PATNA : आज पूरे देश में दीपावली बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाई जाएगी। रोशनी का त्योहार कहे जाने वाला पर्व देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। दिवाली का यह त्योहार धनतेरस पर शुरू होता है और भाई दूज पर समाप्त होता है। इन पांच दिनों के पर्व में सभी लोग भगवान विष्णु जी, माता लक्ष्मी जी, कुबेर जी, भगवान श्री गणेश और यम देवता की पूजा करते हैं। इसके अलावा विभिन्न अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है और कई अन्य देवी-देवताओं की भी पूजा की जाती है।
इस वर्ष दीपावली श्री शुभ संवत् 2080 शाके 1945 कार्तिक कृष्ण अमावश्या तिथि 12 नवम्बर 2023 दिन रविवार को बड़े ही धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ विश्वभर में मनायी जायेगी। अमावश्या तिथि 12 नवम्बर 2023 दिन रविवार को दिन में 2:12 बजे से आरंभ होकर अगले दिन अर्थात 13 नवम्बर 2023 दिन सोमवार को दोपहर 2:41 बजे तक व्याप्त रहेगा। इस प्रकार इस वर्ष अमावश्या की सम्पूर्ण रात 12 नवम्बर को ही मिल रहा है। इसके अतिरिक्त इस अमावस्या तिथि के आरम्भ के साथ रात में 3:22 बजे तक स्वाती नक्षत्र तथा सूर्योदय से सायं 5:38 बजे तक आयुष्यमान योग तदुपरि सौभाग्य योग पूरी रात व्याप्त रहेगी। साथ ही रविवार को ही प्रदोष काल का भी बहुत ही उत्तम संयोग मिल रहा है | धर्म शास्त्रो के अनुसार दीपावली के पूजन में प्रदोष काल विशेष महत्त्व होता है | दिन-रात के संधि काल को ही प्रदोष काल कहते है , जहाँ दिन श्री हरि विष्णु स्वरुप है वहीँ रात माता लक्ष्मी स्वरुपा है ,दोनों के संयोग काल को ही प्रदोष काल कहा जाता है |
धर्मशास्त्रोक्त दीपावली ' प्रदोष काल एवं महानिशीथ काल व्यापिनी अमावश्या में विहित है, जिसमे प्रदोष काल का महत्त्व विशेष रूप से गृहस्थो एवं व्यापारियो के लिए महत्त्वपूर्ण होता है तथा महानिशीथ काल तान्त्रिक क्रियाओं को संपादित करने वालो के लिए उपयुक्त होता है। प्रत्येक वर्ष अमावश्या व्यापिनी महानिशिथ काल में तंत्र साधना हेतु महत्वपूर्ण होता है।
महानिशीथ काल अर्थात महानिशा काल मध्यरात्रि 11:30 से 12:25 बजे के मध्य है। निशा पूजा, काली पूजा, तांत्रिक पूजा के लिए शुभ चौघड़िया के साथ मध्य रात में 11:14 से बजे से 12:00 बजे तक है जो अति महत्त्वपूर्ण, अति शुभ एवं कल्याण कारक मुहुर्त्त है। स्थिर लग्न सिंह महानिशीथ काल रात मे 11:47 से 2 बजे तक प्राप्त हो रहा है। दिवाली पूजा स्थल को रात भर खाली न छोड़ें ताकि आपके द्वारा जलाए जाने वाले दीपक में जलने के लिए घी या तेल की निरंतर आपूर्ति होती रहे।
प्रदोष काल
इस प्रकार प्रदोष काल में ही माता लक्ष्मी, भगवान गणेश एवं कुबेर आदि सहित दीपावली पूजन का श्रेष्ठ विधान है तथा प्रदोष काल में ही दीप प्रज्वलित करना उत्तम फल दायक होता है।
प्रदोष काल लगभग शाम 05:25 से 06:45 बजे तक रहेगा | 5:25 से 6:45 तक शुभ नामक शुभ चौघड़िया प्राप्त होने के कारण दीप प्रज्वलित करने के लिए श्रेष्ठ है।
अमावस्या तिथि अर्थात दीपावली में स्थिर लग्न* :-
(1)- 12 नवंबर दिन रविवार को स्थिर लग्न वृष रात में 05:23 से 7:19 बजे तक । जो अति श्रेष्ठ है एवं प्रदोष काल से युक्त है। साथ ही शुभ चौघड़िया भी है अतः दीप प्रज्वलित करने का श्रेष्ठ मुहुर्त्त।
(2)- 12 नवंबर दिन रविवार को स्थिर लग्न सिंह मध्य रात्रि बाद 11:51 से 2:04 बजे रात तक ।
(3)- 13 दिन सोमवार को स्थिर लग्न वृश्चिक सुबह 6:33 से 08:50 बजे तक प्राप्त होने के कारण इस समय मे माता लक्ष्मी का पूजन शुभफल दायी होता है | सोमवती अमावस्या होने के कारण यह दिन अपने आप में पुण्य दायक हो जाता है।
दीपावली पूजन हेतु 12 नवम्बर दिन रविवार को शुभ चौघड़िया समय :-
(1) रात में 5:25 बजे से 07:03 बजे तक शुभ
(2) रात में 07:03 से 8:41 बजे तक अमृत
(3)रात में 8:41 से 10:23 बजे तक चर
(4) रात में 1:40 से 3:18 बजे तक लाभ
(5) भोर में 4:54 से 06:35 बजे तक चर