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दाग गहरे हैं...जांच का आदेश खानापूर्ति तो नहीं ? रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप में घिरे भवन निर्माण के E.E. 'सुधीर रंजन' के खिलाफ जांच की कछुआ रफ्तार...कब होगा एक्शन ?

दाग गहरे हैं...जांच का आदेश खानापूर्ति तो नहीं ? रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप में घिरे भवन निर्माण के E.E. 'सुधीर रंजन' के खिलाफ जांच की कछुआ रफ्तार...कब होगा एक्शन ?

PATNA: पाटलिपुत्र भवन प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता सुधीर कुमार रंजन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं. ठेकेदारों ने कार्यपालक अभियंता के खिलाफ मुख्यमंत्री से लेकर विभागीय मंत्री-सचिव तक कंप्लेन किया. खबर न्यूज4नेशन ने उठाया. इसके बाद चहुंओर घिरते देख आरोपी कार्यपालक अभियंता लंबी छुट्टी पर चले गए. इधर कंप्लेन के बाद विभाग ने जांच की गाड़ी को आगे बढ़ाया. भवन निर्माण विभाग ने 16 अक्टूबर को पत्र भेजकर शिकायत की जांच करने को कहा है. हालांकि जांच की रफ्तार इतनी धीमी है कि आरोपी को सीधा लाभ मिलते दिख रहा.  

भवन निर्माण विभाग ने 16 अक्टूबर को जांच के दिए थे आदेश 

भवन निर्माण विभाग के उप सचिव ने 16 अक्टूबर को और मुख्य अभियंता पटना की तरफ से 19 अक्टूबर को जांच के संबंध में भवन निर्माण विभाग पटना के अधीक्षण अभियंता इंजीनियर रामाज्ञा कुमार को पत्र दिया गया. इस पत्र के आलोक में अधीक्षण अभियंता रामाज्ञा कुमार ने परिवादी लाल जी के द्वारा पाटलिपुत्र भवन प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता सुधीर कुमार रंजन के खिलाफ लगाए गए आरोप के समर्थन में कागजात एवं शपथ पत्र देने को कहा. इसके लिए अधीक्षण अभियंता ने 25 नवंबर 23 को समय तय किया था. उस दिन पीड़ित ठेकेदार ने शपथ पत्र के साथ पूरी जानकारी अधीक्षण अभियंता को दी थी. एक महीना से अधिक हो गए,सबूत और शपथ पत्र दोनों मिल गया. इसके बाद भी जांच की गाड़ी की रफ्तार पर ब्रेक लगी हुई है.

कार्यपालक अभियंता सुधीर रंजन पर गंभीर आरोप 

पाटलिपुत्र भवन प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता सुधीर रंजन के खिलाफ गंभीर आरोप लगे, इसके बाद वे लंबी छुट्टी पर चले गए हैं. ठेकेदार लालजी ने कार्यपालक अभियंता की पोल खोल कर रख दी थी. पीड़ित ठेकेदार ने मुख्य़मंत्री नीतीश कुमार से लेकर निगरानी ब्यूरो और भवन निर्माण विभाग में आवेदन देकर कार्यपालक अभियंता के खिलाफ जांच की गुहार लगाई थी. पाटलिपुत्र डिवीजन के कार्यपालक अभियंता पर आरोप है कि ठेकेदार ने रिश्वत में 1 लाख 20 हजार रू नहीं दिए तो इंजीनियर ने प्राक्कलन को सीधे 50 फीसदी घटा दिया. मामला पटना के विधान पार्षदों के आवास से जुड़ा है. विधान पार्षदों के नव निर्मित आवास के रख रखाव का जिम्मा पाटलिपुत्र भवन प्रमंडल को है. इस प्रमंडल के जेई और एई ने 9 अगस्त 2023 को रिपोर्ट दिया. जिसमें एमएलसी फ्लैट संख्या-10 के मेंटेनेन्स के लिए 1.75 लाख रू का प्राक्कलन दिया. फ्लैट संख्या-22 के लिए 1.50 लाख रू, फ्लैट संख्या- 42 के लिए 1.23 लाख, फ्लैट संख्या-30 के लिए 1.14 लाख रू का प्राक्कलन दिया. जूनियर इंजीनियर और सहायक अभियंता के साईन करने के बाद कार्यपालक अभियंता सुधीर रंजन ने भी इस प्राक्कलन को 11 सितंबर 2023 को मंजूर कर दिया. अब चूंकि इस प्राक्कलित राशि को अप्रूवल के लिए अधीक्षण अभियंता के पास भेजना था. लिहाजा यहीं से बारगेनिंग शुरू हो गई. बिना पैसा लिए अधीक्षण अभियंता के यहां भेजने से कार्यपालक अभियंता ने साफ मना कर दिया.

6 लाख के काम में कार्यपालक अभियंता को चाहिए 1.20 लाख की रिश्वत  

पाटलिपुत्र भवन प्रमंडल में काम कर रहे ठेकेदार लालजी का आरोप था कि कार्यपालक अभियंता सुधीर रंजन ने यह राशि जो लगभग 6 लाख की थी, कुल राशि का 20 फीसदी यानि 1.20 लाख रू बतौर रिश्वत मांगने लगे. हमने इतनी राशि देने से इनकार कर दिया तो उन्होंने उस प्राक्कलन को अधीक्षण अभियंता के यहां भेजने से मना कर दिया. इसके बाद जेई और एई पर दबाव बनाकर प्राक्कलन को बदल दिया गया. नए प्राक्कलन में राशि को पचास फीसदी कम कर दिया गया. प्रमाण के तौर पर पुराना और नया रिपोर्ट सामने है. आरोप है 11 सितंबर को कार्यपालक अभियंता ने रिश्वत की डिमांड की. नहीं दिया तो उसी दिन यानि 11 सितंबर को ही  जेई और एई से नया प्राक्कलन रिपोर्ट ले लिया. अगले दिन यानि 12 सितंबर को उन्होंने खुद उस रिपोर्ट पर दस्तखत कर अधीक्षण अभियंता के यहां भेेज दिया. नए रिपोर्ट में प्राक्कलित राशि को काफी कम कर दिया गया है. नए रिपोर्ट में फ्लैट संख्या- 10 में 63 हजार, फ्लैट संख्या- 22 में 64200 रू, फ्लैट 42 में 82850 रू और फ्लैट 30 में 61000 रू का प्राक्कलन बनाकर भेजा गया.


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