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डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद और स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा, फिजियोथेरेपी है समय की जरूरत

डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद और स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा, फिजियोथेरेपी है समय की जरूरत

PATNA :  इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथेरेपिस्‍ट (आईएपी) बिहार शाखा की ओर से आज विश्‍व फिजियोथेरेपी सप्‍ताह का समापन समारोह आईएमएम हॉल में संपन्‍न हो गया। समारोह का उद्घाटन करते हुए उप मुख्यमंत्री बिहार तारकिशोर प्रसाद ने कोविड महामारी के दौरान फिजियोथेरेपी चिकित्सकों के अहम भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि फिजियोथेरेपी एक दवा रहित चिकित्सा पद्धति है और बहुत तेजी से जन मानस में इसकी उपयोगिता के संबंध में जागरूकता बढ़ी है। समारोह में मुख्य अतिथि स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि न सिर्फ कोविड इन्फेक्शन के दौरान बल्कि इसके ठीक होने के बाद के पोस्ट कोविड लक्षणों के इलाज में भी फिजियोथेरेपी की अहम भूमिका जग जाहिर है। समापन समारोह में आईएपी बिहार के अध्‍यक्ष डॉ नरेंद्र कुमार सिन्‍हा, उपाध्‍यक्ष डॉ विनय कुमार पांडेय और सचिव डॉ उमा शंकर सिन्‍हा भी मौजूद रहे, जो इस फिजियोथेरेपी पखवारे के आयोजक हैं।

इस मौके पर इंडियन एसोसिएशन ऑफ फियोथेरापिस्ट्स के प्रेजिडेंट डॉ नरेंद्र कुमार सिन्हा ने कहा कि कोविड महामारी में फिजियोथेरेपी की अहम भूमिका को देखते हुए इस बार वर्ल्ड फिजियोथेरेपी दिवस का थीम कोविड और रिहैबिलिटेशन रखा गया है। इंडियन एसोसिएशन फिजीयोथेरापिस्ट्स के सेक्रेटरी डॉ उमाशंकर सिन्हा ने कहा कि इस COVID महामारी के दौरान, फिजियोथेरेपिस्ट ने फ्रंटलाइन वर्कर्स के रूप में काम किया है और कई COVID संबंधित जटिलताओं का इलाज करने में मदद की है।  डॉ सिन्‍हा ने बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्‍य उद्देश्‍य लोगों में फिजियोथेरेपी को लेकर जागरूक करना है। पहले फिजियोथेरेपी को ऑर्थोपेडिक्‍स में इसकी महत्ता को देख जाता था। आज अपने एविडेंस बेस्‍ड प्रैक्‍टिस से फिजियोथेरेपी सारे डिपार्टमेंट में सक्रिय और महत्‍वपूर्ण हो गया है। इस पद्धति के बिना मरीजों का पूर्ण इलाज संभव नहीं है। कोविड के समय चेस्‍ट फिजियोथेरेपी का बहुत अधिक योगदान रहा।

उन्‍होंने कहा कि हम हरके वर्ष विश्‍व फिजियोथेरेपी दिवस मना रहे हैं। यह 70वां बार है। 8 सितंबर को पूरे दुनिया में फिजियोथेरेपी दिवस मनाया जाता है, लेकिन बिहार में इस अवसर पर दो सप्‍ताह के पखवारे का आयोजन किया जाता है। इस कार्यक्रम में राज्‍य सरकार की सक्रियता हमेशा से रही है। इसमें 2016 में बिहार के मुख्‍यमंत्री भी शामिल हो चुके हैं। उन्‍होंने बताया कि बिहार राज्‍य कोविड की समस्‍या को लड़ते हुए सबसे अव्‍वल स्‍थान पर रहा है। कोविड के दौरान विश्‍व में सबों की नजर बिहार पर थी। यहां जनसंख्‍या ज्‍यादा है, इसलिए बिहार को अंडरस्‍टीमेट किया गया। लेकिन बिहार राज्‍य सरकार की सूझबूझ की वजह से हम महामारी को मात दें पाएं। डॉ सिन्‍हा ने कहा कि निश्चित रूप से बहुत दुखद घटनाएं हुई है। सभी इससे निपटने के लिए तत्‍पर थे। सरकार की सक्रियता और डॉक्‍टरों की तत्‍परात से यह लड़ाई लड़ी गई, जिसके सार्थक परिणाम सामने आए। 

डॉ सिन्‍हा ने बताया कि कोविड के समय देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्‍य स्‍तरीय कॉलेज, इंस्‍टीट्यूट, जिला सदर अस्‍पताल कर्मियों के साथ महामारी के दौरान इंटर्न और फाइनल ईयर के डॉक्‍टरों से सेवा देने की अपील की थी। इस कार्यक्रम में पूरे बिहार भर से आए हुए फिजियोथेरेपी चिकित्सकों को जिन्होंने कोविड पान्डेमिक के दौरान उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वालों में बिहार के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों जैसे एम्स, आई जी आई एम् एस, पी एम सी एच, एन एम सी एच, महावीर बात्सल्य, पारस, के साथ साथ सदर और जिला अस्पतालों के फिजियोथेरेपी चिकित्सक शामिल थे।  

इस मौके पर इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथेरेपिस्‍ट (आईएपी) के कोषाध्‍यक्ष डॉ अखिलेश कुमार झा, ज्‍वाइंट सेक्रेटरी डॉ निरंजन कुमार व डॉ पांडेय रोहित सिन्‍हा, डॉ प्रियदर्शी कुमार, डॉ अर्पणा आनंद, डॉ पूर्णिमा कुमारी, डॉ वीणा श्रीवास्‍तव, डॉ ज्‍योत्‍सनी खां, डॉ शालिनी सिन्‍हा, डॉ राजेश कुमार सुमन, डॉ राजीव कुमार सिंह, डॉ हिमेंदु सिंह, डॉ अकील अहमद सिद्दीकी, महावीर वात्‍सल्‍य के पारा मेडिकल इंस्‍टीट्यूट के डीन व प्रिंसपल डॉ इनातुल्‍ला पावली और डॉ तारीख अख्‍तर मौजूद रहे।

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