पटना हाईकोर्ट ने राज्य के सभी सरकारी और निजी लॉ कालेजों की दयनीय हालात पर सुनवाई की।चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने कुणाल कौशल की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सभी 27 लॉ कालेजों के सम्बन्ध में बीसीआई विस्तृत ब्यौरा देने के लिए दो सप्ताह की मोहलत दी है।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने लॉ कालेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता का भी ब्यौरा भी बीसीआई को देने का निर्देश दिया था। इन लॉ कालेजों के प्रिंसिपलों की शैक्षणिक योग्यता का ब्यौरा देने का भी निर्देश दिया था।
एक लॉ कालेज अनुग्रह नारायण मेमोरियल कालेज में छात्रों के प्रवेश के लिए अनुमति मांगी थी।बीसीआई इस कालेज का निरीक्षण कर इस कालेज की व्यवस्था में कमियां बताई थी।कोर्ट ने कहा था कि यदि ये सारी कमियां दूर कर ली जाती है, तो सत्र 2024- 2025 के लिए छात्रों के नामांकन की अनुमति दी जा सकती हैं।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने जानना चाहा था कि ये लॉ कॉलेज बीसीआई द्वारा लॉ की पढ़ाई के लिए निर्धारित मानको को पूरा कर रहे है।वहां क्या क्या सुविधाएं उपलब्ध है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया था कि बहुत सारे लॉ कॉलेज बीसीआई द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा नही करने के बाद भी चल रहे है।
उन्होंने बताया था कि इन लॉ कालेजों में पढ़ाने वाले शिक्षक भी बीसीआई द्वारा निर्धारित शैक्षणिक योग्यता नहीं रखते है।पीएचडी की डिग्री उन शिक्षकों के लिए आवश्यक है,लेकिन इन लॉ कालेजों में इनका पालन नही किया जा रहा है।
कोर्ट ने जानना चाहा था कि बगैर बीसीआई द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा किये बहुत से लॉ कालेजों में छात्रों का एडमिशन कैसे लिया जा रहा है ।कोर्ट ने इन लॉ कालेजों में छात्रों के एडमिशन पर रोक लगा रखा है।
पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि अगर कोई लॉ कालेज बीसीआई द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा करता है, तभी छात्रों का एडमिशन होना चाहिए।कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि कोई लॉ कॉलेज बीसीआई द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा करता है,उन कालेजों में ही लॉ की पढ़ाई होनी चाहिए।
याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट समक्ष पक्ष प्रस्तुत करते हुए अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि राज्य के सरकारी और निजी लॉ कालेजों की स्थिति काफी खराब है।इन कालेजों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।
उन्होंने बताया कि बहुत सारे लॉ कॉलेज बीसीआई द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करते है।इस कारण उन कालेजों में स्तरीय लॉ की पढ़ाई नहीं होती है।
इस मामलें पर दो सप्ताह बाद सुनवाई की जाएगी।