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Exclusive : बाहुबली आनंद मोहन की बेटी की रिंग सेरेमनी में सीएम नीतीश के साथ उतरा पूरा मंत्रिमंडल, बिहार में सियासी सरगर्मी तेज...

Exclusive : बाहुबली आनंद मोहन की बेटी की रिंग सेरेमनी में सीएम नीतीश के साथ उतरा पूरा मंत्रिमंडल, बिहार में सियासी सरगर्मी तेज...

पटना. बाहुबली नेता आनंद मोहन की बेटी सुरभि आनंद की रिंग सेरेमनी में बिहार के सीएम नीतीश के साथ मंत्रिमंडल के कई मंत्री शामिल हुए हैं। इसमें डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, वित्त मंत्री विजय चौधरी, जल संसाधन मंत्री संजय झा और मंत्री सुमित सिंह समेत राजनीति के कई दिग्गज शामिल हुए। बेटी सुरभि आनंद की रिंग सेरेमनी में शामिल होने के लिए आनंद मोहन को 15 दिनों की पैरोल मिली थी। इसके बाद वह जेल से बाहर आये थे।

आनंद मोहन की बेटी सुरभि आनंद दिल्ली हाईकोर्ट में वकील है। आज उनका रिंग सेरेमनी आयोजित है। इस रिंग सेरेमनी कार्यक्रम में बिहार सरकार और विपक्ष दोनों शामिल हुए। इसमें नीतीश सरकार के मंत्री समेत राजद, जदयू और कांग्रेस एवं भाजपा के कई दिग्गज नेता शामिल हुए। इसमें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा आदि शामिल हुए। वहीं इस रिंग सेरेमनी में सियासी नेताओं के शामिल होने से बिहार में सियासी सरगर्मी तेज है।

बिहार के बाहुबली नेताओं में शुमार आनंद मोहन को 15 दिन की पैरोल मिली है। उनकी मां गीता देवी के स्वास्थ्य कारणों और बेटी शुरभि आनंद की रिंग सेरेमनी की वजह से उन्हें 15 दिनों की पैरोल मिली है। सहरसा जेल से बाहर आते ही उनका पुराना रंग दिखा। पत्नी लवली आनंद समेत हजारों लोगों ने आनंद मोहन को जेल से रिसीव किया। जेल से बाहर निकलने के बाद आनंद मोहन ने मीडिया से कहा कि शुभ काम से बाहर निकले हैं। सबको आजादी अच्छी लगती है। जितने दिन बाहर रहूंगा समर्थकों और सभी अपील है कि मेरा साथ दें। आनंद मोहन ने कहा कि ये अस्थाई मुक्ति है। इसमें बहुत कुछ बंधा हुआ है।

कोसी की धरती पर पैदा हुए आनंद मोहन सिंह बिहार के सहरसा जिले के पचगछिया गांव के रहने वाले हैं। पनगछिया में 26 जनवरी 1956 को आनंद मोहन का जन्म हुआ था। उसके दादा राम बहादुर सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे। राजनीति से उनका परिचय 1974 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन के दौरान हुआ। इसके लिए उन्होंने अपना कॉलेज तक छोड़ दिया। इमरजेंसी के दौरान 2 साल जेल में भी रहे। इसके बाद उनकी राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई। बिहार में 80 के दशक में आनंद मोहन सिंह बाहुबली नेता बन चुके थे। उन पर कई मुकदमे भी दर्ज हुए। 1983 में पहली बार तीन महीने के लिए जेल जाना पड़ा। 1990 के विधानसभा चुनाव में आनंद मोहन जनता दल के टिकट पर महिषी से चुनाव लड़े और कांग्रेस के लहतान चौधरी को 62 हजार से ज्यादा वोट से हराया।

एक समय आनंद मोहन को लालू यादव के विकल्प के रूप में देखा जाने लगा था। हालांकि 1994 में आनंद मोहन के दोस्त छोटन शुक्ला की हत्या के बाद सब कुछ बदल गया। छोटन शक्ला के अंतिम संस्कार में आनंद मोहना भी पहुंचे थे। छोटन शुक्ला की अंतिम यात्रा के बीच से एक लालबत्ती की गाड़ी गुजर रही थी, जिसमें उस समय के गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया सवार थे। लालबत्ती की गाड़ी देख भीड़ भड़क उठी और जी कृष्णैया को पीट-पीटकर मार डाला। जी कृष्णैया की हत्या का आरोप आनंद मोहन पर लगा। आरोप था कि उन्हीं के कहने पर भीड़ ने उनकी हत्या की। आनंद की पत्नी लवली आनंद का नाम भी आया।

डीएम की हत्या मामले में आनंद मोहन को जेल हुई। 2007 में निचली अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुना दी। आनंद मोहन देश के पहले पूर्व सांसद और पूर्व विधायक हैं, जिन्हें मौत की सजा मिली। हालांकि, पटना हाईकोर्ट ने दिसंबर 2008 में मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी जुलाई 2012 में पटना हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।

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