गया- पर्यटक सीजन को आते ही बोधगया में विदेशियों का आना शुरू हो गया है. धीरे धीरे अब अलग अलग देश के पर्यटक बोधगया पहुंच रहे रहे,इसी कड़ी में थाईलैंड से आए पर्यटक भारतीय संस्कृति परंपरा में साड़ी पहन कर बुद्ध की दर्शन करने महाबोधी मंदिर पहुंची.
गया के बोधगया स्थित विश्वधारोहार महाबोधी मंदिर में थाईलैंड की महिला मेहमान भारतीय संस्कृति परंपरा में साड़ी पहन कर बुद्ध मंदिर में पूजा अर्चना करने पहुंची है . विदेशी महिलाओं को साड़ी पहन कर मंदिर आने जाने के रास्ते में भारतीय जनता देख कर अचंभित रहे .
थाईलैंड की आए महिलाएं की संख्या 27 बताई जा रही हैं महिलाओं ने भारत की संस्कृति परंपरा के वेष भूषा में काफी सुंदर दिख रही है. साड़ी और सूट पहन भगवान बुद्ध के आराधना करने के लिए मंदिर में फूल और माला लेकर प्रवेश किए थे,जिसके बाद मंदिर के गर्भगृह में भगवान बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष पूजा अर्चना किया.
महाबोधि विहार या महाबोधि मन्दिर, बोझ गया स्थित प्रसिद्ध बौद्द विहार है. यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर घोषित किया है।यह विहार उसी स्थान पर खड़ा है जहाँ गौतम बुद्ध ने ईसा पूर्व 6वी शताब्धिं में ज्ञान प्राप्त किया था. बुद्ध ने मुख्य विहार के उत्तरी दरवाजे से थोड़ी दूर पर स्थित अजपाला-निग्रोधा वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्ति के बाद पांचवा सप्ताह व्यतीत किया था. बुद्ध ने छठा सप्ताह महाबोधि विहार के दायीं ओर स्थित मूचालिंडा क्षील के नजदीक व्यतीत किया था. यह क्षील चारों तरफ से वृक्षों से घिरा हुआ है। इस क्षील के मध्य में बुद्ध की मूर्त्ति स्थापित है. इस मूर्त्ति में एक विशाल सांप बुद्ध की रक्षा कर रहा है. इस मूर्त्ति के संबंध में एक दंतकथा प्रचलित है. इस कथा के अनुसार बुद्ध प्रार्थना में इतने तल्लीन थे कि उन्हें आंधी आने का ध्यान नहीं रहा. बुद्ध जब मूसलाधार बारिश में फंस गए तो सांपों का राजा मूचालिंडा अपने निवास से बाहर आया और बुद्ध की रक्षा की.