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लोजपारा नेता प्रमोद सिंह पर औरंगाबाद में हुई प्राथमिकी दर्ज , कार्यकर्ताओ ने कहा नेता को फंसाने की है साजिश

लोजपारा नेता प्रमोद सिंह पर औरंगाबाद में हुई प्राथमिकी दर्ज , कार्यकर्ताओ ने कहा  नेता को फंसाने की है साजिश

AURANGABAD : औरंगाबाद विस चुनाव में रफीगंज से प्रत्याशी रहे लोक जनशक्ति पार्टी(रामविलास) के प्रदेश महासचिव प्रमोद सिंह पर प्राथमिकी होने से पार्टी नेता भड़क उठे है. इसे लेकर पार्टी नेताओं ने आज प्रेसवार्ता कर  एलजेपीआर नेता प्रो. सतोष सिंह, सुधीर शर्मा एवं अजय पासवान ने पुलिस पर आरोप लगाया कि कासमा थाना के नराईच गांव में 19 मार्च को कब्रिस्तान को लेकर हुए विवाद मामले में पार्टी के प्रदेश महासचिव प्रमोद सिंह की छवि धूमिल करने की नियत से प्राथमिकी दर्ज की है

यह काम कासमा थानाध्यक्ष ने प्रमोद सिंह के राजनीतिक विरोधियों के प्रभाव में आकर किया है. उन्होंने बताया कि प्राथमिकी में जो कारण बताया गया है, वह निरर्थक और बेबुनियाद है। प्राथमिकी में यह आरोप लगाया गया है कि उग्र हुई भीड़ के द्वारा यह कहते हुए सुना जाना कि “प्रमोद सिंह जे जे कहलको, उहे कर तब मामला सलट्तो” बिलकुल ही हास्यास्पद एवं मनगढ़ंत है। ऐसा कर पुलिस ने अपनी ही कार्यशैली को कटघरे में खड़ा किया है।

नेताओं ने कहा कि प्रमोद सिंह पिछले कई दिनों से बिहार से बाहर है . इसके बावजूद पुलिस ने किसी के दबाव में उन पर झूठा मुकदमा दर्ज कर दिया . कहा कि प्रमोद सिंह ने पिछले 15 वर्षो में रफीगंज विधानसभा क्षेत्र में कई ऐसे कार्य किए है, जो सरकार को करने चाहिए थे. उन्होंने नहर उड़ाही, आपदा से ग्रसित लोगों की सेवा, आर्थिक रूप से असमर्थ लोगों को शिक्षा एवं अन्य प्रकार से मदद करने जैसे काम किए हैं। उन्होंने सामाजिक सौहार्द को बिगड़ने से रोकने के लिए कई कार्य किए है। 

सड़क पर करेंगे आंदोलन

उनके कार्यों का परिणाम रहा है कि वें निर्दलीय भी चुनाव लड़े और हिंदू तथा मुस्लिम भाइयों के वोट से दूसरे पोजीशन पर रहे. इसके बावजूद राजनीतिक विद्वेष में उनपर प्रतिद्वंदियों के प्रभाव में आकर कासमा थानाध्यक्ष ने 59 लोगों एवं कई अज्ञात लोगों पर गलत प्राथमिकी दर्ज की है।नेताओं ने कहा कि यदि पुलिस प्राथमिकी से प्रमोद सिंह का नाम नहीं हटाती है तो लोजपा(रामविलास) के कार्यकर्ता आने वाले दिनों में एक बड़ा आंदोलन करेंगे। यह लड़ाई सड़क से लेकर सदन तक लड़ी जाएगी, जिसकी जिम्मेवार पुलिस होगी.

रिपोर्ट  - दीनानाथ मौआर

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