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EPF के नाम पर शिक्षकों के साथ छलावा कर रही सरकार,नियुक्ति-वेतन पर गलत सूचना अंकित करवा रहे अधिकारी

EPF के नाम पर शिक्षकों के साथ छलावा कर रही सरकार,नियुक्ति-वेतन पर गलत सूचना अंकित करवा रहे अधिकारी

पटनाः बिहार के पंचायती राज और नगर निकायों के अंतर्गत कार्यरत शिक्षकों के लिए नई सेवा शर्त लागू की गई है। नई सेवा शर्त नियमावली को शिक्षकों ने सरकार पर धोखा देने का आरोप लगाया है।राजद ने नई सेवा शर्त और ईपीएफ को लेकर राजद ने नीतीश सरकार को घेरा है।राजद ने कहा है कि ईपीएफ का लाभ देने का ढ़िढ़ोरा पिटने वाली इस निर्दयी सरकार एक बार फिर राष्ट्र निर्माता शिक्षकों के साथ छलावा कर रही है। राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि शिक्षकों के लिए सामाजिक सुरक्षा के तहत राज्य सरकार ने जिस ईपीएफ एक्ट-1952 के तहत उनके भविष्य निधि व अन्य लाभ के लिए प्रावधान किया है। 


01 नवंबर, 1990 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायादेश के पश्चात इस संशोधित एक्ट में आदेश है कि कर्मचारियों का भविष्य निधि की कटौती एवं उसका अंशदान उनकी नियुक्ति की तिथि से देय होगा। मगर राज्य सरकार अपने अधिकारियों के माध्यम से इस कानून का खूल्लम खुल्ला उल्लंघन करते हुए ईपीएफ फॉर्म के प्रपत्र में नियुक्ति के स्थान पर सभी शिक्षकों का उनकी नियुक्ति तिथि न दर्ज कर ईपीएफ लागू करने की तिथि एक सितंबर, 2020 अंकित करवा रही है तो वहीं उनके वेतन की जगह उनका कुल वेतन (मूल वेतन और डीए, आदि) न भरवा कर मात्र 15000 हजार रुपए या उससे कम भर रही है। 

उन्होंने कहा कि सरकार ने अबतक शिक्षकों को भविष्य निधि का लाभ, तथा इसके तहत कटौती व अपना अंशदान नहीं देने के अपराध तथा न्यायालय में चल रहे अवमाननावाद से बचने के लिए ऐसा कर रही है। साथ ही शिक्षकों एवं न्यायालयों को गुमराह तथा इस कानून का उल्लंघन कर नियुक्ति तिथि की जगह ईपीएफ लागू की तिथि दर्ज इसीलिए करवा रही है कि इस इस एक्ट के तहत अबतक के लाभ से शिक्षकों को वंचित किया जा सके। साथ ही भविष्य में मिलने वाले लाभ को भी कम से कम किया जा सके।  


उन्होंने कहा कि ईपीएफ एक्ट के नियमावली 6 और 8 में स्पष्ट प्रावधान है कि अगर किसी कर्मचारी का भविष्य निधि की कटौती नियोक्ता द्वारा नियुक्ति की तिथि से नहीं की गई हो तो इसके लिए दोषी नियोक्ता होंगे और नियोक्ता द्वारा ही नियुक्ति तिथि से कर्मचारियों के ईपीएफ के लागू होने की तिथि तक का कर्मचारी एवं नियोक्ता दोनों का अंशदान नियोक्ता के द्वारा ही ईपीएफ में जमा कराया जायेगा। साथ ही एक्ट के प्रावधान में यह भी अंकित है कि उक्त अवधि का  12.50%  ब्याज भी नियोक्ता को ही भुगतान करना है। अन्यथा की स्थिति इपीएफ एक्ट के अनुसार यह अपराध की श्रेणी में है और इसके लिए दंड का भी प्रावधान है।

मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि किसी भी सरकारी दस्तावेज में कर्मचारी/नागरिक द्वारा गलत सूचना अंकित करना/करवाना कानून अपराध है। लेकिन इसके बाद भी न्याय व सुशासन का नारा देने वाली इस सरकार के निर्देश पर जिला शिक्षा पदाधिकारियों के द्वारा लिखित आदेश देकर शिक्षकों को ऐसा करने के लिए बाध्य किया जा रहा है। राजद प्रवक्ता ने कहा कि अगर राज्य सरकार को शिक्षा व शिक्षकों के प्रति थोड़ी भी हमदर्दी है तो अपने अधिकारियों के द्वारा कराई जा रही इस तरह के अपराधकृत पर अविलंब विराम लगाते हुए शिक्षकों से सही सूचना अंकित करवाते हुए ईपीएफ एक्ट के प्रावधान के अनुसार सभी लाभ देने की व्यवस्था करवाई जाए।

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