PATNA: बिहार का स्वास्थ्य महकमा कोरोना संकट में खुद वेंटिलेटर पर चला गया है। बड़ी-बड़ी बातें करने वाले स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय और स्वास्थ्य सचिव प्रत्यय अमृत की व्यवस्था-निगरानी की पूरी तरह से पोल खुल गई है। अब तो ऐसा लगता है कि संकट की इस घड़ी में माफियाओं और निजी अस्पताल प्रबंधकों से अधिकारियों की मिलीभगत है।अगर ऐसा नहीं होता तो फिर तमाम दावों के विपरीत रेमडेसिविर दवा की कालाबाजारी कैसे हो रही। सरकार ने दवा की किल्लत दूर करने के लिए अहमदाबाद से विशेष विमान से रेमडेसिविर दवा मंगाए । तमाम दावों के विपरीत ये दवा आखिर दलालों के हाथ में कैस पहुंच रहा। ड्रग कंट्रोलर आखिर वैसे माफियाओं के खिलाफ क्यों नहीं कार्रवाई कर रहे,हाथ किसने रोके हैं? ड्रग कंट्रोलर को बताना चाहिए कि वैसे कितने लोगों पर कार्रवाई की गई जो रेमडेसिविर दवा की कालाबाजारी में लगे थे। मंगलवार को पटना में रेमडेसिविर इंजेक्शन 55 हजार रू तक बिका। लेकिन सब कुछ जानते हुए भी ड्रग कंट्रोलर की चुप्पी यह बताती है कि सुशासन राज के स्वास्थ्य महकमे में सब कुछ सेट है और कमीशन ऊपर तक पहुंचता है।
रेमडेसिविर दवा के लिए अब भी भटक रहे मरीज
नीतीश सरकार ने रेमेडिसिविर सूई की किल्लत दूर करने के लिए अहमदाबाद से विशेष विमान से दवा मंगाई है। दो खेप दवा पटना पहुंच गई है। फिर भी दवा की किल्लत जारी है। निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजनों को रेमडेसिविर दवा बाजार से लाने के लिए पुर्जा पकड़ाया जा रहा है। जबकि स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों से मांग पत्र ऑनलाइन ड्रग कंट्रोलर को देने और फिर उसके आधार पर संबंधित अस्पताल को दवा की आपूर्ति करने का निर्देश लागू कर रखा है। दावे चाहे जो बी हों लेकिन इसकी निगरानी के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।हालात ये हैं कि निजी अस्पताल में भर्ती मरीजों को कालाबाजारी के माध्यम से रेमडेसिविर सूई लाने को मजबूर होना पड़ रहा है। इस इंजेक्शन की कालाबाजारी रोकने में सरकार का सिस्टम पूरी तरह से फेल कर गया है। ड्रग कंट्रोलर से लेकर सभी अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं और माफिया खुलेआम 50-55 हजार रू में दवा का कालाबाजारी कर रहे। मंगलवार को एक निजी अस्पताल में भर्ती एक मरीज के परिजन ने बताया कि 2 रेमेडिसिविर इंजेक्शन 1 लाख 10 हजार रू में ब्लैक मार्केट से खरीदे हैं ताकि मरीज की जान बच सके।
सरकार ने विशेष विमान से पहली खेप में मंगाये 14 हजार सूई
बता दें, सीएम नीतीश कुमार के आदेश पर अहमदाबाद से विशेष विमान से पहली खेप में 14 हजार रेमडेसिविर दवा लाई गई। इसके बावजूद मरीजों को बाजार से दवा लाने के लिए मजबूर किये जाने के पीछे गहरी साजिश है। ड्रग कंट्रोलकर कहते हैं कि जो नई व्यवस्था लागू की गई है उसके तहत अस्पतालों को रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग को लेकर ऑनलाइन डिमांड ड्रग कंट्रोलर के ई-मेल पर भेजना है। इसके बाद सूई को मरीज के नाम आवंटित किया जाता है।