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जदयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में चार प्रस्ताव... INDIA के लिए सीएम नीतीश को मिली खास जिम्मेदारी, नरेंद्र मोदी और भाजपा को घेरा

जदयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में चार प्रस्ताव... INDIA के लिए सीएम नीतीश को मिली खास जिम्मेदारी, नरेंद्र मोदी और भाजपा को घेरा

पटना/दिल्ली. जदयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी एवं राष्ट्रीय परिषद की दिल्ली बैठक में चार अहम प्रस्ताव पारित किए गए हैं. जदयू की ओर शुक्रवार को इन प्रस्तावों में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खास जिम्मेदारी दी गई जिससे वे इंडिया गठबंधन को लेकर अहम रणनीति बना सकें. साथ ही लोकसभा चुनाव 2024 से जुड़े सभी प्रकार के निर्णय लेने के लिए पार्टी ने नीतीश कुमार को अधिकृत किया है. इसमें एक राजनितीक प्रस्ताव है. वहीं जाति आधारित गणना : बिहार की ऐतिहासिक पहल के साथ एक प्रस्ताव लाया गया है. वहीं तीसरे प्रस्ताव में सांसद के शीतकालीन सत्र में सांसदों के निलंबन संबधी प्रस्ताव है. वहीं चौथे प्रस्ताव में नीतीश कुमार को अहम जिम्मेदारी देने से जुडी है. 

जदयू का राजनितीक प्रस्ताव : जनता दल (यूनाइटेड) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी एवं राष्ट्रीय परिषद की यह बैठक ऐसे माननीय सदस्यगण, समय में हो रही है. जब देश आजादी के चाद अपने सामाजिक राजनीतिक इतिहास के सबसे कठिन दौर से गुजर रहा है। समाज में भय और उन्माद पैदा किया जा रहा है तथा राजनीति आज छल-कपट और प्रतिशोध का रूप धारण करने लगी है। यह सब केन्द्र की सत्ता पर काबिज भाजपा हमारे लोकतंत्र एवं संविधान पर सबसे बड़ा खतरा है। केंद्रीय सत्ता तानासाही की ओर बढ़ रही है | संवैधानिक संस्थाओं और देश के फेडरल स्ट्रक्चर को कमजोर किट के रहा है। पिछले नौ वर्षों में यह स्थिति आज भयानक रूप ले चुकी है। जन-समस्याओं पर केंद्र सरकार का ध्यान नहीं है, और आम लोगों का ध्यान भी उन समस्याओं से भक्काने के लिए झूठे बारे उछाले जा रहे हैं। जब संपूर्ण विपक्ष बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर द्वारा बनाये गये संविधान को बचाने की बात करता है तो भाजपा संविधान के मुकाबले सनातन का मुद्दा उअल रही है। सनातन से उसकी मंशा क्या है, यह समझने की बात है। हम सभी सनातन संस्कृति, मूल्य, परम्परा और उसके आदर्शों का सम्मान करते हैं। इसमें कहीं रोड़ विरोध नहीं है। लेकिन जब हम संविधान में दिये गये पिच्छों, दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों में भाजपा सरकार द्वारा की जा रही कटौती जातक देते है के अचनक इन्हें सनातन की याद आ जाती है। हकीकत यह है कि रामासविधानते रखा है। ये चाहते हैं कि बाबा साहेब के और 'मनुस्मृति' के आधार पर शासन व्यवस्था और समाज-व्यवस्था मनुस्मृति' को टिया की चले। यहीं भाजपा का गुप्त एजेंडा है। उसकी इसी मंशा के खिलाफ बिहार में जनता दल (यू०) ने बड़े पैमाने पर 'भीम चौपाल' का सभी जिलों में आयोजन किया और मानवीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के परिनिर्वाण दिवस आह्वान पर बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के जिसमें लाखों लोग शामिल हुए। इससे देश भर में संविधान बचाने का संदेश गया।  प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में कहा था कि उनकी सरकार हर साल 2 करोड युवाओं को रोज़गार देगी जो पूरी तरह विफल रहा। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी ने अपने 5 लाख से अधिक नौकरी/रोजगार दी जो एक रिकॉर्ड है। 

जनता दल (सू०) का मानना है कि भाजपा अधिनायकवाद में विश्वास करने काने पार्टी है। इसलिए यह लोकतंत्र को काबा इस कोशिश में लगी है। केंद्र सरकार में किसानका व और उसके नेतृत्व के आवरण एवं करते तर में यह साफ झलकता है। दिल्ली में किसानों का महीनों तक चलने वाला परवा जाहला पहलवानों के साथ दुर्व्यवहार पर महीनों चलने वाला उनका परना, मणिपुर में मार भहिसाब दुर्व्यवहार पर कई महीनों तक घलने वाली आगजनी और हिंसा पर प्रधानमंत्री ने कभी मुँह नहीं खोला। अभी संसद के शीतकालीन-रात्र में सुरक्षा-पूक के मामले में सदन में जरकार का कोई वक्तव्य नहीं हुआ। इसकी माँग करने चाले विपक्ष के 146 सांसदों को निलोक्त कर दिया गया। यह लोकतंत्र पर हमला है। प्रधानमंत्री बाहर 'मन की बात' करते हैं किंतु सदन में 'जब की बात' नहीं करते। यह घोर विन्ता का विषय है। देश को सोने के जरूरत है कि पिछले वो सालों में राष्ट्रीय मुद्दों पर प्रधानमंत्री ने कितनी बार प्रेस कांफ्रेंस की, नीतियों और कार्यक्रमों पर पत्रकारों से बात-चीत की। लोकतांत्रिक संस्थाओं का दायरा क्यों दिनों-दिन सिकुड़ रहा है? लोगों के मन में यह आशंका होने लगी है कि हमारा लोकतंत्र बधेमा या नहीं।

हम अपने सर्वमान्य नेता और बिहार के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार को बधाई देते हैं कि इन्होंने समय रहते इस खतरे को पहचाना और विपक्ष को एकजुट करने की पहल की। इनके आह्वान पर 23 जजू 2023 को पटना में देश के प्रमुख विपक्षी दलों की पहली बैठक हुई। केंद्र की सत्ता पर काबिज एकाधिकारवादी भाजपा को सत्ता से बेदखल करने का यह पहला शंखनाद था। इसकी दूसरी कड़ी में 17-18 जुलाई 2023 को बैंगलोर में बैठक हुई, जिसमें विपक्षी गठबंधन का नागकरण 'इंडिया' गठबंधन हुआ। इस इंडिया गठबंधन की तीसरी बैठक 31 अगस्त एवं । सितम्बर को मुम्बई में हुई और फिर एक अंतराल के बाद चौथी बैठक 19 दिसम्बर 23 को दिल्ली में आयोजित हुई। पटना सम्मेलन से ही विपक्षी एकता का एक बड़ा संदेश देश में गया और लोगों ने इस महागठबंधन के सूत्रधार के रूप में श्री नीतीश कुमार के प्रयास की सराहना की। हमें इस बात का गर्व है कि आज भारतीय राजनीति में इनके जैसे अनुभवी लोग बहुत कम है। केंद्र सरकार के मंत्री के रूप में और बिहार में पिछले अठारह बर्षों से मुख्यमंत्री के रूप में इनकी कार्यशैली और विकास के प्रति इनके संकल्प से देश और दुनिया के लोग परिचित है। देश के पिछड़े. अतिपिछडे, बंचित, अल्पसंख्यक करोड़ो बेरोजगार युवाओं के नीतीश जी आशा के प्रतिक है सबसे बड़ी वीज कि गठबंधन चलाने का इनका बेहतर अनुभव तथा विपरीत परिस्थितियों में भी समन्वय बनाये रखने और कामयाबी हासिल करने की क्षमता से भी लोग वाकिफ है।

जाति आधारित गणना: बिहार की ऐतिहासिक पहल : जनता दल (यूनाइटेड) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी एवं राष्‌ट्रीय परिषद की यह बैठक बिहार में जाति आधारित गणना को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने और विधान मंडल की शीतकालीन सत्र में गणना की रिपोर्ट सदन में प्रस्तुत करने के साथ 10 नवम्बर 2023 को नया आरक्षण-संशोधन अधिनियम-2023 पारित कराने के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार को हार्दिक बधाई देती है। संपूर्ण देश में एक स्वर से बिहार की इस ऐतिहासिक पहल का स्वागत हो रहा है। कई राज्यों ने अपने यहाँ जाति आधारित अपना कराने का ऐलान किया है। देश भर में बिहार के तर्ज पर ऐसी गणना कराने की माँग उठ रही है। इससे सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन की दिशा में एक भौन क्रांति हो गयी है।

यह एक गौरतलब बात है कि जाति-गणना के बाद समाज के सभी तबकों के विकास के लिए ठोस योजनाएं बनाने का काम सरल हो जायेगा। इस जातीय गणना में आर्थिक आकलन भी किया गया है। इसलिए आर्थिक दृष्टि से कमजोर सभी लोगों को सहायता दी जायेगी। इसका सीधा लाभ सभी सामाजिक समूहों को प्राप्त होगा। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अतिपिछड़ा वर्ग, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण सहित सभी इससे लाभन्वित होंगे। इस नई आरक्षण व्यवस्था के अंतर्गत अनुसूचित जाति की आरक्षण सीमा 18 प्रतिशत से बढ़कर 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति की सीमा एक से बढ़‌कर 2 प्रतिशत, अतिपिछड़ा वर्ग के लिए 18 से बढ़कर 25 प्रतिशत, पिछड़े वर्ग के लिए 12 से बढ़कर 15 प्रतिशत हुई है। इसके साथ ही आर्थिक रूप से गरीब सवर्णों के लिए निर्धारित 10 प्रतिशत शामिल करने के बाद अब आरक्षण की सीमा 75 प्रतिशत हो गयी है।

बिहार सरकार ने राज्य में लागू इस नयी आरक्षण-व्यवस्था को संविधान के अनुच्छेद-31 (ख) की नौवीं सूची में शामिल करने की माँग केन्द्र सरकार से की है। जनता दल (यू०) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी एवं राष्ट्रीय परिषद की यह बैठक इस माँग का समर्थन करती है, ताकि इसे व्यायिक-समीक्षा-संरक्षण प्राप्त हो सके। भाजपा खेमे में सबसे ज्यादा घबराहट इस बात से है कि नीतीश कुमार जैसे नेता इंधिया गठबंधन के पारा है। इसलिए भाजपा बौखलाहट में अनर्गल बयानबाजी कर रही है। जबकि हमारे नेता श्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट बलारी कहा है कि उन्हें प्रधानमंत्री बनने अथवा इंडिया गठबंधन का संयोजक बनने की कोई व्यक्तिगत इक्स नहीं है। बल्कि भाजपा के विरुद्ध संपूर्ण विपक्ष को एकजुट करना उनकी प्राथमिकता है। क्योंकि देश के संविधान और लोकतंत्र को बचाना है। महात्मा गाँधी और बैंक्टर आम्बेडकर के सपनों को जीवित रखना है।

आज देश की जनता उत्सुक निगाहों से इंडिया गठबंधन को देख रही है। जद (यू०) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी एवं राष्ट्रीय परिषद का मानवा है कि गठबंधन के बड़े दलों पर ज्यादा जिम्मेदारी है। इस महागठबंधन को सफल और कामयाब बनाने के लिए उन्हें बड़ा दिल दिखाना होगा। अनुभव और कार्य क्षमता के अनुरूप किसी नेता को जिम्मेदारी देनी हो तो इसके लिए उदार बनना होगा। आपस के छोटे-बेटे मतभेदों को भूल कर वहानी एकजुटता दिखानी होगी। देश की जनता आपको भरोसे की नजर से देख रही है। 2024 का लोकसभा चुनाव हमारे लिए देश के लोकतंत्र और संविधान को बचाने का चुनाव है। इसलिए इंडिया गठबंधन को पूरी सजगता, समझदारी, समन्वय और संकल्प के साथ अपनी रणनीति तैयार करनी है।

जनता दल (यूनाइटेड) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी एवं राष्ट्रीय परिषद की यह बैठक वैकल्पिक राजनीति के प्रस्तोता और विपक्षी एकता के सूत्रधार अपने सर्वमान्य नेता श्री नीतीश कुमार की इस ऐतिहासिक पहल का स्वागत करती है और उन्हें हार्दिक बधाई देती है।

संसद के शीतकालीन सत्र में सांसदों के बितंबन संबंधी-प्रस्ताव : जनता दल (यूनाइटेड) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी एवं राष्ट्रीय परिषद की यह बैठक संसद के शीतकालीन-रात्र में संसद की सुरक्षा-व्यवस्था में हुई भयंकर चूक पर महरी चिंता व्यक्त करती है। यह गंभीर घटना किसी भी अनहोनी का कारण बन सकती थी। भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में यह पहली घटना है।

इस अकल्पनीय घटना पर विपक्ष के माननीय सांसदों ने सदन में सरकार से वक्तव्य देने की माँग की। अमूमन सुरक्षा-चूक की ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर माननीय गृहमंत्री अथवा स्वयं माननीय प्रधनमंत्री का वक्तव्य होना चाहिए था क्यूंकि संसद के अन्दर आनेवाले दोनों सदनों को भाजपा सांसद के अनुशंसा पर अनुमति प्रदान की गयी थी। लेकिन सरकार की तरफ से कोई वक्तव्य नहीं हुआ। भय और असुरक्षा की मनोदशा में सदन के भीतर सभी लोग सहमे हुए थे। विपक्ष के सांसद तभातार सुरक्षा-चूक पर सरकार से वक्तव्य देने की मांग कर रहे थे। किन्तु ऐसी विषम परिस्थिति में सहानुभूति और सांत्वना देने के बजाय 146 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया। यह संसदीय व्यवस्था पर कुठाराघात है और सांसदों के अधिकारों का हनन है।

जनता दल (युनाइटेड) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी एवं राष्ट्रीय परिषद की यह बैठक सदन के लोकतांत्रिक स्वरूप और संसदीय परंपरा को खंडित करते हुए विपक्ष के सासदों को दंडित करने की घटना पर क्षोभ प्रकट करती है और केंद्र की भाजपा सरकार के तानाशाही स्वैये की निंदा करती है। जनता दल (यू०) मानता है कि जब कोई राज्य विकसित होता है तो उससे देश का भी विकास होता है। राज्यों को पिडा हुआ छोड़कर विकसित भारत की कल्पना नहीं की जा स्वस्वी यह साधारण सी रहते हैं तभी शरीर विशेष सपना जाता है। इसी अवं में माननीयरी की भी जीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की माँग केला कीय मुख्यमंती की। इसके लिए विधान मंडल के दोनों सदनों से प्रस्ताव पारित हुआ था। सदसायला मंडल ने प्रधानमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा था।

माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने किया सहित अन्य पिछड़े राज्यों को भी विशेष सुविधा देने की बात कही, ताकि विकास की दिशा में ये भी त्वरित गति से बढ़ सकें। बिहार की यह माँग आज भी बरकरार है। जाति आधारित गणना का एक सुचिन्तित एवं समावेशी द्वार खोल कर बिहार ने विकास की दिशा में संतुलन के साथ आगे बढ़ने का प्रयास किया है। यदि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलता है तो यह विकसित राज्यों की कतार में बहुत जल्द शामिल हो जायेगा। अबतक अपने सीमित संसाधनों के बल पर ही पिछले कई सालों से इसकी सालाना आर्थिक वृद्धि दर दहाई में चल रही है। जबकि पिछले आठ सालों में केन्द्रीय वित्त आयोग द्वारा बिहार को दी जाने वाली केन्द्रीय करों की राशि में 62 हजार करोड़ की कटौती की गयी है।

जनता दल (यू०) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी एवं राष्ट्रीय परिषद की यह बैठक बिहार सहित सभी गैर-भाजपा राज्यों की केन्द्रीय करों में हिस्सेदारी का समुचित भुगतान ससमय करने का समर्थन करती है।

नीतीश को जिम्मेदारी : जनता दल (यूनाइटेड) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी एवं राष्ट्रीय परिषद की यह बैठक आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में इंडिया गठबंधन के घटक दलों के साथ राज्यों में सीटों के ताल-मेल, उम्मीदवारों के तरान एवं अन्य सभी सांगठनिक एवं नीतिगत मामलों में निर्णय के लिए सर्वसम्मति से पार्टी के सर्वमान्य नेता माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार को अधिकृत करती है।


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