बिहार के राजनीतिक अखाड़े के पांच पहलवान! आने वाले समय में थाम सकते हैं प्रदेश की कमान! सियासत का कौन होगा सरताज!

बिहार के राजनीतिक अखाड़े के पांच पहलवान! आने वाले समय में थाम सकते हैं प्रदेश की कमान! सियासत का कौन होगा सरताज!

बिहार में  युवाओं की राजनीति भागीदारी का गौरवशाली अतीत रहा है, सियासत की शुचिता और बिहार के भविष्य के लिए सुखद भी है कि राजनीति की कमान युवाओं के हाथ में आए.बिहार युवा राजनीति का प्रयोगशाला रहा है.जेपी आंदोलन से लेकर अब तक.बिहार में लालू यादव , नीतीश कुमार, सुशील मोदी, जीतन राम मांझी के आसपास ही राजनीति घुमती रही है ,सोच ,अनुभव के सहारे बुजुर्ग नेता राजनीति की कमान संबाल रहे थे .अब नए आए युवा नेताओं ने अपने परिश्रम ,सोच और विजन से सबको पछाड़ दिख रहे हैं.लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव, रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान, कांग्रेस नेता कन्हैया और प्रशांत किशोर जैसे नेताओं केजोश के सामने बुजुर्ग नेताओं का अनुभव मंद पड़ता दिख रहा है.जिस तरह से युवा नेता परिश्रम कर रहे हैं वैसे में आने वाले दिनों में इनको सत्ता के शिर्ष पर जाने से कोई रोक नही सकता है.

युवा बिहार की राजनीति की कमान अब कमोबेश युवा हाथों में है. तेजस्वी, चिराग, कन्हैया, पीके के बाद, भाजपा ने भी इस सच को समझते हुए एक युवा, सम्राट चौधरी को राज्य की कमान सौंपी है. बिहार के लगभग 56 फीसदी वोटर्स 18 से 40 साल के बीच के आयु समूह के है. नीतीश कुमार के बाद बिहार को एक युवा मुख्यमंत्री मिले तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. 

 तेजस्वी यादव और चिराग पासवान को राजनीति विरासत से मिली है.विरासत की राजनीति आज भी पूरे दमखम के साथ चल रही है और शायद अभी आगे भी चलती रहेगी, तमाम परिवारवाद के आरोपों को झेलने के बाद भी. तेजस्वी यादव पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के पुत्र है. अपने पहले ही विधान सभा चुनाव जीतने के बाद बिहार के उपमुख्यमंत्री बने थे. कम उम्र में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव 20 महीने तक ही सत्ता में रहे थे.बाद में विपक्ष के नेता बनने के बाद उनकी राजनीति और निखर सामने आयी. लालू यादव की अनुपस्थिति में तेजस्वी यादव ने विधानसभा चुनाव में सभी पार्टियों से ज्यादा सीटें लाया. आज बिहार के उपमुख्यमंत्री के साथ कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेवारी संभाल रहे हैं.

चिराग पासवान जैसे युवा नेता न सिर्फ अपनी जाति बल्कि बिहार की सभी जाति के युवाओं के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं. वैसे भी रामविलास पासवान के समय से ही लोजपा की एक रणनीति रही है कि सभी जातियों, ख़ास कर सामान्य जाति, को समेत कर चला जाए. बाहुबल या धनबल, कारण चाहे जो भी रहे हो, लोजपा के अधिकांश उम्मीदवार राजपूत, भूमिहार और ब्राह्मण जातियों से आते रहे हैं.राम विलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान ने भी 2014 में राजनीति की शुरुआत में सफलता का स्वाद चख लिया था. जमुई से लगातार दुसरी बार सांसद चिराग पासवान झटका तब लगा जब उनके पिता के मृत्यु के बाद उनके चाचा ने LJP में बगावत कर दी. चाचा पशुपति पारस खुद केंद्र में मंत्री बन गए.चिराग पासवान ने बिहार की सड़कों पर आंदोलन किया. लेकिन जिस तरह से चिराग पासवान अपने आप को बिहार की राजनीति में रगड़ रहे हैं. राजनीतिक जानकार बताते है कि आने वाले दिनों उनका भविष्य सुनहरा है.चिराग पासवान जब भी बिहार के सुदूर क्षेत्रों के दौरे पर होते है तो उनमें युवाओं की संख्या ठीकठाक होती है. सोशल मीडिया के जरिये भी उनकी लोकप्रियता युवाओं के बीच देखी जा सकती है. अब ये सारी संख्याएं चुनावी परिणाम में कितनी तब्दील होती है, यह कई कारकों पर निर्भर हैं .लेकिन इससे एक चीज साफ़ है कि इस वक्त बिहार में भाजपा के लिए चिराग पासवान को इग्नोर करना तकरीबन नामुमकिन है. 

अब बात कन्हैया कुमार की तो जनेवि के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके कन्हैया सीपीआई  के फायरब्रांड नेता रह चुके हैं अब कन्हैया कुमार कांग्रेस में हैं. बिहार के बेगुसराय से लोकसभा चुनाव लड़ चुके कन्हैया कुमार भले चुनाव हार गए लेकिन, उनके वकतृत्व शैली और बेबाकी ने युवाओं के बीच लोकप्रिय कर दिया.यहीं कारण है कि कांग्रेस ने उन्हें कार्यसमिति में शामिल किया है.

बाच अगले युवा चेहरे प्रशांत किशोर की तो प्रशांत किशोर का नाम आज भारत के किसी भी कोने में परिचय का मोहताज नहीं है. भारत के बड़े राजनीतिक विश्‍लेषकों और चुनाव रणनीतिकारों में उनकी गिनती होती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुजरात से दिल्‍ली लाने के दौरान उन्‍होंने भाजपा के चुनावी रणनीतिकार की भूमिका अदा की तो बाद में वे कांग्रेस, जनता दल यूनाइटेड, तृणमूल कांग्रेस सहित कई दलों के लिए इसी भूमिका में दिखे.पीके ने पिछले साल गांधी जयंती (2 अक्टूबर) से वैकल्पिक राजनीति पर काम करना शुरू किया. उनकी नजर में आरजेडी-जेडीयू के शासन के तीन दशक में बिहार पिछड़ेपन का शिकार हुआ है. भाजपा के काम पर भी पीके सवाल खड़े करते हैं. बिहार कैसे आगे बढ़ सकता है, इसके लिए पद यात्रा पर है. प्रशांत किशोर को कामयाबी दब मिली जब सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से जन सुराज का समर्थित उम्मीदवार एमएलसी का चुनाव जीत गया.  बिहार की यात्रा पूरी करने के बाद वे राजनीतिक दल बनाने वाले हैं.राजनीतिक जानकारों को प्रशांत किशोर में संभावनाएं दिख रही है.

एक चेहरा और सम्राट चौधरी का .सम्राट चौधरी 1990 में सक्रिय राजनीति में शामिल हो गए और 19 मई 1999 को उन्होंने बिहार सरकार में कृषि मंत्री के पद की शपथ ली.वर्ष 2000 और 2010 में परबत्ता विधानसभा से चुनाव लड़ा और विधायक निर्वाचित हुए. 2010 में उन्हें बिहार विधानसभा में विपक्षी दल के मुख्य सचेतक बनाया गया था. 2 जून 2014 को बिहार सरकार में शहरी विकास और आवास विभाग के मंत्री पद की शपथ ली और कार्यभार संभाला था.तब वे सबसे कम उम्र के मंत्री बनने वालों में से थे. 2018 में भारतीय जनता पार्टी में उन्हें बिहार प्रदेश का उपाध्यक्ष बनाया गया. सम्राट चौधरी भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं.


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