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CAG रिपोर्ट में 'सुशासन' बेपर्द! भारत-नेपाल सीमा परियोजना में सिर्फ 'पूर्वी चंपारण' में 150 करोड़ से अधिक की गड़बड़ी, 64% SSB चौकी सड़क से नहीं जुड़े

CAG रिपोर्ट में 'सुशासन' बेपर्द! भारत-नेपाल सीमा परियोजना में सिर्फ 'पूर्वी चंपारण' में 150 करोड़ से अधिक की गड़बड़ी, 64% SSB चौकी सड़क से नहीं जुड़े

PATNA:  कैग रिपोर्ट में नीतीश सरकार की पूरी पोल खुल गई है। विधानसभा पटल पर रखे जाने के बाद सार्वजनिक हुई कैग रिपोर्ट में बिहार सरकार की कारस्तानी सार्वजनिक हो गई है। रिपोर्ट में न सिर्फ करोड़ों की राशि के बंदरबांट-नुकसान का खुलासा हुआ है बल्कि सीमा सुरक्षा को लेकर भी भारी लापरवाही बरती गई। महालेखाकार की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अति महत्वपूर्ण भारत-नेपाल सीमा सड़क परियोजना सुशासन के अफसरों अफसरों की भेंट चढ़ गई। कैग रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत नेपाल सीमा सड़क परियोजना का उद्देश्य सशस्त्र सीमा बल को सीमा पर स्थित चौकियों के मध्य समुचित संपर्क का त्वरित गतिशीलता एवं प्रभाव प्रदान करना था।.10 साल बाद भी परियोजना अपने सर्वकालिक संपर्कता प्रदान करने के उद्देश्य की पूर्ति करने में असफल रही।  

कैग ने परत दर परत खोली पोल

कैग रिपोर्ट में बताया गया है कि विभाग ने दावा किया कि परियोजना के लिए 27 59.2 5 एकड़ भूमि के विरुद्ध 2497.6 4 एकड़ यानी 91% अधिग्रहण किया जा चुका है. हालांकि भूमि का अधिग्रहण वास्तव में पूरा नहीं हुआ था. क्योंकि दाखिल खारिज प्रक्रिया पूरी ना होने के कारण स्वामित्व को वैधानिक रूप से सरकार को हस्तांतरित नहीं किया गया.

पूर्वी चंपारण में हुआ बड़ा खेल

भारत नेपाल सीमा सड़क परियोजना को लेकर पूर्वी चंपारण में भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया पूरी तरह से कालातीत हो गई थी.भूमि अधिग्रहण के लिए आपातकालीन प्रावधान के तहत विलंब से आवेदन करने के कारण लागत में 1375 . 33 करोड़ यानी 158% की वृद्धि हुई. इससे परियोजना में न्यूनतम 5 वर्षों का विलंब हुआ था.भूमि के गलत वर्गीकरण के कारण 104 करोड़ 33 लाख का अधिक भुगतान हुआ. वास्तविक दावों के सत्यापन को सुनिश्चित किए बिना भू स्वामियों को 45 करोड़ 36 लाख का अधिक भुगतान के मामले पाए गए थे. फर्जी दस्तावेजों पर दो करोड़ 36 लाख का धोखाधड़ी से भुगतान, जिला भू अर्जन पदाधिकारी द्वारा 20 करोड़ 84 लाख की स्थापना शुल्क का कम प्रेशन जैसे मामले पाए गए। कैग रिपोर्ट में बताया गया है कि अभिलेखों की जांच से पता चलता है कि पूर्वी चंपारण के भू अर्जन पदाधिकारी ने प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए 100% मुआवजा राशि का भुगतान कर दिया. 226 करोड 81 लाख के कुल भुगतान में से समाहर्ता द्वारा वास्तविक गांवों के सत्यापन को सुनिश्चित किए बिना भू स्वामियों को 45 करोड़ 36 लाख से अधिक भुगतान की अनुमति दी गई. नमूना जांच में पुष्टि हुआ कि 10 मामलों में भू स्वामियों को वास्तविक भूमि के विरुद्ध 22 लाख 51 हजार अधिक मुआवजा दिया गया जिनकी वसूली लंबित थी. जिला भू अर्जन पदाधिकारी मोतिहारी ने जवाब दिया कि लेखा परीक्षा का लोकन कर जांच की जाएगी. सरकार को मामले की सूचना दी गई है और जवाब प्रतीक्षित है.

 विभाग ने भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित किए बिना 552.29 किलोमीटर के पूरे खंड के लिए सड़क निर्माण की संविदा आवंटित की थी। 15 खंडों में से 10 खंडों में संवेदकों ने भूमि की अनुपलब्धता के कारण काम रोक दिया था। जिसमें से एक खंड 24.05 किलोमीटर में एकरार नामा को रद्द कर दिया गया था। जबकि नौ खंड 372.92 किलोमीटर मध्यस्थता मामलों से प्रभावित थे। भारत नेपाल सड़क निर्माण में 121 में से 108 पुल यानी 84% निर्मित हो चुके थे एवं 20 का काम प्रगति पर था। इसके अलावा भौतिक रूप से सत्यापित 29 पुलों में से 23, भूमि अधिग्रहण के मामले ,सड़कों के अधूरे निर्माण और इन पुलों के संरेखण से बाहर होने के कारण संपर्क विहीन थे। पुलों पर कुल 928.77 करोड रुपए खर्च हुए थे। इनमें से 31 पुलों की दोष दायित्व अवधि समाप्त हो चुकी है। दोष दायित्व अवधि के समाप्त हो जाने और पुलों को पथ निर्माण विभाग द्वारा अधिग्रहित नहीं किए जाने के कारण इन पुलों और इसके संपर्क पदों का रखरखाव नहीं किया जा रहा था। अतिक्रमण मुक्त खंड पर चल रहे काम को पूरा करने के लिए 31 दिसंबर 2019 तक और शेष खंड के लिए 31 दिसंबर 2022 तक समय अवधि विस्तारित की गई थी। अक्टूबर 2020 तक केवल 24.20 किलोमीटर (2 खंड) सड़कों का निर्माण किया जा सका था. 10 साल की अवधि में 64% सीमा चौकियां मुख्य संरेखण से नहीं जुड़ी थी. जो सशस्त्र सीमा बल की गतिशीलता को प्रभावित कर रहे थे 

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