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DDC साहब को 'सेक्स वाला वीडियो' पीछा नहीं छोड़ रहा ! FSL रिपोर्ट से भी हुई पहचान तो सरकार ने दिया दंड, यौनाचार करते सामने आया था CCTV का वीडियो

DDC साहब को 'सेक्स वाला वीडियो' पीछा नहीं छोड़ रहा ! FSL रिपोर्ट से भी हुई पहचान तो सरकार ने दिया दंड, यौनाचार करते सामने आया था CCTV का वीडियो

PATNA: मोतिहारी के तत्कालीन उप विकास आयुक्त शैलेंद्र कुमार पांडेय और सरकार के बीच एक दशक से शह-मात का खेल जारी था. हालांकि वह बच नहीं सके. तत्कालीन उप विकास आयुक्त शैलेंद्र कुमार पांडेय जो सेवानिवृत हैं, उनके खिलाफ लगे आरोप अंत में प्रमाणित पाए गए. एफएसएल रिपोर्ट में यह पाया गया है कि तीनों छाया चित्र आरोपी अधिकारी शैलेन्द्र कुमार पांडेय के ही हैं. सेवानिवृति के बाद अब तत्कालीन डीडीसी को दंड दिया गया है. डीडीसी का एक सीसीटीवी वीडियो सामने आया था,जिसमें वे यौनाचार करते देखे गए थे. इस वीडियो के आधार पर 13 सालों तक कार्रवाई को लेकर प्रक्रिया जारी रही.

2010 में उछला था मामला...सेक्स करते आया था वीडियो 

दरअसल, तत्कालीन उप विकास आयुक्त शैलेंद्र कुमार पांडेय के खिलाफ नैतिक नीचता,यानी महिला के साथ यौनाचार में लिप्त रहने के आरोप लगे थे. पूर्वी चंपारण के डीएम ने सरकार को इसका प्रतिवेदन भेजा था. इस आरोप में उन्हें 26 मार्च 2010 को निलंबित किया गया था. फरवरी 2011 में उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही संचालित की गई थी. तत्कालीन डीडीसी का जो अश्लील वीडियो था, उसका विधि विज्ञान प्रयोगशाला में जांच कराई गई थी. विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट में बताया गया था कि शैलेन्द्र कुमार पांडेय के खिलाफ यौनाचार में लिप्त रहने की आरोप प्रमाणित हैं. 

FSL रिपोर्ट में भी आरोपी अधिकारी की नैतिक नीचता की हुई पहचान

विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट के आधार पर संचालन पदाधिकारी ने आरोप को प्रमाणित पाते हुए 18 जून 2014 को आरोपी अधिकारी शैलेन्द्र कुमार पांडेय को निलंबन से मुक्त करते हुए चार तरह के दंड पारित किए थे. जिसमें एक वेतन वृद्धि संचयात्मक प्रभाव से रोक, सेवानिवृत्ति तक स्थाई रूप से प्रोन्नति पर रोक,निंदन और निलंबन अवधि में जीवन निर्वाह भत्ता के अतिरिक्त कुछ भी देय नहीं होगा. इस आदेश के खिलाफ इन्होंने पटना हाईकोर्ट में अपील किया था. जिसके बाद उच्च न्यायालय ने 12 जुलाई 2019 को आदेश पारित किया. पटना हाई कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने परित दंडादेश को वापस ले लिया और फिर से विभागीय कार्यवाही शुरू की. विभागीय कार्यवाही में भी यौनाचार के आरोप प्रमाणित पाए गए. एफएसएल रिपोर्ट में यह पाया गया है कि तीनों छाया चित्र आरोपी अधिकारी शैलेन्द्र कुमार पांडेय के ही हैं. रिपोर्ट के आधार पर संचालन पदाधिकारी ने पेंशन से 10 फ़ीसदी राशि की कटौती 5 साल तक करने का दंड पारित किया है. सामान्य प्रशासन विभाग ने 13 दिसंबर को यह आदेश जारी किया है.


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