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चार बार के सांसद ने छोड़ा सीएम नीतीश का साथ, लोकसभा चुनाव के पहले जदयू को लगा बड़ा झटका, राजद करेगी एक तीर से कई शिकार

चार बार के सांसद ने छोड़ा सीएम नीतीश का साथ, लोकसभा चुनाव के पहले जदयू को लगा बड़ा झटका, राजद करेगी एक तीर से कई शिकार

पटना. जदयू को लोकसभा चुनाव के पहले बड़ा झटका है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी में शामिल चार बार के सांसद और जदयू महासचिव ने मंगलवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया. मोहम्मद अली अशरफ फातमी के जदयू से इस्तीफा देने से इसे लोकसभा चुनाव के पहले राजद के लिए एक बड़ा फायदे का सौदा माना जा रहा है. अली अशरफ फातमी ने सीएम नीतीश को लिखे पत्र में कहा है कि वे नैतिक मूल्यों की रक्षा हेतु जदयू के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं. ऐसे में जब लोकसभा चुनाव में एनडीए में सीटों का बंटवारा हो चुका है, उस समय अली अशरफ फातमी का इस्तीफा देना सीएम नीतीश के लिए बड़ा झटका है. 

दरअसल, अली अशरफ फातमी चार बार के लोकसभा सदस्य हैं. उन्होंने लोकसभा चुनाव 1991 में पहली बार चुनाव जीता. फिर वे दरभंगा से वर्ष 1996, 1998 और 2004 में भी सांसद बने. इतना ही नहीं वर्ष 2004 से 2009 के बीच केंद्र सरकार में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री भी रहे. वहीं वर्ष 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में अली अशरफ फातमी के बेटे फराज फातमी ने दरभंगा के कोएटी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीता. 

हालांकि वर्ष 2019 में अली अशरफ फातमी ने राजद का दामन छोड़ दिया और अपने समर्थकों के साथ जदयू में आ गए. नीतीश कुमार ने उन्हें जदयू में कई अहम पद दिए. फ़िलहाल अली अशरफ फातमी जदयू में महासचिव थे. लेकिन लोकसभा चुनाव के पहले उन्होंने जदयू को झटका दिया और पार्टी से इस्तीफा दे दिया. ऐसे में दरभंगा इलाके के एक लोकप्रिय मुस्लिम चेहरे अली अशरफ फातमी के जदयू छोड़ने से यह मुस्लिम वोटरों पर भी बड़ा असर डाल सकता है. वहीं अली अशरफ फातमी के अब राजद से चुनाव लड़ने के आसार हैं. 

फातमी को लेकर कहा जा रहा है कि राजद की ओर से उन्हें दरभंगा या मधुबनी लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया जा सकता है. पहले भी चार बार लोकसभा चुनाव जीत चुके अली अशरफ फातमी उस इलाके में एक लोकप्रिय चेहरा हैं. उनके राजद में जाने से न सिर्फ दरभंगा बल्कि कई मुस्लिम बहुल इलाकों में लालू यादव की पार्टी को बड़ा फायदा हो सकता है. वहीं चुनाव के पहले एक लोकप्रिय चेहरे के जदयू छोड़ने से नीतीश कुमार के लिए इसे एक बड़ा झटका माना जा रहा है.




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