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सरकारी खजाने की लूट है बिहार सरकार की आर्थिक सर्वे... मुसहर जाति पर रिपोर्ट देख भड़के जीतन राम मांझी, CM नीतीश उड़ाते हैं गरीबी का मजाक

सरकारी खजाने की लूट है बिहार सरकार की आर्थिक सर्वे... मुसहर जाति पर रिपोर्ट देख भड़के जीतन राम मांझी, CM नीतीश उड़ाते हैं गरीबी का मजाक

पटना. नीतीश सरकार द्वारा जारी बिहार की जातिगत आर्थिक सर्वे रिपोर्ट को पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने फर्जी करार दिया है. उन्होंने मंगलवार को रिपोर्ट में मुसहर और भुईयां जाति की आर्थिक स्थिति को लेकर जारी आंकड़ों को कागजी लिफाफेबाजी कहा. रिपोर्ट के अनुसार अनुसूचित जाति में कुल 42.93 फीसदी परिवार गरीब हैं. इसमें दुसाध में 39.36 फीसदी, चमार में 42.06 फीसदी, मुसहर में 54.56, पासी में 38.24 फीसदी परिवार गरीब हैं. वहीं धोबी में 35.82, डोम में 53.10 फीसदी, नट में 49.06 फीसदी परिवार गरीब हैं. 

इसी को लेकर जीतनराम मांझी ने नीतीश सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने सोशल मीडिया पर किए एक पोस्ट में नीतीश सरकार की रिपोर्ट पर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने लिखा है, ‘वाह रे जातिगत जनगणना। सूबे के 45.54% मुसहर अमीर हैं, 46.45% भुईयां अमीर हैं? साहब सूबे के किसी एक प्रखंड में 100 मुसहर या भूईयां परिवारों की सूची दे दिजिए जो अमीर हैं? आप चाचा भतीजा को जब जनगणना करना था तो फिर कागजी लिफाफेबाजी क्यों? सूबे में “जनगणना”के बहाने खजाने की लूट हुई है।‘

इसी को लेकर जीतनराम मांझी ने इसे राज्य के खजाने की लूट कहा है. उन्होंने मुसहर और भुईयां जातियों की आर्थिक स्थिति के आकलन को फर्जीवाड़ा करार दिया. उन्होंने एक अन्य पोस्ट में लिखा है - बिहार सरकार मानती है”जिस परिवार की आय प्रति दिन 200₹ है वह परिवार गरीब नहीं है” गरीबी का इससे बडा मजाक नहीं हो सकता। माना कि एक परिवार में 5 सदस्य हैं तो सरकार के हिसाब से परिवार का एक सदस्य को 40₹ में दिन गुजारना है। चाचा-भतीजा जी 40₹ में कोई व्यक्ति दिन भर गुजारा कर सकता है?  


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