पटना. हाईकोर्ट में स्थानीय निकायों में अन्य पिछडा वर्गों को आरक्षण दिए जाने के मुद्दे पर सुनवाई अधूरी रही। सुनील कुमार व अन्य की याचिकाओं पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की। इससे पूर्व इस मामलें पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट से अनुरोध किया कि इस मुद्दे पर 23 सितम्बर 2022 तक सुनवाई कर ले, तो उपयुक्त रहेगा।
दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती, जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती। तीन जांच के प्रावधानों के तहत ओबीसी के पिछड़ापन पर आंकडे़ जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग के सिफरिशों के मद्देनजर प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत हैं।
साथ ही ये भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एससी/एसटी/ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल उपलब्ध सीटों का पचास प्रतिशत की सीमा नहीं पार करें। कोर्ट ने कहा कि जब तक तीन जांच की अर्हता नहीं पूरी कर ली जाती, ओबीसी को सामान्य श्रेणी के सीट के अंतर्गत पुनः अधिसूचित किया जाए।
कोर्ट ने ये भी कहा कि बिहार मे नगर निकायों का चुनाव 10 अक्टूबर 2022 को चुनाव होने हैं। इसके पूर्व पटना हाईकोर्ट को इस मामलें पर सुनवाई कर ले, तो उपयुक्त रहेगा। आज पटना हाईकोर्ट में इस मामलें लम्बी सुनवाई हुई, पर सभी पक्षों को बहस करने का अवसर नहीं मिल पाया। इस मामलें पर अगली सुनवाई 28 सितम्बर 2022 को की जाएगी।