ऑनलाइन टिकट बुकिंग के नाम पर ई-वॉलेट कंपनियों ने मचा रखी है लूट, एक ही जगह की यात्रा के लिए लेते हैं अलग-अलग चार्ज

PATNA : रेलवे ने टिकट बुकिंग के लिए जबसे ऑनलाइन टिकट बुकिंग की सुविधा शुरू की है, तबसे ज्यादातर लोग रिजर्वेशन काउंटर पर जाकर टिकट बुक करने की जगह घर बैठे मोबाइल या कंप्यूटर से ही अपनी टिकट बुकिंग करना पसंद करते हैं। इससे न सिर्फ समय की बचत होती है, बल्कि ट्रेवलिंग और भीड़ भाड़ से भी बचते हैं। आज न सिर्फ रेलवे के अधिकारिक एप IRCTC से टिकट बुकिंग होती है, बल्कि उसके साथ पेटीएम, अमेजन पे, फोन पे, मोबीक्विक, गुगल द्वारा संचालित वेयर इन माई ट्रेन जैसे ई-वॉलेट एप से भी टिकट बुकिंग होती है। IRCTC की तुलना में इन मोबाइल वॉलेट से पेमेंट आसान होने के कारण ज्यादातर इससे ही बुकिंग करते हैं। लेकिन,बुकिंग के नाम पर इन ई-वॉलेट कंपनियों द्वारा चार्ज लिया जाता है, वह बेहद ही हैरान करनेवाला है। एक ही जगह यात्रा करने के लिए सभी कंपनियों द्वारा अलग-अलग चार्ज लिया जाता है, जो 40 रुपए से लेकर 125 तक होता है।

यह है उदाहरण

डेहरी से पटना तक के स्लीपर कोच के लिए टिकट रेट 145 रुपए निर्धारित है। बुकिंग काउंटर से टिकट लेने पर यही रेट देना होता है। लेकिन ऑनलाइन में यह रेट बदल जाता है। डेहरी से दो यात्रियों ने ऑनलाइन टिकट बुकिंग कराई। दोनों टिकटों का मूल्य 290 रुपए होता है। अगर IRCTC के एप से बुकिंग कराते हैं तो दोनों टिकटों के लिए 310-314 रुपए चार्ज किए जाते हैं। लेकिन दूसरे ई-वॉलेट में बुकिंग करने पर यह रेट बदल जाता है।

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मसलन भारत में सबसे ज्यादा प्रयोग करनेवाले फोन पे से यही बुकिंग की जाती है तो दो टिकटों के लिए 429 रुपए का भुगतान करना पड़ेगा। गुगल पे से जुड़ी व्येहर इज माय ट्रेन से भी बुकिंग करने पर भी 429 रुपए ही चार्ज किए जाते हैं।

पेटीएम में यही दो टिकट के लिए 358 रुपए चार्ज किए जाते हैं। जबकि अमेजन पे के एप से पेमेंट करने पर यह 328 रुपए लिए जाते हैं। 

IRCTC सिर्फ 18 रुपए चार्ज करता है, लेकिन पेमेंट करना मुश्किल

बात अगर रेलवे के अधिकारिक IRCTC के एप की करें तो यहां बुकिंग करने पर मोबाइल वॉलेट की तुलना में बेहद कम शुल्क लिए जाते हैं। यहां दो टिकट को लिए लगभग 20 रुपए लिए जाते हैं। लेकिन IRCTC के एप पर बुकिंग की पेमेंट प्रक्रिया ऐसी कर दी गई है कि लोग इसकी जगह दूसरे ई-वॉलेट का प्रयोग करना ज्यादा बेहतर समझते हैं। 

जिसका फायदा शुल्क के नाम पर यात्रियों को लूटने में यह कंपनियां करती हैं। जिस पर रेल मंत्रालय द्वारा भी कभी न तो ध्यान दिया जाता है और न ही इन्हें रोकने के लिए कोई नियम बनाए गए है, जिससे सभी ई-वॉलेट के लिए एक समान शुल्क तय किया जाए। एक तरफ देश के प्रधानमंत्री दुनिया में भारत के यूपीआई पेमेंट को लेकर सफलता के गुणगान करते हैं. वहीं दूसरी तरफ यूपीआई से जुड़ी कंपनियों द्वारा लिए जानेवाले सर्विस चार्ज को लेकर कोई गाइडलाइन नहीं बनाया है। जिसके कारण यह कंपनियां आम जनता की जेबों से पैसे निकाल रही है।