है जबकि पत्नी के पास एक राइफल है. इस प्रकार कुमार सर्वजीत के पास 90 लाख 31 हजार 428 पैसे हैं. पत्नी सीमा एक करोड़ 95 लाख 70 हजार रुपए की मालकिन हैं. इसके अलावा सर्वजीत के पैतृक गांव चहल मंडेला में 8.19 एकड़ में कृषि योग्य भूमि है. साथ ही बोधगया, पटना और नोएडा में एक-एक फ्लैट है.

दरअसल, गया संसदीय सीट सुरक्षित है यानी यहां से एससी श्रेणी के उम्मीदवार ही चुनाव लड़ सकते हैं. ऐसे में इस बार आम चर्चा यह भी है कि एक ओर जीतन राम मांझी हैं जो 40 साल से राजनीति में रहने के बाद भी लखपति हैं. दूसरी ओर कुमार सर्वजीत हैं जो 2009 में राजनीति कदम रखे और अब करोड़पति हैं. राजद के कुमार सर्वजीत पूर्व सांसद स्व राजेश कुमार के पुत्र हैं. 2005 में पिता के हत्या के बाद कुमार सर्वजीत ने 2009 के उप चुनाव में राजनीति में कदम रखा और पहली बार में ही लोजपा के टिकट पर विधायक चुने गए. 2015 के चुनाव में पुनः कुमार सर्वजीत राजद के टिकट पर विधायक चुने गए. 

मांझी का कब्जा : एनडीए की ओर लखपति बनाम करोड़पति को भी एक मुद्दा बनाया जा रहा है. वहीं जातीय मामले में गया सीट पर पिछले 25 साल से मांझी समुदाय का कब्जा है. 1999 में भाजपा के रामजी मांझी, 2004 में राजद के राजेश कुमार मांझी और 2009, 2014 और 2019 में भाजपा के हरि मांझी यहां से सांसद बने. ऐसे में इस बार के चुनाव में फिर से एनडीए इस सीट पर कब्जा जमाने के लिए प्रयासरत है. हालांकि जीतन राम इसके पहले तीन बार लोकसभा चुनाव में उतरे हैं लेकिन कभी नहीं जीत पाए.

दो पूर्व सांसदों की हत्या : 15 मई 1991 को चुनाव प्रचार के दौरान कोंच थाना के कराय मोड़ के पास सांसद ईश्वर चौधरी की हत्या कर दी गई. ईश्वर चौधरी 1971,1977 और 1989 में यहां से सांसद रहे. वहीं  22 जनवरी 2005 को विस चुनाव प्रचार के दौरान डुमरिया के बिहुआ कला गांव में पूर्व सांसद राजेश कुमार की हत्या कर दी गई. राजेश कुमार के ही पुत्र कुमार सर्वजीत है. 

जातीय समीकरण :  गया में मांझी समुदाय के ढाई लाख से ज्यादा मतदाता हैं. वहीं एससी/एसटी की कुल संख्या पांच लाख के करीब है जिसमे मांझी, पासवान, पासी, धोबी आते हैं. भूमिहार, राजपूत और यादव तीनों ही करीब ढाई-ढाई लाख के करीब हैं. वहीं वैश्यों की संख्या दो लाख और अल्पसंख्यक मतदाता भी करीब 2 लाख माने जाते हैं. 

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