सुशासन का कछुआ चालः DM ने 3 साल पहले लापरवाह BDO के खिलाफ भेजी थी रिपोर्ट......अब जाकर 'निंदन' की मिली सजा

PATNA: बिहार में सुशासन की सरकार है। दावे किये जाते हैं कि गलत काम करने वाले अफसरों को सजा दी जाती है। ग्रामीण विकास विभाग में तो अजब-गजब का खेल है। तीन साल पहले डीएम अपने बीडीओ पर कार्रवाई करने की सिफारिश करते हैं।लेकिन जिलाधिकारी के शिकायत पर सजा तय करने में ग्रामीण विकास विभाग को तीन साल का समय लग जाता है। इन तीन सालों में विभाग शो-कॉज पूछने उसकी समीक्षा करने और सजा तय करने में गुजार देता है। तीन सालों बाद वैसे लापरवाह अधिकारियों को सजा निंदन की सजा दी जाती है। 

आप इस उदाहरण से समझ सकते हैं। ग्रामीण विकास विभाग ने जुलाई 2021 में पूर्वीचंपारण के बनकटवा प्रखंड के बीडीओ आशुतोष आनंद के खिलाफ निंदन की सजा तय किया है। दरअसल पूर्वी चंपारण के डीएम ने बनकटवा के बीडीओ आशुतोष आनंद के खिलाफ अनुशासनहीनता एवं कर्तव्य के विरुद्ध लापरवाही को लेकर 15 सितंबर 2018 को ग्रामीण विकास विभाग को पत्र दिया था. जिलाधिकारी के आरोप पर ग्रामीण विकास विभाग ने 11 दिसंबर 2018 को आशुतोष आनंद से स्पष्टीकरण की मांग की थी. बीडीओ ने अपना स्पष्टीकरण 20 दिसंबर 2018 को विभाग को सौंप दिया था. जिलाधिकारी से प्रतिवेदन आरोप एवं बीडीओ के स्पष्टीकरण की समीक्षा की गई। समीक्षा में पाया गया कि बीडीओ ने सरकारी सेवक आचार नियमावली के प्रतिकूल कार्य किया है। लिहाजा आशुतोष आनंद प्रखंड विकास पदाधिकारी बनकटवा के विरुद्ध सरकारी सेवक आचार नियमावली के प्रतिकूल कार्य करने के लिए उनके विरुद्ध निंदन का दंड आरोपित किया जाता है. हालांकि विभाग को दंड तय करने में करीब तीन साल का समय लग गया।

 इसके अलावा सीतामढ़ी के नानपुर प्रखंड के बीडीओ प्रदीप कुमार के खिलाफ भी काफी पहले वहां के डीएम ने ग्रामीण विकास विभाग से शिकायत की थी. सुनवाई के बाद बीडीओ प्रदीप कुमार के विरुद्ध चेतावनी का दंड आरोपित किया गया है. वहीं बेतिया के डीएम ने 10 दिसंबर 2019 को ग्रामीण विकास विभाग में मधुबनी प्रखंड के बीडीओ विनय कुमार सिंह के खिलाफ कई गंभीर आरोपों में शिकायत की थी. अब जाकर मधुबनी प्रखंड के हबीडीओ विनय कुमार सिंह के खिलाफ विभाग ने तीन वेतन वृद्धि अवरुद्ध करने का दंड  अधिरोपित किया है।