Lakhisarai : बड़हिया थाने में तीन साल तक पोस्टिंग के बाद लखीसराय टाउन थाना में ट्रांसफर किए थानाध्यक्ष धीरेंद्र कुमार पांडेय की ज्वायनिंग से पहले शुभ मुहुर्त निकालने का भी कोई फायदा नहीं हुआ और जिले के मुख्य थाने की जिम्मेदारी संभालने के बाद घंटे भर का भी समय नहीं गुजरा था कि उन्हें लखीसराय जिले से ही दूर कर दिया गया और सीधे मुंगेर जाने का फरमान जारी हो गया। अब बड़हिया के लोगों को कहना है कि जिले को एक विवादि अधिकारी से मुक्ति मिली।
गौरतलब है कि बड़हिया थानाध्यक्ष के रूप में 3 वर्षों का कार्यकाल पूरा कर लेने के कारण राज्य मुख्यालय के निर्देश पर एसपी सुशील कुमार ने थानाध्यक्ष धीरेंद्र कुमार पांडेय को बड़हिया से स्थानांतरित करते हुए लखीसराय थाना का थानाध्यक्ष बनाया था। जिसके बाद बताया जा रहा है कि लखीसराय टाउन थाना की जिम्मेदारी संभालने के लिए उन्होंने शुभ मुहुर्त भी निकाला, जो एक सितंबर को दोपहर 11 बजकर 36 मिनट का था। ठीक इसी समय पर डीके पांडेय ने टाउन थाना के थानाध्यक्ष के रूप में अपनी जिम्मेदारी संभाली। उम्मीद थी कि शुभ समय में जिम्मेदारी संभाली है तो यहां भी तीन साल तक जमकर काम करने का मौका मिलेगा।
घंटे भर बाद ही मुंगेर हुआ ट्रांसफर
बताया गया कि लखीसराय टाउन थाना के थानाध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी संभालने के लिए शुभ मुहुर्त का भी कोई फायदा नहीं हुआ और ज्वायनिंग के कुछ समय बाद ही इसी तारीख को मुंगेर डीआइजी कार्यालय से एक आदेश जारी हुआ, जिसमें उन्हें लखीसराय से मुंगेर ट्रांसफर करने की जानकारी दी गई। दो सितंबर गुरुवार को डीआइजी का पत्र लखीसराय के एसपी के साथ ही थानाध्यक्ष डीके पांडेय को भी मिला। मुंगेर के डीआइजी ने थानाध्यक्ष डीके पांडेय का लखीसराय से मुंगेर जिला ट्रांसफर किए जाने का आदेश जारी कर राज्य निर्वाचन आयोग बिहार पटना, लखीसराय के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को इसकी जानकारी दी है।
सरकारी आवास में नहीं गुजरा एक भी दिन
बताया जा रहा है कि डीके पांडेय प्रभार लेने के साथ ही लखीसराय थाना स्थित सरकारी आवास में शिफ्ट भी कर चुके थे। लेकिन इस आवास में उन्हें ठीक से एक रात भी आराम करने का मौका नहीं मिल सका था कि उन्हें नए जगह पर जाने का आदेश मिल गया। अब एक घंटे के थानाध्यक्ष डीके पांडेय का ट्रांसफर पुलिस महकमा और आम लोगों के बीच यह चर्चा का विषय बन गया है। घंटो में हुए इनके दूसरे तबादले से जिलेवासियों में तरह-तरह की चर्चाएं है। कई लोगों का कहना है कि थानाध्यक्ष की छवि विवादित रही है, जिले को उनसे मुक्ति मिल गई है।