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विदेशी मीडिया : PM मोदी के घमंड, बड़बोले व कमजोर प्लानिंग की वजह से इंडिया में खौफ का मंजर, वैक्सीन एक्सपोर्ट का ढिंढोरा पीटा, अपने उत्पादन क्षमता से वाकिफ नहीं

विदेशी मीडिया : PM मोदी के घमंड, बड़बोले व कमजोर प्लानिंग की वजह से इंडिया में खौफ का मंजर, वैक्सीन एक्सपोर्ट का ढिंढोरा पीटा, अपने उत्पादन क्षमता से वाकिफ नहीं

DESK: मोदी सरकार के 2014 में बहुमत से जीतने पर और 2019 में दोबारा प्रधानमंत्री बनने पर दुनिया के सभी टॉप मीडिया हाउस ने उनकी तारीफ में लंबे-लंबे कसीदे पढ़े थे. अब साल 2021 में जब कोरोना की वजह से भारत में हालात भयावह हो चुके हैं, तब यही विदेशी मीडिया हाउस मोदी सरकार के खिलाफ खुलकर लिख रहे हैं और सच्चाई सामने रख रहे हैं. यह बात किसी से भी छुपी नहीं है कि भारत में कोरोना की वजह से हालात कितने भयावह और हृदय विदारक हो चुके हैं. ऑक्सीजन की कमी से लोगों की मौत हो रही है. अस्पताल में बेड नहीं मिलने से मरीज तड़प-तड़प कर जान दे रहे हैं. जरूरी दवाओं के लिए लोग मारामारी कर रहे हैं और बेरहम लोग कालाबाजारी करने से भी पीछे नहीं हट रहे. ऐसी स्थिति पर जनता लगातार सोशल मीडिया के जरिए अपना गुस्सा जाहिर कर रही है. लोग सोशल मीडिया का सहारा लेकर मदद की भी गुहार लगा रहे हैं, जिसे पूरी दुनिया देख रही है और भारत पर और भारत सरकार पर सवाल उठा रही है.

दुनिया भर के प्रमुख अखबारों ने इस मुद्दे को मजबूती से उठाया है और काफी कड़ी प्रतिक्रिया दी है. ऑस्ट्रेलिया के अखबार ऑस्ट्रेलियन फाइनेंशियल रिव्यू में एक कार्टून पब्लिश कर काफी तीखी प्रतिक्रिया मोदी सरकार के प्रति जाहिर की है. कार्टूनिस्ट डेविड रोव ने एक कार्टून में दिखाया है कि भारत देश जो कि हाथी की तरह विशाल है. वह मरने वाली हालत में जमीन पर पड़ा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसकी पीठ पर सिंहासन की तरह लाल गद्दी वाला आसन लगाकर बैठे हुए हैं. उनके सिर पर तुर्रेदार पगड़ी और एक हाथ में माइक है. वह भाषण वाली पोजिशन में हैं. यह कार्टून सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.

फ्रेंच अखबार ली मॉण्दे ने अपने सम्पादकीय में अस्पतालों और श्मशानों के मंजर का चित्रण करते हुए लिखा है कि महामारी गरीब या अमीर किसी को नहीं बख्श रही. हर रोज 3.5 लाख नए कोरोना मरीज और 2000 से ज्यादा मौतें. ये स्थिति खतरनाक वायरस की वजह से है, लेकिन इसके पीछे भारतीय प्रधानमंत्री के घमंड, बड़बोलेपन और कमजोर प्लानिंग का भी हाथ है. दुनियाभर में वैक्सीन एक्सपोर्ट करके ढिंढोरा पीटा. तीन महीने बाद खुद भारत में खौफ का मंजर देखने को मिला. भारत के हालात आपे से बाहर हो चुके हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मदद की जरूरत है. 2020 में अचानक लॉकडाउन लगा और लाखों प्रवासी मजदूरों को शहर छोड़ना पड़ा. प्रधानमंत्री ने पिछले साल सिस्टम लॉक करके सब रोका और 2021 की शुरुआत में खुला छोड़ दिया.वहीं अमेरिकी अखबार ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ ने 24 अप्रैल के अपने ओपिनियन में लिखा कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर की सबसे बड़ी वजह पाबंदियों में जल्द राहत मिलना है. इससे लोगों ने महामारी को हल्के में लिया। कुंभ मेला, क्रिकेट स्टेडियम जैसे इवेंट में दर्शकों की भारी मौजूदगी इसके उदाहरण हैं. एक जगह पर महामारी का खतरा मतलब सभी के लिए खतरा है. कोरोना का नया वैरिएंट और भी ज्यादा खतरनाक है.

प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन में 23 अप्रैल को राणा अय्यूब के लेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोरोना की लड़ाई में नाकाम बताया गया. लेख में सवाल किया गया है कि कैसे इस साल कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते तैयारी नहीं की गई. प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा गया कि जिम्मेदारी उसके पास है, जिसने सभी सावधानियों को नजरअंदाज किया. जिम्मेदारी उस मंत्रिमंडल के पास है, जिसने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ में कहा कि देश में कोरोना के खिलाफ उन्होंने सफल लड़ाई लड़ी। यहां तक कि टेस्टिंग धीमी हो गई। लोगों में भयानक वायरस के लिए ज्यादा भय न रहा.देश में भले ही सरकार मीडिया रिपोर्ट्स को झुठला दे या उसे दबाने की कोशिश करें या फिर सही आंकड़ों को सामने ना लाए. मगर सच्चाई तो यही है कि विदेशी मीडिया में हर तरफ भारत सरकार की नाकामी और कोरोना महामारी से बिगड़ते हालात और जनता की त्रासदी दिखाई जा रही है. सभी एक सुर में मोदी सरकार की नाकामी पर सवाल उठा रहे हैं, कि किस तरह से उन्होंने बिना किसी ठोस प्लानिंग के कोरोना से सामना करने का निर्णय ले लिया और देश की जनता को इस में झोंक दिया.

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