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बेगूसराय में डॉक्टर की दबंगई, मामूली बीमारी के इलाज में ले ली महिला जान, हत्या की कोशिश का आरोप लगाकर पति को भेजवाया जेल

BEGUSARAI : कहते हैं डॉक्टर धरती का दूसरा भगवान होता है जो लोगों को गंभीर स्थिति में मौत के मुंह से बाहर निकालता है। लेकिन जब वही डॉक्टर लोगों की जान बचाने की जगह किसी की जान ले ले तो उसे हैवान नहीं तो और क्या कहेंगे। ऐसा ही मामला बेगूसराय नगर थाना क्षेत्र से सामने आयी है। जहां कचहरी स्थित एक निजी क्लिनिक के डॉक्टर शौकत अली की साहेबपुर कमाल थाना क्षेत्र के पचवीर की रहने वाली महिला की मामूली बीमारी की लापरवाह वाली इलाज ने उसे मौत की शैय्या पर सुला दिया। इतना ही नहीं मोटे रकम के रुप में लगभग 1 लाख रुपए भी ऐंठ लिए। इस बात की खबर जब उस मृत महिला के पति को लगी तो उसने आपा खो दिया और डॉक्टर से वापस पैसे की मांग करने लगा। बात हथापाई तक आ गई। फिर क्या था डॉक्टर के लोगों ने उसे हत्या की कोशिश के आरोप में पहले उसकी मॉब लिंचिंग की कोशिश की। यह सब होता रहा नगर थाना से महज कुछ दूरी पर। गनीमत रही की राह चलते राहगीर ने SP को इस बात की सूचना दी और पुलिस मौके पर पहुंच उस मृत महिला के पति को हिरासत में लेकर किसी तरह उसकी मॉबलिंचिंग होने से जान बचाई। बात इतने में ही खत्म नहीं हुई। डॉक्टर ने उल्टे मृत महिला के पति पर ही जान मारने की कोशिश की केस कर दी और पुलिस बिना जांच पड़ताल के सिर्फ डॉक्टर के आवेदन पर तीन नन्हे छोटे बच्चे के पिता को जेल भेज दिया। ऐसे में अब उस मृत महिला की तीन नन्ही बच्ची सड़क पर आ गई। जिसे अभी दुनिया देखना था। पिता न्याय मांगने के चक्कर में जेल चले गए। यह सब हुआ उसकी गरीबी के कारण। इस मामले में एसपी योगेंद्र कुमार ने बताया कि घटना की अनुसंधान की गई है और इस मामले में दोषी मृत महिला के पति को जेल भेज दिया गया है। अब सवाल ये उठता है बेगूसराय पुलिस इस मामले में एक पक्षीय कार्रवाई क्यों की। क्या पुलिस को मृत महिला का भी पक्ष जानना चाहिए थी। उसे मामले की भी पड़ताल करनी चाहिए थी। यह तमाम सवालें हैं जो बेगूसराय पुलिस के कार्यशैली को एक बार फिर सवालों के घेरे में डाल रहे हैं। फिलहाल पीड़ित परिवार के लोगों ने इस मामले में दोषी डॉक्टर और जांच में लापरवाह अधिकारी के खिलाफ बेगूसराय न्यायालय में न्याय की गुहार लगाई है।

घटना के सम्बन्ध में बताया जा रहा है की बेगूसराय नगर थाना क्षेत्र के कचहरी चौक स्थित एक निजी क्लीनिक में डॉक्टर शौकत अली के पास 26 अगस्त को  साहेबपुर कमाल थाना क्षेत्र से पचवीर के रहने वाले 35 वर्षीय गंगा पुत्र अपनी बीबी अनीता देवी की मामूली बीमारी की इलाज के लिए आया था। डॉक्टर ने मरीज को देखते ही गंभीर बताया और तत्काल 1 लाख रुपए बेहतर इलाज के लिए मांग की। गंगा पुत्र पेशे से कबाड़ी का काम करता है। उसने वक्त की नजाकत को समझते हुए लोगों से कर्ज लेकर तत्काल डॉक्टर को ₹70000 रखने को कहा और पैसे की व्यवस्था में गंगापुत्र गांव वापस आ गया। पत्नी वही एडमिट थी। इसी बीच गंगापुत्र फिर शेष रकम लेकर डॉक्टर को दिया। इसके बाद देर रात डॉक्टर ने बीपी अत्यधिक होने की वजह बता कर उसे वहां से सदर अस्पताल रेफर कर दिया। जब गंगापुत्र अपनी पत्नी को सदर अस्पताल ले गया। वहां जाते ही उसकी पत्नी ने दम तोड़ दिया। इस बीच क्रिया कर्म होने के बाद गंगापुत्र ने डॉक्टर से बात की और कहा मेरी पत्नी तो चली गई डॉक्टर साहब पैसे मुझे वापस चाहिए। ताकि तीन छोटी बच्चियों को कुछ सहारा मिल सके।

डॉक्टर से बात करने के बाद गंगा पुत्र 14 सितंबर को पैसे वापस लेने के लिए डॉक्टर शौकत अली के क्लीनिक पहुंचा। जहां डॉक्टर ने ना सिर्फ पैसे देने से इंकार किया। बल्कि उनका कहना है ऐसी कोई मरीज मेरे यहां आज तक एडमिट ही नहीं हुई। इसके बाद नौबत हाथापाई तक आ गई और इस दरमियान डॉक्टर शौकत अली को गंगा पुत्र द्वारा गर्दन पर सर्जरी ब्लेड लग गयी। फिर पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और आरोपी गंगा पुत्र को गिरफ्तार कर जेल दिया। दूसरी तरफ आरोपी गंगापुत्र का कहना है कि वह पत्नी की मौत के बाद रुपया वापस लेने के लिए डॉक्टर शौकत अली के क्लिनिक गया था। इसके बाद उन्होंने उसे पहचानने से इनकार कर दिया और बात हाथापाई तक आ गई। जिसके बाद हैवान डॉक्टर के लोगों ने गंगा पुत्र को अकेला देख ना सिर्फ बेरहमी से उल्टा पिटाई करने लगे। बल्कि उनपर झूठे केस में फंसा कर उनको जेल भेज दिया।

इस मामले में आरोपी गंगा पुत्र के परिवार वालों का कहना है कि गंगा पुत्र बेकसूर था और है आज तक उस पर किसी तरह का कोई केस नहीं है। वह तीन नन्ही बच्ची और एक बीवी का पालन पोषण कबाड़ी बेचकर किया करते थे। इस बीच अचानक बीवी की तबीयत खराब होते ही गंगा पुत्र बेगूसराय डॉक्टर शौकत अली के यहां इलाज कराने आए। जिसके एवज में डॉक्टर ने ना सिर्फ लाखों रुपए ऐंठे। बल्कि लापरवाही के कारण गंगा पुत्र के पत्नी की मौत भी हो गई। इसके बाद गंगा पुत्र डॉक्टर के यहां पैसे वापस लेने के लिए गया। जहां पर हाथापाई हुई तो हैवान डॉक्टर के गुर्गों ने न सिर्फ गंगाराम की बेरहमी से पिटाई करनी शुरू कर दी। बल्कि मॉब लिंचिंग की कोशिश करने की भी भरपूर प्रयास की। गनीमत रही की वहां जाते हुए राहगीर ने पहले थाना को फोन किया। थाना ने कोई रिस्पांस नहीं दिया। बाद में उसने एसपी को फोन किया। एसपी ने एक्शन में आते ही गंगा पुत्र को मॉब लिंचिंग से बचाया। यह सब कुछ होता रहा नगर थाना के महज 10 कदम की दूरी पर।

वहीं हैवान डॉक्टर की दबंगई और लापरवाह जांच अधिकारी के खिलाफ गंगा पुत्र के परिवार वालों ने पुलिस प्रशासन से नाराज होकर निर्दोष गंगा पुत्र और बिन मां- बाप के साये से सड़क पर भटक रही 3 बच्चियों की सहारा के और इंसाफ़ लिए अब न्यायालय में न्याय की गुहार लगाई है। आरोपी गंगा पुत्र के अधिवक्ता का मानना है कि इस घटना के बाद कुछ लोग इसे मजहबी रंग देना चाह रहे हैं। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं होगा। उन्होंने कहा की डॉक्टर अगर बेकसूर थे। उनके पास सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। वह लोगों के सामने सीसीटीवी फुटेज क्यों नहीं ला रहे। अगर गंगा पुत्र अपराधी था तो सर्जरी ब्लेड से हमला कैसे हुआ। कोई और हथियार लेकर वहां हमला करता। यह डॉक्टर की गरीबों के साथ सोची समझी साजिश है और पुलिस ने भी बिना सोचे समझे एक तरफा कार्रवाई कैसे कर दिया। जो न्यायालय कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। 

इस घटना के बाद एसपी योगेंद्र कुमार ने बताया कि मामले की गंभीरता से जांच की गई है। गंगा पुत्र डॉक्टर शौकत अली के पास गया था। उसने डॉक्टर से अपने पैसे वापस मांगे। जिसमें हाथापाई हुई और उसने धारदार ब्लेड चला दिया। उसे उसे घटना से पहले कानून का सहारा लेना था जो उसने नहीं लिया। उल्टा उसने कानून हाथ में लिया।  जिसके बाद गंगा पुत्र पर आरोप सिद्ध हुआ है और जेल भेजा गया।

बेगूसराय से अजय शास्त्री की रिपोर्ट

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