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... जानिए देवशयनी एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और महत्‍व

... जानिए देवशयनी एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और महत्‍व

NEWS4NATION : देवशयनी एकादशी को आषाढ़ी एकादशी, पद्मा एकादशी और हरि शयनी एकादशी  के नाम से जाना जाता है. देवशयनी एकादशी का हिन्‍दू धर्म में विशेष महत्‍व है. मान्‍यता के मुताबिक देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्‍णु निद्रा/सोने चले जाते हैं और फिर चार महीने बाद देवप्रबोधनी एकादशी के दिन उठते हैं. इन चार महीनों को चतुर्मास के नाम से जाना जाता है. यही वजह है कि इस दौरान सभी शुभ कार्य रुक जाते हैं. भगवान के सोने की वजह से मांगलिक कार्य जैसे कि विवाह, जनेऊ, गृह प्रवेश, नामकरण व उपनयन संस्‍कार नहीं होते हैं.  

देवशयनी एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त?

हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार देवशयनी एकादशी 12 जुलाई को है. एकादशी तिथि का प्रारंभ 12 जुलाई 2019 को रात 1 बजकर 02 मिनट से. हो जायेगा जबकि एकादशी तिथि समाप्त 13 जुलाई 2019 को रात 12 बजकर 31 मिनट तक. व्रत रखने के वाले पारण 13 जुलाई 2019 को सुबह 06 बजकर 30 मिनट से सुबह 8 बजकर 33 मिनट तक कर सकते है. 

देवशयनी एकादशी का महत्‍व

देवशयनी एकादशी को आषाढ़ी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस एकादशी से लेकर अगले चार महीनों तक भगवान् विष्‍णु पाताल लोक में निवास करते हैं, जिसे भगवान की योग निद्रा कहा जाता है.

देवशयनी एकादशी की पूजा विधि

एकादशी वाले दिन सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान करने के बाद स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण कर घर के मंदिर में भगवान विष्‍णु की मूर्ति स्‍थापित कर उसका पूजन करें. पूजा के बाद व्रत कथा सुनें से विशेष फल मिलता है. चार महीनों के इस काल में चार तरह की चीजों से परहेज के लिए कहा जाता है जिसमे पत्तेदार साग,दूध,दही और उड़द दाल शामिल हैं. मान्‍यता है कि कार्तिक मास में देवउठनी एकादशी के बाद भगवान नींद से जागते हैं यानी कि पाताल से वापस बैकुंठ धाम पधारते हैं और फिर सभी शुभ कार्यों का आरंभ होता है.


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