सुपौल के इस गाँव में 12 साल बाद भी नहीं बना पुल, बांस की चचरी बना लोगों के आने जाने का सहारा

SUPAUL : राज्य में विकास के कई दावे किये जाते हैं. लेकिन जिले के त्रिवेणीगंज प्रखंड की हालत आज भी ऐसी है कि यहां मूलभूत सुविधाओं से लोग वंचित हैं. ऐसी ही हालत त्रिवेणीगंज प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत मानगंज पश्चिम पंचायत के चिकनी गांव की है, जहां हजारों की संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं, वहां लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. किसी भी गांव के भविष्य और विकास के लिए सड़क व पुल सबसे मूलभूत सुविधाएं है. लेकिन गांव की वास्तविक्ता यह है कि यहां पुल व सड़क का निर्माण नहीं हुआ है. आने जाने के लिए बाँस का चचरी ही लोगों के लिए सहारा बना हुआ है. हालांकि विधायक व सांसद के गृह स्थल चिकनी मानगंज से सिर्फ पांच किलोमीटर की दूरी पर हैं. लेकिन आज भी इस गांव में मूलभूत सुविधाओं से लोग वंचित है. इस गांव की पहचान सिर्फ बाँस की चचरी ही है.
गांव के लोगों का कहना है कि 2008 में पुल ध्वस्त हो गया. उसके बाद से अब तक कभी पुल व सड़क का निर्माण नहीं कराया गया है. जिससे लोगों को काफी परेशानी होती है. वहीं नदी के किनारे बसे लोगों के लिए बारिश के समय घर से निकलना मुश्किल हो जाता है.
लोगों का आक्रोश जनप्रतिनिधियों के लिए भी है, जो चुनाव के समय आते हैं और वोट मांगते हैं. बदले में आश्वासन देते हैं कि उनके लिए विकास का काम किया जाएगा. लेकिन कोई भी जनप्रतिनिधि पलट के देखने के लिए भी नहीं आता है. लोगों का कहना है कि सड़क व पुल निर्माण नहीं होने की वजह से यहां लोगों को कही भी जानें में परेशानी होती है. साथ ही स्वास्थ्य खराब होने पर इमरजेंसी के वक्त किसी भी वाहन तक पहुंचाने के लिए गांव के अंतिम छोर तक पहुंचाना पड़ता है.
वही मोहम्मद जुबैर आलम ने कहा कि इस नदी के वजह से कई लोगों की जान भी जा चुकी है. जबकि हमलोग लोग सुविधाओं के अभाव में बाँस का चचरी बना कर आने जाने के लिए मजबूर हैं. पुल व सड़क नहीं होने की वजह से गांव का विकास रेंग रहा है. लेकिन जनप्रतिनिधियों को इस बात की खबर भी नहीं है. हजारों की आबादी के दो पंचायत से जोड़ने वाली ये सड़क है.
सुपौल से पप्पू आलम की रिपोर्ट