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जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस पर विदेशी मीडिया का खुलासा : 2017 में मोदी सरकार ने इजराइल से खरीदा था, विपक्ष हुआ हमलावर

जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस पर विदेशी मीडिया का खुलासा : 2017 में मोदी सरकार ने इजराइल से खरीदा था, विपक्ष हुआ हमलावर

Desk. जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस पर फिर से भारत में हंगामा शुरू हो गया है. जासूसी सॉफ्टवेयर को लेकर अमेरिकी न्यूज पेपर के खुलासे के बाद विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर हो गये हैं. अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत सरकार ने 2017 में इजराइल से मिसाइल सिस्टम के सौदे के दौरान जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस का भी डिल किया था और इसे खरीदाथा. न्यूज पेपर के अनुसार पूरी खरीददारी पर करीब 2 अरब डॉलर का डिल हुआ था.

देश में सबसे पहले 2019 में पेगासस के जरिए करीब 1400 पत्रकारों, मानव अधिकार कार्यकर्ताओं और कई राजनेताओं के फोन की जासूसी का आरोप लगा था. पेगासस के शिकार व्यक्तियों के फोन के वॉट्सऐप समेत अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों को हैक किए जाने का आरोप लगा था. जुलाई 2021 में मीडिया ग्रुप के एक कंसोर्टियम ने खुलासा किया था कि पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर या स्पाइवेयर का इस्तेमाल भारत समेत दुनिया भर के कई बड़े पत्रकारों-बिजनेसमैन और नेताओं की जासूसी के लिए हो रहा है.

इस रिपोर्ट के मुताबिक, इजराइल से ये जासूसी सॉफ्टवेयर अमेरिकी खुफिया एजेंसी फेडरल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन (FBI) ने भी खरीदा था. एफबीआई ने घरेलू निगरानी के लिए उसका इस्तेमाल करने के लिए टेस्टिंग भी की थी, लेकिन पिछले साल पेगासस का यूज बंद कर दिया था. रिपोर्ट के मुताबिक, पेगासस डील के बदले भारत ने पहली बार इजराइल-फिलीस्तीन विवाद में इजराइल का पक्ष लेते हुए जून 2019 में संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा परिषद में फिलीस्तीन के खिलाफ मतदान किया था. ये मतदान फिलीस्तीन को मानवाधिकार संगठन के पर्यवेक्षक का दर्जा हासिल करने से रोकने के उद्देश्य से किया था.


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