Bihar Land Survey: बिहार में चल रहे भूमि सर्वेक्षण में वंशावली प्रपत्र को लेकर नया आदेश जारी किया गया है। इस आदेश के अनुसार, सभी जमीनों के लिए वंशावली प्रपत्र देने की अनिवार्यता नहीं है। यह आदेश जमीन के स्वामित्व को लेकर होने वाले विवादों को कम करने और जमीन संबंधी रिकॉर्ड को अधिक पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से जारी किया गया है।
किस जमीन के लिए वंशावली प्रपत्र जरूरी है?
यदि किसी जमीन की जमाबंदी किसी पूर्वज के नाम पर है या जमीन में कई हिस्सेदार हैं, तो वंशावली प्रपत्र संलग्न करना अनिवार्य होगा। यदि जमीन बाबा-परदादा के नाम पर है और उनके वंशज आपसी मौखिक बंटवारा कर जमीन का उपभोग कर रहे हैं, तो ऐसे मामलों में प्रपत्र 2 के साथ वंशावली प्रपत्र स्वघोषणा के साथ संलग्न करना जरूरी होगा। वंशावली प्रपत्र के साथ सादे कागज पर भी वंशावली बनाकर गवाहों के हस्ताक्षर युक्त अपना स्वघोषणा पत्र देना आवश्यक होगा।
जमीन स्वामित्व को लेकर जो दस्तावेज उपलब्ध हो उसे कर दें संलग्न। विशेष सर्वेक्षण सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी अजय कुमार बताते हैं कि यदि प्रपत्र 2 के साथ संलग्न करने वाले दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं, तो कोई ऐसा दस्तावेज जो जमीन के स्वामित्व को प्रमाणित करता हो, उसे प्रपत्र के साथ संलग्न किया जा सकता है।
कई बार ऐसा होता है कि जमीन पूर्वज के नाम पर है और उनके दस्तावेज या जमाबंदी रसीद उनके किसी अन्य भाई या चाचा के पास होती है। ऐसे में इस नियम से उन हिस्सेदारों को राहत मिलेगी जो अपने हिस्से की जमीन का दावा करना चाहते हैं, लेकिन उनके पास आवश्यक दस्तावेज नहीं हैं। यह नियम उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिनके पास जमीन के दस्तावेज पूरे नहीं हैं या जो जमीन के असली मालिक हैं लेकिन उनके पास पुख्ता सबूत नहीं हैं। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए आप अपने निकटतम बंदोबस्त कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं।