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शर्मनाक : 1 लाख रुपये लेने के बाद निजी अस्पताल ने परिजनों को सौंपी डेड बॉडी, शव की हालत देखकर परिजनों के उड़े होश

शर्मनाक : 1 लाख रुपये लेने के बाद निजी अस्पताल ने परिजनों को सौंपी डेड बॉडी, शव की हालत देखकर परिजनों के उड़े होश

N4N DESK : वैसे तो निजी अस्पतालों की मनमानी और पैसे के लिए कुछ भी कर गुजरने के मामले सामने आते रहते है, लेकिन वर्तमान कोरोना के दौर में भी इनकी इंसानियत और मानवता ताक पर ही है। कोरोना वायरस से जहां पूरी दुनिया त्राहिमाम कर रही है वहीं इसके मरीजों के इलाज के नाम कुछ निजी अस्पताल मानवता को शर्मसार कर देनी वाली घटना को अंजाम देने से गुरेज नहीं कर रहे। एक ऐसा ही मामला एमपी के इंदौर शहर से सामने आया है। 

शहर के अन्नपूर्णा इलाके में स्थित एक निजी अस्पताल में तीन दिन पहले भर्ती हुए 87 साल के बुजुर्ग की बीती देर रात मौत हो गई। परिजन का आरोप है कि अस्पताल ने शव को रखने में लापरवाही दिखाई। पूरी बॉडी को चूहों ने कुतर दिया। परिजन को शव तभी सौंपा गया, जब उन्होंने एक लाख का बिल चुका दिया। मामला सामने आने के बाद प्रशासन द्वारा इसके जांच के आदेश दिए गये है। बताया जा रहा है कि इतवारिया बाजार के रहने वाले 87 वर्षीय नवीन चंद जैन नामक बुजुर्ग को को सांस लेने में तकलीफ होने पर 17 सितंबर को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। परिजन के अनुसार, बुजुर्ग का कोविड वार्ड में इलाज चल रहा था। रविवार रात करीब 3 बजे उनकी मौत की सूचना दी गई। कहा गया कि निगम की गाड़ी उन्हें अंतिम संस्कार के लिए लेकर जाएगी। 

परिजन प्राची जैन का कहना है, ‘जब अस्पताल पहुंचे तो एक लाख से ज्यादा का बिल थमा दिया गया। बिल जमा करने के बाद शव दिया गया। लेकिन जब शव सामने आया तो उसकी हालत को देखकर हमलोगों के  होश उड़ गए। चेहरे और पैर में गंभीर घाव थे। अस्पताल प्रबंधन ने शव को कहीं ऐसी जगह पटक दिया था, जहां चूहों ने कुतर दिया। आंख पर गंभीर घाव हो गया था। परिजनों का कहना है कि जब अस्पताल प्रबंधन से बात की तो उनका कहना था कि हमसे गलती हो गई।

परिजन के अनुसार, अस्पताल वालों ने भर्ती करने के बाद हमें मिलने नहीं दिया। रविवार शाम 4 बजे फोन पर बात हुई तो वे अच्छे से बात कर रहे थे। रात साढ़े 8 बजे अस्पताल वालों ने हमें बुलाया और हालत गंभीर बताते हुए हमसे कागज पर साइन करवा लिए। देर रात साढ़े 3 बजे हमें बताया कि उनकी मौत हो गई। यदि वे कह देते तो हम रात में ही शव लेकर चले जाते। अस्पताल वालों ने इस तरह से बॉडी क्यों छोड़ा? हमारे साथ अन्याय हुआ है।बता दें इंदौर से यह कोई पहला मामला सामने नहीं आया है। इससे पहले भी कोरोना मरीज के साथ ऐसी लापरवाही की घटना हो चुकी है। बीते 9 सितंबर को ऐसा ही मामला सामने आया था जब परिजनों को कोरोना मरीज के मौत का पता 10 दिन बाद चला। जबकि अस्पताल प्रबंधन कहता रहा कि इलाज चल रहा है। 

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