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बिहार के इस जिले में किसान कर रहे काले आलू की खेती, अमेरिका से मंगाई है बीज, जानें कैसे की जाती है इसकी खेती...

बिहार के इस जिले में किसान कर रहे काले आलू की खेती, अमेरिका से मंगाई है बीज, जानें कैसे की जाती है इसकी खेती...

GAYA: बिहार के गया के किसान ने अमेरिका से काले आलू के बीज मंगवाकर इसकी खेती शुरू की थी। ट्रायल सफल रहा, तो इस बार 2023 के नवंबर महीने में इन्होंने काला आलू की खेती को बढ़ावा दिया और इस बार कई कटठों में काले आलू की खेती लगानी शुरू कर दी है। इतना ही नहीं इन्होंने अपने नेटवर्क में रहे मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र तक के किसानों को उनकी मांगों पर संरक्षित कर रखे गए बीज भेजे हैं, ताकि वे भी अपने राज्यों में कल आलू की खेती कर सकें। इस तरह गया के किसान के द्वारा काले आलू की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। काले आलू में एंथोसाइएनिन की मात्रा ज्यादा होती है। वही, शर्करा की मात्रा इसमें कम होती है। इसके कारण स्वास्थ्य की दृष्टि से भी काला आलू उपयोग के लिए बेहतर माना जाता है। गया के किसान आशीष कुमार सिंह ने पहली दफा पिछले साल अमेरिका से काले आलू के बीज मंगाए थे।

उन्होंने ट्रायल के तौर पर मात्र 14 किलो बीज मंगवा कर इसकी खेती लगाई थी। ट्रायल सफल रहा 1000 किलोग्राम से अधिक आलू का सफल उत्पादन कर लिया गया। इसके बाद अगले साल के लिए इन्होंने कोल्ड स्टोरेज में बीज सुरक्षित रख दिए थे। इस बार जब सीजन आया तो एक बार फिर से किसान आशीष कुमार सिंह ने काले आलू की खेती शुरू की है। इस बार खेती का रकवा काफी बढ़ा दिया है। कई कट्टों में काले आलू की फसल लगाई गई है। पिछली बार 14 किलोग्राम में इन्होंने तकरीबन हजार किलो काले आलू का उत्पादन किया था। यह काला आलू 200 से 300 किलो प्रति किलोग्राम के हिसाब से बाजारों में बेचे गए थे। बीज मंंगाने में करीब 15 सौ रुपए खर्च हुए थे, पर आमद काफी ज्यादा रही थी, तो इस बार वर्ष 2023 में भी इन्होंने काले आलू की फसल लगाने की ठानी और इस वर्ष नवंबर महीने में इन्होंने काले आलू की फसल लगाने की शुरुआत कर दी है।

किसान आशीष कुमार सिंह बताते हैं कि इन्होंने इस बार टिकारी के गुलरिया चक में काले आलू की खेती लगाई है। खेती लगाने का काम जारी है। इसकी शुरुआत कर दी गई है। बताते हैं, कि काला आलू जो है, वह सफेद और लाल आलू की अपेक्षा स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से बेहतर है। यह बताते हैं कि वैज्ञानिक तथ्यों को देखें तो काले आलू में शर्करा की मात्रा 77 है, लेकिन लाल आलू में शर्करा की मात्रा जीआई 83 है। वही, सफेद आलू में यह मात्रा काफी ज्यादा 93 है, हालांकि 70 जीआई से ऊपर को उच्च माना जाता है, लेकिन फिर भी काले आलू में मात्र 77 जीआई है, तो इस पैरामीटर में काला आलू बेहतर है और सबसे बड़ी बात यह है कि काले आलू में एंथोसाइएनिन काफी मात्रा में पाए जाते हैं। वहीं दूसरी ओर शर्करा कम पाया जाता है। ऐसे में स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से और विभिन्न बीमारियों के खतरों को रोकने के लिए काले आलू का सेवन उपयुक्त माना जा सकता है।

गया के किसान आशीष कुमार सिंह का किसानों के साथ अच्छा नेटवर्क है। देश भर के किसानों से भी जुड़े रहते हैं। यही वजह है, कि उन्होंने नेटवर्क से ही काले आलू की खेती का आईडिया लिया था और फिर उसके बीज अमेरिका से बीच मंगाकर इसकी खेती ट्रायल के तौर पर शुरू की थी। इस बार कई कट्ठा में यह खेती लगा रहे हैं और सबसे बड़ी बात है कि देश में गिने-चुने स्थान पर ही काले आलू की खेती होती है। ऐसे में गया के किसान आशीष के संपर्क में रहे मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र तक के किसानों को उन्होंने मांग पर काले आलू के बीज भेजे है, इसे कैसे लगाना है, यह भी बताया है। इनका कहना है कि काले आलू की खेती भी सफेद और लाल आलू की खेती की तरह ही होती है। इसमें कोई ज्यादा अलग से मेहनत करनी नहीं पड़ती है। बताया कि दूसरे राज्यों में उन्होंने डेढ़ सौ से 200 रुपए किलो काले आलू की बीज दिए हैं। आशीष बताते हैं, कि अगले साल से पूरी संभावना है, कि काला आलू मार्केट में छा जाएगा। बिहार में सैकड़ों किसान इसके बीज की डिमांड कर रहे हैं और इसका उत्पादन करने की कोशिश में जुटे हैं।  बीज की मात्रा बढ़ाने के साथ ही वे इसका वितरण अपने साथी किसानों के बीच कर रहे हैं और एक तरह से अब काले आलू की खेती बिहार में कई स्थानों पर शुरू होगी।

काले आलू की खेती मुख्य तौर पर दक्षिण अमेरिका की खेती मानी जाती है। पहली दफा अमेरिका से ही इसके बीच किसान आशीष कुमार सिंह ने मंगाए थे और इसकी खेती का ट्रायल शुरू किया था, लेकिन अब वे व्यापक पैमाने पर इसकी खेती की तैयारी में हुए जुटे हुए हैं। यह बताते हैं काला आलू के सेवन के फायदे हैं और यह सेहत के लिए गुणकारी है। इस तरह काला आलू की खेती को बढ़ावा देकर किसान आशीष कुमार न सिर्फ खुद आमद को बढा रहे हैं, बल्कि इसकी गुणवत्ता को देखते हुए अन्य किसान भी इसकी खेती करने की तैयारी में जुट गए हैं। वहीं, किसान आशीष कुमार सिंह बताते हैं, कि वह काले आलू के अलावा काले चावल की भी उपज करते हैं। काले चावल के बीज उन्होंने मणिपुर से मंगवाए थे। इसकी खपत अब ज्यादा है, इसकी डिमांड हैदराबाद तक से आ रही है, लेकिन भाव नहीं मिल रहा है, जिसके कारण इसकी बड़े पैमाने पर खेती नहीं कर रहे हैं। काला चावल शुगर फ्री है और डेढ़ सौ से दो सौ रुपए प्रति किलो के दर से बेचा जाता है।

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