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सुशासन राज में 'विलंब' बना हथियार! पथ निर्माण के 2 इंजीनियर हुए इसी हथियार से हुए निलंबन मुक्त, 3.56 करोड़ के खेल में हुए थे सस्पेंड

सुशासन राज में 'विलंब' बना हथियार! पथ निर्माण के 2 इंजीनियर हुए इसी हथियार से हुए निलंबन मुक्त, 3.56 करोड़ के खेल में हुए थे सस्पेंड

पटनाः बिहार में लाभ लेने के लिए या फिर कार्रवाई से बचने के लिए तरह-तरह के खेल होते हैं. एक खेल विलंब का है. विलंब का खेल खेलकर अधिकारी फायदा उठा लेते हैं. ऐसे ही विलंब के खेल में दो इंजीनियरों को तत्काल फायदा मिला है. ठेकेदार को 3.56 करोड़ की राशि का अधिक भुगतान मामले में निलंबित चल रहे दो पथ निर्माण विभाग के दो इंजीनियरों ने विलंब को आधार बनाया,फिर नौकरी में वापसी कर गये. 

3.56 करोड़ रू दूबारा किया था भुगतान

पथ निर्माण विभाग का यह मामला है. यहां गड़बड़ी करने वाले इंजीनियरों के खिलाफ विभागीय जांच में काफी देरी हो रही है। इसका सीधा फायदा भ्रष्टाचार करने वाले इंजीनियर उठा रहे। ताजा मामला ठेकेदार को 3.56 करोड़ रू अधिक भुगतान करने का है। मधुबनी पथ प्रमंडल के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता संजय चौधरी और सहायक अभियंता सत्येंद्र प्रसाद को विलंब के आधार पर निलंबन मुक्त कर दिया गया है। पथ निर्माण विभाग ने अगस्त 2022 में यह आदेश जारी किया है। 

अक्टूबर 2019 में किया गया था सस्पेंड

जांच में गड़बड़ी के खुलासे के बाद पथ निर्माण विभाग ने 11 अक्टूबर 2019 को दोनों इंजीनियरों को निलंबित कर दिया था। मधुबनी पथ प्रमंडल के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता संजय चौधरी के खिलाफ गड़बड़ी की गंभीर शिकायत मिली थी.बेनीपट्टी पथ प्रमंडल के कनीय अभियंता किशोर कुमार की शिकायत पर मुख्य अभियंता उत्तर बिहार से जांच कराई गई. जांच में यह पाया गया कि पीआरएमसी के तहत संधारित पथों में रोड मार्किंग के लिए पैकेज संख्या 11-12-13 में अनियमित रूप से 3 करोड़ 56 लाख रू का दोबारा भुगतान किया.

जांच रिपोर्ट नहीं मिलने पर विभाग ने किया निलंबित

 इस आरोप में उन्हें 11 अक्टूबर 2019 को निलंबित किया गयाथा।  साथ ही विभागीय कार्यवाही संचालित की गई. जांच आयुक्त को विभागीय कार्यवाही चलाने का जिम्मा दिया गया. इसके बाद आरोपी तत्कालीन कार्यपालक अभियंता ने 13 दिसंबर 2021 और 2 मई 2022 को आवेदन देकर 2019 से चल रहे विभागीय कार्यवाही में हो रहे विलंब को आधार बनाया. आरोपी अभियंता ने अपने आवेदन में बताया कि विभागीय कार्यवाही को लेकर अपना बचाव बयान मार्च 2021 में ही संचालन पदाधिकारी को समर्पित किया है. जांच में विलंब के लिए इनका कोई दोष नहीं है . इसके बाद पथ निर्माण विभाग ने इसकी समीक्षा की.समीक्षा में पाया कि अक्टूबर 2019 से ये दोनों निलंबित हैं . इनके विरुद्ध संचालित विभागीय कार्यवाही में जांच प्रतिवेदन नहीं मिला है. ऐसे में विभागीय कार्यवाही में हो रहे विलंब को देखते हुए कार्यपालक अभियंता संजय चौधरी को निलंबन मुक्त किया जाता है. वहीं इसी केस में मधुबनी अवर प्रमंडल के सहायक अभियंता सत्येंद्र प्रसाद को भी निलंबन मुक्त कर दिया गया है .

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