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18 साल बाद आया श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन में हुए विस्फोट पर फैसला, हादसे में 14 लोगों ने गंवाई थी जान

18 साल बाद आया श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन में हुए विस्फोट पर फैसला, हादसे में 14 लोगों ने गंवाई थी जान

DESK : लगभग 18 साल के इंतजार के बाद श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन विस्फोट में मारे गए लोगों को इंसाफ मिला है। आज यूपी की जौनपुर कोर्ट ने श्रमजीवी ट्रेन विस्फोट कांड के दो आतंकियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। बांग्लादेशी आतंकी नफीकुल विश्वास हेलालुद्दीन को बुधवार को कोर्ट में पेश किया गया था। इसके पहले ओबैदुर्रहमान और आलमगीर उर्फ को फंसी की सजा सुनाई जा चुकी है।

उत्तर प्रदेश के सिंगरामऊ के हरपालगंज रेलवे स्टेशन के समीप हरिहरपुर क्रासिंग के पास श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन में 28 जुलाई 2005 को हुए बम विस्फोट के मामले के बुधवार को दोपहर बाद 4.15 बजे अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम राजेश कुमार राय ने मृत्युदंड की सजा सुनायी। इसके साथ ही अलग-अलग धाराओं में जुर्माना भी लगाया। इस दौरान न्यायालय परिसर में सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था रही। सजा सुनाए जाने के बाद दोषी दोषियों को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में जिला जेल ले जाया गया।

इस दौरान कोर्ट में दोषियों के अधिवक्ता न्याय मित्र ताजुल हसन तथा अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता एडीजीसी वीरेंद्र मौर्य मौजूद रहे। 

इसके पूर्व मंगलवार को सजा के बिंदु पर हुई बहस में अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता एडीजीसी वीरेंद्र मौर्य ने अपना पक्ष रखते हुए विस्फोट की घटना को विरल से विरलतम बताया था। उन्होंने दिल्ली राज्य बनाम नवजोत संधू 2005 सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला दिया।

14 लोगों की गई थी जान, 62 लोग हुए थे घायल

उन्होंने कहा था कि इसमें संसद भवन पर आतंकियों द्वारा किए गए हमले में नौ लोग आतंकियों की गोली से मारे गए थे और 16 व्यक्ति घायल हुए थे, जबकि श्रमजीवी विस्फोट कांड में हुए बम विस्फोट में 14 लोग मारे गए व 62 लोग घायल हुए।

हिलाल ने बांग्लादेशी आतंकी रोनी के साथ श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन में बम रखा था। रोनी को मृत्युदंड की सजा सुनाई जा चुकी है। इसके साथ ही आतंकी ओबैदुर्रहमान का विचारण इन दोनों दोषियों के साथ चला था।

उसे भी मृत्युदंड की सजा सुनाई जा चुकी है। ऐसे में इन दोनों को भी मृत्युदंड की सजा होनी चाहिए। फांसी के अलावा अन्य कोई सजा ऐसे दोषियों के लिए कम है।


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